नोएडा के 3000 सफाई कर्मचारी पांच दिन से हड़ताल पर, वेतन को लेकर अथॉरिटी के टालू रवैये से आक्रोशित कर्मचारी
महंगाई को देखते हुए वेतन में बढ़ोत्तरी और दुर्घटना की स्थिति में जोखिम मुआवजा 10 लाख रुपये करने को लेकर बीते एक हफ़्ते से नोएडा के करीब 3000 सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
नोएडा विकास प्राधिकरण के सेक्टर 6 कार्यालय के सामने कर्मचारी बीते पांच दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। बीते पांच दिनों से शहर में साफ सफाई ठप है।
सफाई कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सैलरी 17,600 रुपये किए जाने की लेकिन प्राधिकरण नए टेंडर के बाद इस बार बात करने को कह रहा है।
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नोएडा अथॉरिटी ने ठेका के माध्यम से 2,830 सफ़ाई कर्मचारियों को काम पर रखा है। इन कर्मचारियों की मांग, परमानेंट किए जाने की भी है।
अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस (एबीएसएमसी) के पांच पदाधिकारी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जिनमें दो महिला पदाधिकारी भी शामिल हैं।
- सफाई कर्मचारी की जिंदगी की कीमत सिर्फ 2700 रुपये
- वेतन कटौती के खिलाफ़ पिछले एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के सफाई कर्मचारी
शहर की सफाई व्यवस्था को बहुत कम वेतन पर अपने कंधों पर ढो रहे इन कर्मचारियों के लिए दिए तले अंधेरा छाया हुआ है और अभी तक नोएडा अथॉरिटी ने कोई ठोस आश्वासन भी नहीं दिया है।
यूनियन के नोएडा ज़िला प्रधान तारा चंद गहलोत ने कहा कि “हमने बीते फरवरी में एक डिमांड नोटिस अधिकारियों को सौंपा था। हमारी मुख्य मांग है तनख्वाह में बढ़ोत्तरी। जब हमने दो साल पहले अक्टूबर 2020 में हड़ताल किया तो इसके सात महीने बाद अधिकारी मांग सुनने को राजी हुए थे।”
सफाई कर्मियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। चार दिनों से चल रही उनकी हड़ताल की वजह से शहर के कई हिस्सों से कूड़ा नहीं उठ पा रहा है जिससे गंदगी बढ़ती जा रही है।
पूरी तरह हड़ताल पर जाने से पहले बीते सोमवार को प्राधिकरण के अधिकारियों और यूनियन नेताओं के बीच वार्ता हुई थी। लेकिन इसमें भी अगले टेंडर तक इंतज़ार करने की बात कही गई।
एबीएसएमसी के प्रदेश मंत्री बबलू पार्चा का कहना है कि जबतक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं भूख हड़ताल जारी रहेगी।
यूनियन की महिला मोर्चा की अध्यक्ष बबली देवी के अलावा राधिका, रविश और राधे पार्चा शामिल भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
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