मणिपुर वायरल वीडियो के बाद पूरे देश में फूटा गुस्सा, उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक प्रदर्शनों का तांता
मणिपुर में कुकी जनजाति की महिलाओं को निर्वस्त्र परेड और सामूहिक बलात्कार का एक वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में आक्रोश फूट पड़ा है।
अभी इस घटना की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि एक और कुकी युवती की झकझोर देने वाली दास्तान द हिंदु अख़बार ने आज छापा है।
इसके अनुसार, 15 मई को 18 साल की एक आदिवासी लड़की को मैतेई समुदाय के महिला संगठन” मीरा पैबिस”( मदर्स ऑफ मणिपुर) ने पकड़ा और उसकी पिटाई कर काले यूनिफॉर्म वाले सशस्त्र उग्रवादियों को सौंप दिया। पिटाई और गैंगरेप के बाद मरणासन्न उस लड़की ने टीले की ऊंचाई से गिरकर जैसे तैसे अपनी जान बचाई।
देश में जगह जगह मणिपुर की बीजेपी सरकार, वहां के विवादित मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, पूर्वोत्तर में नफरत का ज़बर बोने वाले आरएसएस संघ और मणिपुर हिंसा पर 79 दिनों तक चुप्पी साधे, देश विदेश की सैर करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन, पुतला दहन और प्रतिरोध सभाएं हो रही हैं।
देश भर की ट्रेड यूनियनों ने बयान जारी कर इस घटना की निंदा की है और सरकार से तत्काल ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।
बीते चार दिनों में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के चेन्नई और बेंगलुरू, केरल में कई जगहों, पश्चिम बंगाल, ओडिशा में विरोध प्रदर्शन की खबरें हैं।
चेन्नई में प्रदर्शन की तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें
शनिवार को उत्तराखंड में हलद्वानी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) की अगुवाई में सामाजिक संगठनों ने बुद्ध पार्क तिकोनिया में सभा कर मणिपुर सरकार व केंद्र सरकार का पुतला दहन किया।
प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा और प्रधानमंत्री से तत्काल मणिपुर के अंदर शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
उत्तराखंड के रामनगर में समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है इस बात को मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने व उनके साथ गैंग रेप की घटना ने दुनिया को पुनः बता दिया है।
मुनीष कुमार ने कहा कि मणिपुर की घटना भाजपा सरकार द्वारा की जा रही जातीय, नस्लीय व सांप्रदायिक घृणा की राजनीति का परिणाम है। मणिपुर में पिछले ढाई माह में 300 से ज्यादा चर्च जला दिए गए हैं और मैतई आतंकी संगठन कुकी समुदाय का सफाया कर रहे हैं।
गुरुवार 21 जुलाई को छात्रों और नागरिकों ने बनारस में बीएचयू गेट पर प्रदर्शन किया। इसमें भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा के लोग भी शामिल थे।
इसी तरह इलाहाबाद में नागरिक संगठनों, पीयूसीएल ने प्रतिरोध मार्च निकाला।
दिल्ली में जंतर मंतर पर पिछले तीन महीने में कई कई बार प्रदर्शन हुए हैं और एक बार फिर बुधवार को लोग वहां इकट्ठा हुए।
वायरल वीडियो के बाद भड़का गुस्सा
पछास के बयान के अनुसार, मणिपुर के भयानक वीडियो में 2 महिलाओं को एक भीड़ निर्वस्त्र कर एक खुले मैदान की ओर ले जा रही है। बाद में पीड़िता ने जो बताया उससे पता चलता है कि उसके साथ गैंगरेप किया गया और मरा हुआ जानकर छोड़ दिया गया।
इस मामले में कथित तौर पर मुख्य अभियुक्त समेत चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है लेकिन पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर में जिस तरह आरएसएस संघ के लोगों ने मणिपुरी समाज को बांटने का जो दशकों तक मेहनत किया, उसका नतीजा आज इस घिनौनी नफरत के रूप में सामने दिख रहा है।
असल में ये वीडियो चार मई है का जिसके एक दिन पहले मणिपुर के चुराचांदपुर में कुकु और अन्य जनजातियों की एक बड़ी सभा हुई थी और जिसके बाद हिंसा भड़की।
चार मई को राजधानी इंफाल से 35 किमी. दूर कांगपोकपी जिले के ‘बी फैनोम’ गांव की है। चूंकि मणिपुर में 4 मई से ही इंटरनेट बंद है इसलिए ढाई महीने बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया। इस वीडियो से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मणिपुर में बीते ढाई महीने से जारी हिंसा में महिलाओं के साथ किस तरह की यौन बर्बरता हुई होगी, और क्या कुछ घटित हुआ होगा!
पुलिस आरोपियों पर एफआईआर दर्ज होने की बात कह रही है। 18 मई को एफआईआर दर्ज होने के बावजूद भी आरोपियों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्यवाही न करना पुलिस-प्रशासन और सरकार के नाकारा कार्यप्रणाली को दर्शाती हैं। वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर पुलिस और सरकार ने हरकत में आकर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है।
कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की हिंसा जातीय, नस्लीय व सांप्रदायिक घृणा की राजनीति का परिणाम है। मैतई समुदाय कुकी समुदाय का सफाया करने में जुटा है। यह दोनों आपस में लड़कर एक-दूसरे के दुश्मन बने पड़े हैं।
छोटे राज्य में इन हिंसाओं से अभी तक 160 से अधिक लोगों की मौत और 60,000 से अधिक अपने घर से विस्थापित हो गए हैं।
आरएसएस संघ की साजिश?
क्रालोस के बयान के अनुसार, वर्तमान मणिपुर की घटना के पीछे कहीं न कहीं संघ-भाजपा का वह नजरिया है जो उसने महिलाओं के मामले में अपनाया है। साथ ही जातीय-धार्मिक हिंसा व सांप्रदायिकता जिसका हथियार है।
मणिपुर में भी मैतेई समुदाय का वर्षों से संघ-भाजपा ने हिन्दूकरण किया है और ईसाई धर्म को मानने वाली कुकी सहित अन्य जनजातियां के खिलाफ नफरत का बीज बोया है।
दरअसल जो भीड़ उन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रही थी और बलात्कार कर रही थी वह पितृसत्तात्मक मूल्यों के तहत पुरुष प्रधान मानसिकता से लैस होने के साथ संघ-भाजपा द्वारा हिन्दूकरण कर साम्प्रदायिकता के बोए बीज से लैस थी।
जातीय-धार्मिक-साम्प्रदायिक झगड़े, दंगे-फसादों में आखिर कब तक महिलाओं के शरीर को नोचना बंद किया जाएगा? इनमें आखिर कब तक महिलाओं को घृणित तरीके से अपमानित कर सुख लेना बंद किया जाएगा?
मणिपुर की भाजपा सरकार, केंद्र की मोदी सरकार मणिपुर के इन हालातों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली मोदी सरकार के राज में महिलाओं के साथ में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा हैं। यह ‘डबल इंजन’ की सरकार बेपटरी हो चुकी है।
लगभग पिछले 3 महीने से मणिपुर के अंदर जातीय हिंसा की आग सुलग रही है। देश के प्रधानमंत्री दुनियाभर में घूम-घूमकर शान्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं लेकिन उनके पास मणिपुर जाकर शांति कायम करने का समय नहीं हैं।
चहुओर विरोध के 79 दिन बाद प्रधानमंत्री का इस मामले में मुंह खुला तो उन्होंने भी मणिपुर की इन हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं इस पर कोई ठोस बात नहीं की।
कभी क्रांतिकारी मैतेई ने लड़ी थी भारतीय सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई
रेड स्टार के सदस्य और किसान नेता तुहिन देब ने लिखा है- एक समय ऐसा था जब मैतेई समुदाय की महिलाएं,भारतीय क्रूर राज सत्ता,आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट ( आफस्पा) और भारतीय सेना के अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे थे।
सन 2000 में मनोरमा की सेना द्वारा गैंग रेप और क्रूर हत्या के बाद मणिपुर के मालोम में प्रदर्शन कर रहे सेना की असम राइफल्स के गोलीचालन से कई लोग मारे गए।
लौह मानवी इरोम शर्मिला इरोम शर्मिला चानू ने निरंकुश कानून आफस्पा को खत्म करने के लिए १५ वर्षों तक लड़ाई जारी रखी,आमरण अनशन पर डटी रहीं।मणिपुर में माताओं के संगठन ” आपुंबा लूप” ने उनकी लड़ाई को पूरा फैलाया।
2004 में इंफाल में असम राइफल्स के मुख्यालय के सामने इन्ही मेइती समुदाय की महिलाओं के निर्वस्त्र प्रदर्शन( जिसमे वे नारा लगा रही थीं की भारतीय सेना हमारा बलात्कार करो) ने पूरे देश को हिला दिया था।
इसके अलावा मणिपुर में सत्तर दशक के नक्सलबाड़ी विद्रोह से प्रेरित होकर विश्वेश्वर सिंह के नेतृत्व में मार्क्सवाद- लेनिनवाद -माओ विचारधारा का झंडा ऊपर उठाकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और प्रिपाक की गतिविधियों ने भारतीय शासन को बहुत परेशान किया था।
मणिपुर में पहले वामपंथियों का कुछ प्रभाव भी था। इससे पहले मुझे याद नहीं आता की इस कदर मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़की हो।कुकी और नागा समुदाय के बीच झड़पें तो हुई हैं।
लेकिन आज दुनिया के सबसे बड़े और पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस ने कितनी नफरत और विभाजन पैदा की है कि पुरुषों के साथ साथ मेइती महिलाओं की ये दशा हो गई है।इरोम शर्मिला की क्रांतिकारी विरासत आज मिट्टी मे लोट रही है।
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