टोल खत्म न होने पर ट्रक ऑपरेटर 20 जुलाई से हड़ताल पर
ट्रक ऑपरेटर्स ने 20 जुलाई से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. हड़ताल का आह्वान करने वाली ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार ने टोल मुक्त का वादा किया था लेकिन यह वादा तो पूरा नहीं ही किया गया, उलटे डीजल व पेट्रोल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखकर ट्रांसपॉर्टरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है.
अब रोजाना डीजल, पेट्रोल के दाम बदल जाते हैं, ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे रोज अपने किराए की दरों में बदलाव नहीं कर सकते.
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस के उत्तर भारत के उपाध्यक्ष हरीश सब्बरवाल के मुताबिक 20 जुलाई से 90 लाख ट्रकों का चक्का जाम हो जाएगा. इससे पहले 18 जुलाई से ही ट्रक ऑपरेटर सामान की बुकिंग भी बंद कर देंगे. हड़ताल में न सिर्फ बड़े ट्रक बल्कि टेम्पो और छोटे ट्रक भी शामिल होंगे और यह हड़ताल अनिश्चतकालीन रहेगी.
ट्रक ऑपरेटरों की मुख्य मांग है कि जब सरकार ने वन नेशन वन टैक्स का नारा दिया है तो फिर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा, उनकी मुसीबत यह है कि हर राज्य में डीजल की अलग दर है. ऐसे में उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ट्रक ऑपरेशन में 60 फीसदी लागत डीजल की ही होती है.
ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भीम वाधवा का कहना है कि टोल समाप्त करने के लिए वादा किया गया था. सरकार 365 टोल प्लाजा से हर साल 18 हजार करोड़ रुपये का टोल टैक्स वसूलती है और सरकार का ही आंकड़ा है कि देश भर में टोल पर रुकने की वजह से हर साल 98 हजार करोड़ रुपये का ईंधन और वक्त बर्बाद हो जाता है. ऐसे में ट्रक ऑपरेटर चाहते हैं कि अगर सरकार डीजल पर ही एक रुपये टोल के नाम पर ले ले तो इससे उसे 18 हजार करोड़ से कई गुणा अधिक राशि भी मिल जाएगी और टोल वसूलने के लिए उसे खर्च भी नहीं करना पड़ेगा.
ट्रक ऑपरेटरों की तीसरी डिमांड थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को लेकर है. उनका कहना है कि हर साल इंश्योरेंस का प्रीमियम अनाप-शनाप बढ़ा दिया जाता है. उस पर सरकार ने नमक छिड़कते हुए प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है. अगर इंश्योरेंस जनहित में है तो फिर इस पर जीएसटी क्यों लगाया जा रहा है?