मज़दूरों के लिए कब्रगाह बना जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जानवरों और लोगों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. नेशनल पार्क के अंदर बस नाम की सुरक्षा पर काम कर रहे मजदूरों के लिए तो जैसे ये कब्रगाह बना दिया गया है.
पिछले 11 दिन में दो मजदूरों को काम करते हुए बाघ ने मार डाला है और मौके पर मौजूद दूसरे मज़दूरों ने बोला की मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बाघ को गोली मारी होती तो हमारे साथी की जान बच सकती थी.
इन मज़दूरों के बीच काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता मुनीश बताते है की ” सुरक्षा कर्मियों ने हवाई फायर करने की जगह बाघ को गोली मार दी होती तो मजदूरों की जान बच जाती. उत्तराखंड एवं कार्बेट पार्क में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है और आए दिन बाघ, तेंदूए, हाथी आदि हिंसक जानवर आम लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं”.
मालूम हो की बीते 23 नवम्बर को कुछ मज़दूर जब ढिकाला ज़ोन में सोलर फेंसिंग की मरम्मत कर रहे थे तभी पास के झाड़ियों के निकले बाघ ने काम कर रहे मज़दूर रामु पर हमला कर दिया. हालाँकि मौके पर मौजूद फारेस्ट गार्ड ने हवाई फायरिंग की जिसके बाद बाघ तो भाग गया पर बुरी तरह घायल रामु की रामनगर के अस्पताल में मौत हो गई.
पूर्व में भी कार्बेट नेशनल पार्क में कई मजदूर-कर्मचारी बाघ के हमले का शिकार हो चुके हैं. परंतु पार्क प्रशासन ने मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीरता से काम नहीं किया.
किसी भी जानवर की जान इंसान की जान से ज्यादा कीमती नहीं है. इंसान और जानवर में से पहले इंसान को बचाया जाना चाहिए परंतु वन प्रशासन इंसानी जीवन की शर्त पर बाघ तथा दूसरे जंगली जानवरों का संरक्षण कर रहा है तथा इंसानों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
हमारी मांग है कि पार्क क्षेत्र में मजदूरों को बाघ के सामने निहत्ते काम करवाने के मामलों की जांच करवाई जाए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए व जंगली जानवरों के हमले में मारे गए मजदूरों को 25 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए.
(समाजवादी लोकमंच द्वारा जारी प्रेस रिलीज के आधार पर)
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