कोलकाता से लेकर चेन्नई तक डिलीवरी ब्वॉय क्यों कर रहे हैं हड़ताल?

कोलकाता से लेकर चेन्नई तक डिलीवरी ब्वॉय क्यों कर रहे हैं हड़ताल?

मोबाइल ऐप आधारित डिलीवरी वर्कर अपनी उचित मजदूरी और उचित सहुलियतों के लिए ही देशव्यापी हड़ताल कर रहे हैं।

पिछले 2 महीने से भारत के कई शहर मोबाइल ऐप आधारित डिलीवरी वर्करों के प्रदर्शन के गवाह बन रहे हैं, जिनमें बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, रांची, दिल्ली और जम्मू आदि शामिल है।

विरोध प्रदर्शन करने वाले अधिकतर वर्कर स्विगी ( कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, जम्मू)नामक कंपनी के हैं और कुछ वर्कर जोमैटो (रांची) और दुंजो (बेंगलुरु) नामक कंपनियों के हैं।

स्वीगी वर्करों की पिछले 7 दिनों की हड़ताल ने चेन्नई में पूरे शहर में खाद्य-सेवा की आपूर्ति को प्रभावित किया है।

रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने अपने ऑर्डरों में 90 फ़ीसदी की गिरावट को दर्ज किया है। स्विगी ऐप में कई नामचीन कंपनियां जैसे पिज़्ज़ा हट, डोमिनोज, मैकडॉनल्ड्स की सेवाएं अस्थाई तौर से बंद प्रदर्शित हो रही है।

कई यूजर्स ने ट्वीट किया है कि भोजन आपूर्ति प्लेटफार्म पर अधिकतर रेस्टोरेंट अनुपलब्ध है। जबकि ऐप पर आ रहा है कि आपके इलाके में इसकी सुविधा नहीं है।

इंस्टामार्ट ने यह कहते हुए एक माफीनामा जारी किया है कि कि “हमारे नियंत्रण से बाहर के कुछ मुद्दों के चलते स्टोर बंद है”।

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चेन्नई में हड़ताल

चेन्नई में हड़ताल की शुरुआत स्विगी द्वारा लागू की गई बहुचर्चित नई प्रोत्साहन बोनस योजना के बाद हुई। बीते मंगलवार से स्विगी के डिलीवरी वर्कर नए मजदूरी फार्मूला के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

नए फार्मूले के अनुसार, यदि एक वर्कर एक हफ्ते में 180 ऑर्डर पूरे करता है तो वह प्रोत्साहन राशि के रूप में 11,500 रुपए तक कमा सकता है।

एक इंटरव्यू में स्विगी अधिकारियों ने बताया कि नए फार्मूले से डिलीवरी वर्करों के काम को अधिक लचीला बनाने की कोशिश की गई है ताकि वे हमारे प्लेटफार्म ऑर्डरों के अलावा भी कमाई कर सकें। इस बारे में कोई बदलाव नहीं है कि स्विगी वर्कर कितना कमाएं या कितनी अधिक देर तक काम करें।

जबकि हकीकत यह है कि रोजाना 14 घंटे काम करने के बावजूद भी कोई अपने वीकली टार्गेट तक नहीं पहुंच पाता। स्विगी वर्करों का कहना है कि कंपनी चाहती है कि वे रोजाना 16 घंटे काम करें जो किसी भी इंसान के लिए संभव नहीं है। बहुत सारे वर्कर पिछले कुछ दिनों से लंबे वक्त तक काम कर रहे हैं।

वे सुबह 5:30 से रात 11:00 बजे तक काम करते हैं। इतने लंबे वक्त तक मोटरसाइकिल और साइकिल चलाना और हकीकत में अपने परिवार या दोस्तों और कई बार तो सोने का भी समय ना मिलना, ऐसी परिस्थिति में कोई कितने साल काम कर सकता है?

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असंभव टार्गेट

रोजाना टारगेट तक पहुंचना असंभव है। असल में  कंपनी किसी को भी टारगेट तक पहुंचने ही नहीं देगी।

एक तो ऑर्डर भी इतनी जल्दी जल्दी नहीं आते दूसरा, ऐप इस तरीके से काम करता है कि कोई भी वर्कर इतने आर्डर प्राप्त नहीं कर सकता कि वह निर्धारित प्रोत्साहन राशि के लिए अपने साप्ताहिक टारगेट को पा सके।

परिणामस्वरूप हर एक कर्मचारी को अपना सर्वोत्तम देते हुए रोजाना लंबे समय तक काम करना पड़ता है।

चेन्नई में स्विगी वर्करों ने पहले जैसी रोजाना और साप्ताहिक भत्ते और बोनस की व्यवस्था को लागू करने की मांग की है।

कोलकाता में स्विगी वर्कर जनवरी से अब तक कई बार हड़तालें कर चुके हैं हालांकि हड़ताल स्विगी ऐप द्वारा निर्धारित क्षेत्रों के स्तर की थी।

नया फार्मूला, जिसे स्विगी एप में ‘माय शिफ्ट’ का नाम दिया गया है, रोजाना के आधार पर जगह देती है। रोजाना के काम के प्रदर्शन की गणना के आधार पर ही किसी को भी आर्डर प्राप्त होंगे।

“माय शिफ्ट” में काम करने के बाद कई वर्करों ने शिकायत की है कि उनकी साप्ताहिक आमदनी पहले के मुकाबले आधी हो गई है।

किसी जोन में “माय शिफ्ट” के लागू हो जाने के बाद कोई भी फिर वहां पुराने फार्मूले के अनुसार काम नहीं कर सकता। कोलकाता में कंपनी के साथ कई मीटिंग हो चुकी है लेकिन कंपनी किसी भी मांग पर सहमत नहीं हुई है।

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एक डिलीवरी पर 20 रुपये

पिछले दो दिनों से ब्लिंकिट नामक कंपनी (पहले ग्रोफर) के वर्करों ने भी कोलकाता में हड़ताल शुरू कर दी है। शुरुआत में उन्हें हर एक डिलीवरी पर ₹50 मिलते थे।

पहली दूरी 2 किलोमीटर थी जिसे अब 4 किलोमीटर कर दिया गया है। पेट्रोल के दाम बढ़ने के बावजूद भी पेट्रोल भत्ते में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

अब ब्लिंकिट कह रही है कि वह हर एक डिलीवरी पर केवल ₹20 ही देगी। यदि ब्लिंकिट वर्कर शनिवार/रविवार को काम नहीं करेंगे तो कंपनी उनकी आईडी ब्लॉक कर देगी। पहले एक डिलीवरी के ₹50 थे।

एक वर्कर रोजाना अधिकतम 17 से 18 ऑर्डर ही पूरे कर पाता था, जिसमें से पेट्रोल का खर्चा लगभग ₹300 आ जाता है जिसे कामगार को खुद ही चुकाना पड़ता है। इस प्रकार कोई रोजाना अधिकतम ₹500 ही कमा सकता है।

मौजूदा योजना के अनुसार, हर एक डिलीवरी के ₹20 मिलेंगे, यदि कोई एक दिन में 17 ऑर्डर पूरे करता है तो उसे ₹340 पर ₹125 प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलेंगे।

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इस तरह एक दिन की ₹450 की आमदनी में से, जिसमें ₹300 पेट्रोल का खर्चा है, कामगार को मुश्किल से ₹150 ही बचते हैं, जो मौजूदा आसमान छूती महंगाई को ध्यान में रखते हुए किसी भी इंसान के गुजारे लिए बेहद कम है।

कामगारों ने शिकायत की है कि जबसे जोमैटो ने ग्रोफर का अधिग्रहण किया है और ब्लिंकिट के नाम से नई योजना लाई गई है तब से यह नए बदलाव आ रहे हैं।

ब्लिंकिट ने दो मिनट में डिलीवरी का वादा किया है जिसके चक्कर में कई वर्कर सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा चुके हैं। कंपनी द्वारा कोई भी जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा नहीं दिया जाता है।

वर्करों ने अपना 8 मांगों वाला पत्र कंपनी को दिया है जिसमें हर डिलीवरी के ₹50 और दो प्रबंधकों को हटाने की मांग है जो वर्करों पर नया फार्मूला अपनाने का दबाव बना रहे हैं।

(मेहनतकश से साभार)

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Workers Unity Team

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