आज दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत, सरकार पर वादे पूरे करने का बढाएंगे दबाव
देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं द्वारा आज किसान महांपचायत का आयोजन किया जा रहा है।
तीन साल बाद फिर से आयोजित होने वाली इस महापंचायत में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से सैकड़ों किसान दिल्ली पहुचें हैं।
एसकेएम नेताओं ने कल, 19 मार्च को एक बैठक की और केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट-समर्थक “विकास” पर जोर की कड़ी निंदा की, जो कृषि आय को कम कर रहा है और कॉर्पोरेट लाभ के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने के लिए अग्रसर है।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित इस महापंचायत में किसान, आदिवासी किसान, महिला किसान, खेत मजदूर और प्रवासी मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बेरोजगारी, और बढ़ती निर्वाह व्यय और घटती क्रय शक्ति पर इन नीतियों के प्रभाव के बारे में विस्तार से बात रखेंगे।
सयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि महापंचायत के माध्यम से भारत के किसान अपनी आवाज बुलंद करेंगे, और अपनी मांगें पूरी न होने तक चुप नहीं बैठेंगे।
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सयुक्त किसान मोर्चा की मांग
दरअसल, किसान महापंचायत केंद्र सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा को 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने और किसानों द्वारा सामना किए जा रहे लगातार बढ़ते संकट के समाधान के लिए मोदी सरकर के आगे अपनी 10 सूत्रीय मांगों को रखेंगे।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया और लागू किया जाए।
- एसकेएम ने कई बार स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित ऐजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वादा किया गया था।
- कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80% से अधिक किसान कर्ज में डूब चुके हैं और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी की मांग करता है।
- संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने एसकेएम को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा के साथ विमर्श के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे बिना किसी चर्चा के संसद में पेश कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराता है।
- लखिमपुर खेरी जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान और लखिमपुर खेरी में शहीद और घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के वादे को सरकार पूरा करे।
- अप्रभावी और वस्तुतः परित्यक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।
- सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाए।
- सिंघु मोर्चा पर शहीद किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाए।
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