नोएडा के Xiaomi और Oppo प्लांट में बिना नोटिस 200 मज़दूरों को निकाला, मज़दूरों का उग्र प्रदर्शन, असेंबली लाइन नष्ट
शुक्रवार को जब देश भर आए हज़ारों किसान दिल्ली में संसद की ओर कूच कर रहे थे, उसी समय नोएडा की एक कंपनी में सैकड़ों मज़दूरों का हिंसक प्रदर्शन हुआ।
सेक्टर 63, ए ब्लॉक में स्थित हाईपै टेक्नोलॉजी इंडिया में सुबह 10 बजे 1200 मज़दूरों ने कंपनी पर कब्ज़ा कर लिया।
बिना नोटिस 200 मज़दूरों को निकालने जाने पर, कंपनी में कार्यरत सभी मज़दूरों ने गेट पर कब्ज़ा कर लिया और जमकर पत्थरबाज़ी की।
चीन की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी शाओमी और ओप्पो के हैंडसेट बनाने वाली हाईपैड टेक्नोलॉजी इंडिया कंपनी मनमानी छंटनी के कारण ये उग्र प्रदर्शन हुआ।
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गुस्साए वर्करों ने फ़ैक्ट्री पर किया कब्ज़ा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, 1,200 मजदूर कंपनी पर गेट पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रदर्शन के दौरान मजदूर जबरदस्ती फैक्ट्री परिसर में घुस गए और गेट बंद कर दिया।
प्रदर्शन के दौरान कई घंटे तक हंगामा चलता रहा। इसके बाद भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
हंगामे की ख़बर के बाद नोएडा फ़ेज 3 पुलिस थाने के पुलिसकर्मी फैक्ट्री परिसर पहुंच गए।
हालांकि कंपनी ने इस बारे में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है लेकिन पुलिस ने कुछ मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर दंगा करने समेत कई धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं।
बताया जाता है कि कंपनी वेंडर के माध्यम से मजदूरों को ठेके पर रखती थी।
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बिना नोटिस 200 मज़दूर निकालने पर उग्र हुए मज़दूर
कंपनी मैनेजमेंट का कहना है कि वेंडर के साथ हुए कॉन्ट्रैक्ट में इस बात का ज़िक्र है कि बिना नोटिस के मजदूरों की छंटनी की जा सकती है।
हालांकि कंपनी अनाधिकारिक रूप से कह रही है कि उसका इस औद्योगिक अशांति से कोई लेना देना नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस ने कंपनी के एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि ‘असल में मज़दूरों को निकाला नहीं गया था बल्कि उन्हें कुछ समय के लिए छुट्टी दी गई थी, मज़दूरों को कुछ ग़लतफ़हमी हुई है।’
लेकिन परोक्ष रूप से ये साफ़ दिखाई देता है कि कंपनी ने मनमाने तरीके से 200 मजदूरों की गेटबंदी और उनको कार्ड पंच करने से रोकने का वेंडर को आदेश दिया था।
नोएडा के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर ने बताया कि जब सुबह मजदूर फ़ैक्ट्री पहुंचे तो उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया और परिसर से बाहर जाने को कहा गया।
इस बात से मज़दूर उग्र हो गए और कहा कि इस बारे में उन्हें पहले से कोई सूचना नहीं दी गई और ये छंटनी गैरकानूनी है।
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ट्रेनी मज़दूरों का होता है शोषण
कंपनी सिक्योरिटी गॉर्ड से कहासुनी के बाद मज़दूरों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने पत्थरबाज़ी करनी शुरू कर दी।
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लेबर लॉ में फैक्ट्री एक्ट और अप्रेंटिसेज एक्ट में भारी बदलाव के कारण अब फैक्ट्रियां मनमाने तरीके से मजदूरों को हायर एंड फायर करने लगी हैं।
इससे औद्योगिक असंतोष बढ़ रहा है, जिसकी नज़ीर हम गुड़गांव में देख रहे हैं।
हाईपैड में भी मजदूरों को ट्रेनी के बतौर काम पर रखा गया था, जबकि उनसे स्टैंडर्ड काम लिया जा रहा था।
ट्रेड यूनियन नेता जसवीर सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत फैक्ट्री मालिकों को ये आजादी दी गई है कि वे ट्रेनिंग के नाम पर मजदूरों की भर्ती कर सकते हैं।
स्किल इंडिया में बड़े पैमाने पर धांधली की आशंका
इस स्कीम के तहत इन ट्रेनी मज़दूरों के वेतन का एक हिस्सा कंपनी और बाकी भारत सरकार देगी।
इस योजना में भी बड़े पैमाने पर धांधली होने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि फैक्ट्री मालिक ट्रेनी वर्करों की संख्या मनमाने तरीके से बताते हैं।
इस तरह वे सरकार से मिलने वाली सब्सिडी को हड़पने की तमाम जुगत कर रहे हैं।
ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना या जिसे स्किल इंडिया के नाम पर बहुत प्रचारित किया गया उसमें बहुत बड़ा घोटाला हो रहा है।
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