भारत में सुपर अमीरों की संख्या बढ़ी, 1.44 करोड़ रुपये वाले भी 1% अमीरों के क्लब में
भारत के एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास 1.44 करोड़ से अधिक की दौलत है.
हाल ही में आई नाइल फ्रैंक्स वेल्थ साइजिंग मॉडल की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि सुपर अमीरों में शुमार लोगों की दौलत निजी तौर पर 2.4 अरब रुपये (2,460,000,000 रुपये) है।
इन सुपर अमीरों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है और पिछले साल इनकी संंख्या 12,069 थी.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2027 से इन सुपर अमीरों की संख्या में क़रीब 58.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी और इनकी संख्या 19,119 हो जाएगी.
भारत में अरबपति बनने वालों की संख्या भी बुलटे ट्रेन की रफ़्तार से बढ़ रही है. जहां 2022 में इनकी संख्या 161 थी, 2027 में ये संख्या 195 हो जाएगी.
भारत में हाई नेट वर्थ इनंडीविजुअल (एचएनआई) यानी दौलतमंद अमीर की श्रेणी में 10 लाख डॉलर या क़रीब 8.2 करोड़ रुपये वाले लोगों की संख्या 2022 में 7 लाख 97 हज़ार 714 थी.
इन दौलतमंद अमीरों की दौलत पिछले साल में दोगुना बढ़ी है और इस श्रेणी में आने वाले दौलतमंद अमीरों की औसतन दौलत 13.5 करोड़ रुपये हो गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि भारत में सुपर अमीरों की संख्या 2022 में 7.5 प्रतिशत घटी है लेकिन दौलतमंद अमीरों की संख्या 4.5 प्रतिशत बढ़ी है.
जबकि भारत में 2021 के मुकाबले अरबपतियों की संख्या में 11 प्रतिशत का उछाल देखा गया है।
ग़रीब और ग़रीब होते गए
इसके उलट भारत में नोटबंदी और लॉकडाउन के बाद से करोड़ों लोग ग़रीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।
इसी साल जनवरी में आई ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2020 में अरबपतियों की संख्या 102 थी, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 166 पर पहुंच गया. यानी दो साल में 64 अरबपति बढ़ गए. यह रिपोर्ट ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी’ के नाम से प्रकाशित हुई थी.
इसमें कहा गया कि 2021 में देश के 5 प्रतिशत लोगों का देश की कुल दौलत के 62 प्रतिशत पर कब्जा था जबकि देश की ग़रीब 50 फीसदी आबादी सिर्फ 3 प्रतिशत दौलत की मालिक थी.
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2021 तक अधिकतर भारतीयों की नौकरी चली गई और उनकी बचत पर संकट छा गया, वहीं पिछले साल नवंबर तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 121 फीसदी की वृद्धि देखी गई.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 660 अरब डॉलर यानी करीब 54 लाख 12000 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है.
इससे भारत का पूरा बजट 18 महीने तक चलाया जा सकता है. भारत सरकार का पिछला बजट 39 लाख 44 हजार 909 करोड़ का था.
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति पर सिर्फ 2 फीसदी टैक्स ही लगाया जाए तो इससे अगले 3 साल तक कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए सभी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
रिपोर्ट ने भारत में अमीरी ग़रीबी के बीच बढ़ती खाई के बारे में लिखा कि साल 2012 से 2021 के बीच भारत में जितनी भी दौलत कमाई गई, उसका 40 फीसदी हिस्सा देश के सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों के हाथ में चला गया.
जबकि 50 प्रतिशत जनता के हाथ महज प्रतिशत कमाई आई.
विडंबना है कि भारत में 23 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं. इनमें भी 4.2 प्रतिशत गरीब हैं, जिनके पास न तो रहने को घर है और न ही दो वक्त के खाने की गारंटी.
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