ऑटोमेशन और एआई के बढ़ते इस्तेमाल से महिलाओं की नौकरियां जाने की सम्भावना ज्यादा

ऑटोमेशन और एआई के बढ़ते इस्तेमाल से  महिलाओं की नौकरियां जाने की सम्भावना ज्यादा

एआई लहर से पुरुषों की तुलना में महिला श्रमिकों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा: मैकिंसे

बाज़ार में बढ़ती एआई की धमक और उसके आर्थिक-सामाजिक असर को लेकर कई तरह के रिसर्च और शोध पत्र लगातार जारी हो रह हैं.
इसी कड़ी में अमेरिका की मशहूर कंसल्टेंसी संस्था मैकिन्से एंड कंपनी जो 2030 तक अमेरिकी श्रम बाज़ार के रुझानों पर काम कर रही थी ने हालिया जारी अपनी एक रिपोर्ट में ये जानकारी साझा की कि बाज़ार में एआई के बढ़ते इस्तेमाल का बुरा असर महिला श्रमिकों पर ज्यादा पड़ेगा.

रिपोर्ट बताती है कि आटोमेशन और एआई के बढ़ते इस्तेमाल के कारण विभिन्न सेक्टरों में काम कर रही महिलाओं कि नौकरियों के पुरुषों कि तुलना में छीने जाने कि सम्भावना ज्यादा है.

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में काम किये गए लगभग एक तिहाई घंटो कि जगह आने वाले दिनों में एआई ले लेंगी 

पुरुषों कि तुलना में महिलाओं को नई नौकरी ढूंढने कि जरुरत 1.5 गुना बढ़ जाएगी. इसका एक कारण यह भी है की कम आय वाली नौकरियों में महिला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व ज्यादा है और कम्पनियाँ कॉस्ट कटिंग के लिए इन जगहों पर एआई का इस्तेमाल ज्यादा करेंगी.
ऑफिस स्पोर्टिंग स्टाफ और ग्राहक सेवा जैसी जगहें जहाँ महिलाएं ज्यादा काम करती हैं, ऑटोमेशन और एआई से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी.

रिपोर्ट के अनुसार अश्वेत और लैटिन अमेरिकी देशों के कामगार जो फ़ूड प्रोसेसिंग और उत्पादन के क्षेत्रों में काम करते है ,उनके रोजगार पर भी आने वाले दिनों में छीने जाने का खतरा मंडरा रहा है.

मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट बताता है कि अमेरिका में कम से कम 12 मिलियन श्रमिकों को 2030 के अंत तक अपने जॉब प्रोफाइल को बदलने कि जरुरत आ जाएगी.

संस्थान के निदेशक क्वेलिन एलिंगरुड ने बताया कि ये रिसर्च कम वेतन पर काम करने वाले श्रमिकों के बीच ही केंद्रित थी. आने वाले दिनों में उनके लिए नौकरी बदलने कि आवश्यकता 14 गुना बढ़ जाएगी साथ ही साथ उन्हें नए स्किल भी सिखने होंगे.

रिपोर्ट के अनुसार इसके साथ ही व्हाइट कॉलर वर्कर्स जैसे कि वकीलों और शिक्षकों से लेकर वित्तीय सलाहकारों और आर्किटेक्ट तक ओपन एआई के चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रसार से सबसे अधिक प्रभावित होंगे.

लगभग हर सेक्टर में नौकरियों के स्वरुप बदलने वाले हैं

मैकिन्से इंस्टिट्यूट ने अपने रिपोर्ट में ये बताया कि आने वाले दिनों में लगभग हर सेक्टर कि नौकरियों के स्वरुप बदलने वाले हैं.

रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को समाप्त करना चाहता है, जिससे तेल-गैस उत्पादन और मोटर वाहन विनिर्माण में श्रमिकों को नुकसान हो सकता है.

मैकिन्से ने तर्क दिया कि अक्षय ऊर्जा के निर्माण से उत्पन्न लाभ से लगभग 7 ,00,000 नौकरियों की भरपाई होगी.जिनमे मुख्य रूप से नए संयंत्रों, चार्जिंग स्टेशनों और इसी तरह के पूंजीगत निवेश के माध्यम से नई नौकरियां पैदा होंगी.
दूसरी तरफ ये रिपोर्ट बताती है कि बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च में वृद्धि ऊर्जा संक्रमण और निर्माण श्रमिकों की मांग में वृद्धि करेगा. मैकिन्से बताती है कि 2022 से 2030 तक निर्माण रोजगार में 12% की वृद्धि दिखाई दे रही हैं .

संस्थान के रिपोर्ट के अनुसार अगर आने वाले वर्षों में औटोमेशन और एआई के कारण बदलते परिदृश्य में नौकरियों में फेरबदल को सही तरीके से संभाला नहीं गया तो अफरा तफरी का माहौल बन सकता है.

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Abhinav Kumar

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