ILO की रिपोर्ट: युवाओं के लिए खतरनाक वक्त,असमानता और बेरोजगारी गंभीर स्तर पर
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने “विश्व रोजगार और सामाजिक दृष्टिकोण: सितंबर 2024 अपडेट” रिपोर्ट जारी की है, जिसमें श्रम आय हिस्सेदारी में गिरावट और युवा बेरोजगारी की चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, श्रम आय हिस्सेदारी 2019 से 2022 के बीच 0.6 प्रतिशत अंक गिर गई है और यह स्थिति अभी भी स्थिर है।
यह रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि वैश्विक श्रम बाजार में असमानता बढ़ रही है, जबकि लगभग 40 प्रतिशत युवा रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण से बाहर हैं।
श्रम आय की गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि श्रम आय की हिस्सेदारी 2004 के स्तर पर बनी रहती, तो 2024 में श्रम आय में 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का इजाफा होता।
यह गिरावट COVID-19 महामारी के कारण तेजी से बढ़ी, जिसमें 2020 से 2022 के बीच श्रम आय हिस्सेदारी में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई।
इस संकट ने असमानताओं को और बढ़ा दिया है, खासकर तब, जब पूंजी आय सबसे धनी वर्ग के हाथों में केन्द्रित हो गई है।
युवाओं की बेरोजगारी
ILO के अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि, ‘युवा बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। 2015 में युवाओं की NEET (Not in Employment, Education or Training) दर 21.3 प्रतिशत थी, जो 2024 में केवल 20.4 प्रतिशत पर आकर ठहर गई है’।
यह स्पष्ट करता है कि इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हो रही है। महिला युवाओं की NEET दर 28.2 प्रतिशत है, जो कि पुरुषों की तुलना में दोगुनी है।
यह स्थिति SDG 8 (सभी के लिए पूर्ण और उत्पादक रोजगार और काम करने के लिए उचित परिस्थितियों को बढ़ावा देना) की प्राप्ति के लिए खतरा पैदा कर रही है।
तकनीकी प्रगति और असमानता
प्रौद्योगिकी में प्रगति, विशेषकर स्वचालन (ऑटोमेशन) ने श्रम बाजार में बदलाव लाए हैं। जबकि तकनीकी नवाचारों ने उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा दिया है, यह भी स्पष्ट है कि मज़दूर इन लाभों का समान वितरण नहीं कर पा रहे हैं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि तकनीकी प्रगति के लाभों को सभी के बीच समान रूप से साझा नहीं किया गया, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) के क्षेत्र में विकास असमानता को और बढ़ा सकता है।
नीति बनाने की आवश्यकता
ILO की उप महानिदेशक सेलेस्ट ड्रेक ने कहा है कि, ‘ देशों को श्रम आय हिस्सेदारी में गिरावट के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। नीतियों में संघ बनाने की स्वतंत्रता, सामूहिक सौदेबाजी और प्रभावी श्रम प्रशासन को शामिल करना आवश्यक है, ताकि समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा सके’।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि वैश्विक श्रम बाजार में सुधार की आवश्यकता है। युवा बेरोजगारी की बढ़ती दर और श्रम आय की गिरावट जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।
-
मानेसर-गुड़गांव ऑटो सेक्टर में हाथ गंवाते, अपंग होते मज़दूरों की दास्तान- ग्राउंड रिपोर्ट
-
बोइंग हड़ताल: ‘कम तनख्वाह में कैसे कटे जिंदगी,$28 प्रति घंटे की नौकरी से गुजारा असंभव’
-
मानेसर अमेज़न इंडिया के वर्करों का हाल- ’24 साल का हूं लेकिन शादी नहीं कर सकता क्योंकि…’
-
विश्व आदिवासी दिवस: रामराज्य के ‘ठेकेदारों’ को जल जंगल ज़मीन में दिख रही ‘सोने की लंका’
- “फैक्ट्री बेच मोदी सरकार उत्तराखंड में भुतहा गावों की संख्या और बढ़ा देगी “- आईएमपीसीएल विनिवेश
- “किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले भगवंत मान आज क्यों हैं चुप “
- ओडिशा पुलिस द्वारा सालिया साही के आदिवासी झुग्गीवासियों पर दमन के खिलाफ प्रदर्शन पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें