हिमाचल में अडानी ग्रुप और ट्रक यूनियनें क्यों आई आमने सामने?

हिमाचल में अडानी ग्रुप और ट्रक यूनियनें क्यों आई आमने सामने?

By गिरीश मालवीय

एसीसी और अंबुजा सीमेंट को खरीदने के बाद अडानी ने ट्रक यूनियनों पर भाड़ा कम करने का दबाव बढ़ा दिया है। इसके कारण हिमाचल प्रदेश की ट्रक यूनियनें हड़ताल पर चली गयीं हैं।

पहाड़ी ट्रक यूनियनों पर अडानी ने दबाव बनाया है कि वह भी मैदानी इलाकों के बराबर ही भाड़ा लें। जबकि पहाड़ी इलाकों में ट्रक चलने का खर्च बहुत ज्यादा होता है। यह खर्च मैदानी इलाकों की तुलना में दोगुने से भी अधिक होता है।

यही कारण है ट्रक यूनियनें भाड़ा कम करने का विरोध कर रहीं हैं। इतना ही नहीं यूनियन के विरोध के कारण अडानी ने बिलासपुर के एसीसी और सोलन के दाड़लाघाट स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया है।

ये भी पढ़ें-

adani

आखिर ये निर्णय क्यों लिया गया ये जानना दिलचस्प है।

मामला अंबुजा सीमेंट् प्लांट से जुड़ा हुआ है। जब इस प्लांट की स्थापना की गई थी, तो इसके मालिक न्योतिया जी थे सन् 1995 में अंबुजा सीमेंट कंपनी के मालिक व सीमेट फेक्ट्री की जमीन के लिए गए लैंड भू.विस्थापितों में समझौता हुआ था कि परिवार के एक सदस्य को कंपनी में शैक्षणिक योग्यतानुसार नौकरी दी जाएगी।

तथा वह परिवार क्लींकर व सीमेंट ढुलाई के लिए ट्रक भी खरीद सकता है। जिनकी जमीनें ली गई उन अधिकांश परिवारों ने टोकन लेकर अपने ट्रक भी संचालित किए तथा परिवार के एक सदस्य को कंपनी में नौकरी भी प्राप्त हो गई।

जिन लोगों ने ट्रक ले लिए उन्होंने एक यूनियन बनाई बाद में ये देश की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन बन गईं और मजबूत होती चली गई इस वक्त ट्रक ऑपरेटर सोसायटियों से जुड़ी यूनियन के करीब पांच हजार ट्रक संचालित होते है।

लेकिन जब कुछ महीने पहले अडानी समूह के इस कंपनी को टेक ओवर किया तो उन्होंने कॉस्ट कटिंग पर काम करना शुरू कर दिया प्रबंधक वर्ग ने कहा है कि नौकरी व व्यापार इकट्ठा नहीं चलेगा। या तो नौकरी कर लो या ट्रक चला लो।

दूसरी तरफ अडानी प्रबंधन ने ट्रक यूनियन से ट्रक द्वारा सीमेन्ट ढुलाई की दर को कम करने को कहा अभी तक ट्रक यूनियन प्रति टन 10 रुपये ढुलाई ले रही थी, उसे अडानी प्रबंधन कंपनी इसे 6 रुपये तक करने को कहा।

अडानी ग्रुप चाहता है कि ट्रक ऑपरेटर 2005 में किए गए समझौते के हिसाब से 6 रुपए प्रति टन ले जबकि ट्रक ऑपरेटर 2019 वाला रेट मांग रहे हैं । जो कि सही भी है।

यहां दिक्कत यह भी है कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल में सीमेंट और अन्य माल ढुलाई का ट्रक भाड़ा ज्यादा रहता है। अन्य पहाड़ी राज्यों में भी माल ढुलाई का भाड़ा ज्यादा रहता है। जबकि मैदानी इलाकों में माल ढुलाई भाड़ा पहाड़ों से आधा रहता है। अडानी प्रबंधन चाहता है कि मैदानी क्षेत्रों वाला ही 6 रुपये प्रति टन ढुलाई दी जाए।

ट्रक यूनियन वालों का कहना है कि वे साल 2019 के रेट पर ही काम कर रहे हैं, लेकिन कंपनी उन पर रेट कम करने का दबाव बना रही है।ऐसे में जब ट्रक यूनियन ने कंपनी की बात नहीं मानी, तो कंपनी ने नुकसान का हवाला देते हुए दोनों प्लांट को बंद करने का फैसला लिया है।

ये भी पढ़ें-

सीमेंट सेक्टर में अडानी का एकाधिकार

इसके साथ ही कुछ महीने पहले अंबुजा और एसीसी ने अपनी सीमेंट महंगी की है। जिसे हिमाचल की नव निर्मित कांग्रेस सरकार द्वारा कम करने को कहा जा रहा था , अडानी को हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार फूटी आंख भी नहीं सुहा रही है।

चूंकि अब तक दोनों कंपनियों के मालिक अलग अलग थे, इसलिए आपस में कॉम्पिटिशन के कारण सरकार और जनता को प्रतिस्पर्धी रेट मिल जाता था लेकिन जेसे ही दोनों प्लांट एक ही आदमी यानि अडानी ने खरीद लिए तो, उसने अपनी मनमानी शुरू कर दी ।

इन दोनों सीमेंट प्लांट से हिमाचल प्रदेश के हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा है। ऐसे में प्लांट बंद होने की वजह से इन लोगों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही आम आदमी को भी सीमेंट महंगा मिल रहा है।

अगर किसी भी सेक्टर में एक ही कम्पनी रह जाती है और कॉम्पिटिशन समाप्त हो जाता है, तो वहां एकाधिकार यानि मोनो पॉली बन जाती हैं।सीमेंट निर्माण के क्षेत्र में अब अडानी की मोनॉपली हो गई है। और उनके सैया तो है ही कोतवाल…..

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

WU Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.