इंटरार्क मज़दूर किसान महांपचायत संपन्न ,किसान संगठनों के दबाव के बाद मज़दूरों से वार्ता को राजी हुआ प्रबंधन

इंटरार्क मज़दूर किसान महांपचायत संपन्न ,किसान संगठनों के दबाव के बाद मज़दूरों से वार्ता को राजी हुआ प्रबंधन

उत्तराखंड के किच्छा में स्थित इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. के गेट पर बीते शुक्रवार, 18 नवंबर को धरनारत  श्रमिकों  ने  ‘मज़दूर किसान महापंचायत’ का आयोजन किया। इस महापंचायत में सैकड़ों मज़दूरों, महिलाओं और मज़दूरों के बच्चों के साथ साथ करीब दोपहर 12 बजे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के वरिष्ठ नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए।

पहले कंपनी प्रबंधन मज़दूरों से बात करने को राजी नहीं था। लेकिन महांपचायत के दिन किसान संगठनों के दबाव के बाद प्रबंधन ने मज़दूरों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए हामी भारी है।

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प्रबंधन ने अगले 15 दिनों  का और समय मांगते हुए मज़दूरों को आश्वासन को दिया है कि वह मज़दूर  से  जुड़े सभी समस्यों का समाधान निकालेंगे।

ज्ञात तो कि,  कंपनी द्वारा शोषण व उत्पीड़न के विरोध में श्रमिकों  द्वारा  16 अगस्त 2021 से  चलाए जा रहे इन्टरार्क मज़दूरों के आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा का पूर्ण समर्थन है।

इसी बाबत बीते 4 अक्टूबर को  किसान मज़दूर महा पंचायत का हिस्सा बने SKM के  नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया था कि, अगर प्रबंधन मज़दूरों के साथ इस  साल 18 नवम्बर तक कोई समझौता नहीं करता है तो सभी किसान अपनी ट्राली और ट्रैक्टर के साथ कंपनी  के गेट पर धरना देंगे।

महापंचायत को इंटरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर/किच्छा, संयुक्त किसान मोर्चा और श्रमिक संयुक्त मोर्चा सिडकुल पंतनगर के बैनर तले आयोजित किया गया।

मज़दूरों और किसानों ने कंपनी गेट किया जाम

इंटरार्क मजदूर संगठन के सदस्यों ने बताया कि 18 नवम्बर की महापंचायत में मजदूर समाधान निकालने के इरादे से पहुँचे थे। 11:00 बजे से सभा शुरू हुई। शाम 3:30 बजे तक प्रबंधन-प्रशासन की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं आया तो, मज़दूरों ने कम्पनी गेट को स्थायी रूप से जाम कर दिया।

इस दौरान महा पंचायत का हिस्सा बने मजदूर, महिलाओं और पीड़ित मज़दूरों के बच्चों ने मुख्य कंपनी गेट के सामने बैठ गए और विरोध करना शुरू दिया।

मज़दूरों को अपना समर्थन देते हुए किसानों ने गेट पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लगा दी। किसानों ने मुख्य गेट पर अलाव जला लिया, हुक्का चलने लगा। मुख्य गेट तक टैंट बढ़ा दिया गया। रजाई-गद्दे का इंतजाम कर लिया गया। रात के भोजन की तैयारी चलने लगी। मजदूरों-किसानों ने किच्छा गेट को “गाजीपुर बॉर्डर” बनाने की तैयारी कर ली।

15 दिनों का का समय मांगा

जानकारी के मुताबिक मज़दूरों और किसानों के इन गतिविधियों को देखते हुए प्रशासन ने मज़दूरों से और 15 दिनों का समय मांगा और आश्वासन किया कि 15 दिन के भीतर मजदूरों के साथ न्याय किया जायेगा।

इस आश्वासन के बाद मज़दूरों और किसानों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए घोषणा की कि यदि 15 दिनों के भीतर मज़दूरों के पक्ष में फैसला नहीं आये गया तो मज़दूर 16 वें दिन फिर से कम्पनी गेट को जाम कर देंगे।

इस घोषण के बाद मज़दूरों ने कम्पनी गेट खोल दिया। टैंट और ट्रैक्टर-ट्रॉली हटा लिया। हालांकि कम्पनी गेट पर धरना पहले की ही तरह जारी रहेगा।

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गौरतलब है कि पिछले 13 महीनों से मजदूर अपने शोषण व उत्पीड़न के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। जिसमें सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा फैक्ट्री के बाहर मज़दूर अपने परिवार संग लगातार चौबीसों घंटे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

मज़दूरों का आरोप है कि पिछले 4 वर्षों में मजदूरों के वेतन में कोई वृद्धि नहीं की गई है। बोनस, एलटीए, व अन्य सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। झूठे मुकदमे व आरोप लगाकर मज़दूरों को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही मज़दूर यूनियन के प्रधान दलजीत को प्रबंधन के आला अधिकारियों ने जान से मरने की धमकी भी दी थी। इसके बाद भी मज़दूरों ने कम्पनी गेट पर धरने को कायम रखा है।

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WU Team

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