महिला पहलवानों के समर्थन में आया जाति उन्मूलन संगठन, कहा सभी महिलाओं के यौन उत्पीड़न का हो विरोध
जाति उन्मूलन संगठन ने गुरवार को बैठक कर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने में बैठी महिला पहलवानों की मांगों का पूर्ण समर्थन किया है।
संगठन का कहना है कि भारतीय समाज का एक दूसरा पहलू भी है जिस पर हमें ध्यान रखना होगा। जाति व्यवस्था के चलते भारतीय समाज में दलित जातियों बनाम दबंग जातियों का एक बुनियादी अंतर्विरोध भी मौजूद है। गांवों में , कृषि भूमि पर कुछ विशेष जातियों का सदियों से कब्जा है।
संगठन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हरियाणा में तो जाट जाति का कृषि भूमि पर ख़ासतौर से कब्जा है। इस भूमि पर , सदियों से , बतौर मजदूर के रूप में दलित समुदाय से आने वाले लोग ही कार्यरत रहे हैं और आज भी यह स्थिति बदली नहीं है। इनके बीच मजदूर और मालिक के वर्गीय संबंध ही मौजूद है।
खेतिहर मजदूर के रूप में कार्यरत इन दलित पुरुष और महिला मजदूरों के साथ ये मालिक दबंग जातियों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार को सभी लोग जानते हैं। इन मजदूरों का जातिगत उत्पीड़ित और यौन उत्पीड़न आये दिन की घटनाएं हैं।
इन दलित महिला मजदूरों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न और रेप की घटनाओं पर समाज की विभिन्न जातियां आमतौर से मौन ही रहती आयीं हैं और यह स्थिति आज भी बदली नहीं है।
इन दबंग जातियों का, पूरे महिला समाज के प्रति दृष्टिकोण भी, आमतौर से महिला विरोधी ही है। इनके इलाकों में होने वाले भ्रूणहत्यायों की वजह से लिंग अनुपात में आयी गिरावट को पूरी दुनिया जानती है। इस वजह से इन इलाकों में शादी के लिए दूसरे राज्यों से महिलाएं खरीद कर लाई जाती हैं और यह बात भी जग जाहिर है।
इनका एक और महिला विरोधी व्यवहार यह भी है कि ये लोग शादी -विवाह की गोत्रिय परंपरागत नियमों में किसी भी उलंघन को बर्दाश्त नहीं करतें हैं और अपने ही बेटे बेटियों का , सजातीय या अंतरजातीय प्रेम विवाह करने के लिए आनर किलिंग की अमानवीय कृत्य सरेआम करते रहते हैं।
इस तरह की आनर किलिंग की घटनाएं व्यक्तिगत रूप से भी हुई है और खाप पंचायतों के फरमान से भी हुई हैं। पूरी दुनिया ने इनके इस व्यवहार की निन्दा और भर्त्सना की है और इसे बर्बर माना है। इसके बावजूद इनके इस तरह के महिला विरोधी व्यवहार में कोई खास बदलाव देखने में नहीं आया है। एकाध अपवादों को छोड़कर इन्होंने अपने इन रूढ़िवादी और सामंती मानसिकता की कभी आत्मावलोकन और आत्मालोचना नहीं किया है।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में यह आवाज भी उठ रही है कि केवल दबंग जातियों के महिलाओं के उत्पीड़न का ही नहीं बल्कि सभी समाज के महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों का विरोध होने चाहिए और दबंग जातियों द्वारा दलित समुदाय के महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी ऐसे ही विरोध किया जाना चाहिए।
जाति उन्मूलन संगठन के समन्वयक जेपी नरेला के हवाले से विज्ञप्ति में कहा गया है कि “हम जोर देकर कहना चाहते हैं कि जाति उन्मूलन संगठन सभी जातियों और वर्गों के महिलाओं उत्पीड़न का विरोध करती हैं । जाति उन्मूलन संगठन ने इसके पहले भी इस तरह के महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया है। मगर हमारे इन विरोध प्रदर्शनों में दबंग जातियों का सहयोग और समर्थन नहीं मिला।”
“हम चाहते हैं कि सभी जातियों और वर्गों के महिला उत्पीड़न का विरोध हो और महिलाओं के हितों की सुरक्षा की जाए।”
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