नए लेबर कोड पर सहमति बनाने के लिए केंद्र सरकार की राज्यों के साथ आज अहम बैठक
मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में 29 संघीय कानूनों को संशोधित कर चार श्रम संहिताएँ पेश की थीं।
सरकार का दावा था कि उन्होंने लेबर कोड को सरल और बेहतर बनाया है। हालाँकि, इन नए कानूनों को अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।
कई राज्य सरकारें इस नए लेबर कोड के विरोध में खड़ी है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे शुक्रवार को दक्षिणी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ एक परामर्श बैठक की अध्यक्षता करेंगी।
यह बैठक बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी और श्रम विभाग का कहना है कि गतिरोध को दूर करने के लिए क्षेत्रीय आधार पर अन्य राज्यों के साथ भी चर्चाओं की एक श्रृंखला शुरू की जाएगी।
यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन पर राज्य सरकारों के साथ किसी मंत्री की अध्यक्षता में बैठक होगी।
मालूम हो कि इस लेबर कोड में व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति (OSH) संहिता, 2020; सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020; और मजदूरी संहिता, 2019 शामिल हैं।
श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन के संबंध में विभिन्न राज्यों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। जहां कुछ राज्य केंद्र सरकार की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं, वही कुछ राज्य इन नए कानूनों को लेकर अपनी चिंताएं और आपत्तियां व्यक्त कर रहे हैं।
विशेष रूप से तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने श्रम संहिताओं के संबंध में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
इन राज्यों का तर्क है कि ‘ केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संहिताएं उनके अधिकारों में हस्तक्षेप करती हैं। संविधान के अनुसार, श्रम समवर्ती सूची में आता है, जिसका मतलब है कि राज्य सरकारों को भी श्रम और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार है’।
उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘ केंद्र द्वारा एकरूप नियम लागू करने से उनके स्थानीय श्रम बाजार की विशिष्टताओं को नजरअंदाज किया जा सकता है’।
इसके अलावा, कुछ राज्यों को आशंका है कि इन संहिताओं से मजदूर संगठनों की शक्ति कम हो सकती है और मजदूरों की स्थिति कमजोर हो सकती है।
इन चिंताओं को लेकर देश भर में केन्द्रीय ट्रेड यूनियन के साथ-साथ मजदूर संगठन इस नए लेबर कोड का विरोध भी कर रहे हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि केंद्र सरकार आज की मीटिंग के बाद किस तरह से इस लेबर कोड को लेकर आगे बढ़ती है।
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