मोदी सरकार ने एक और सरकारी कारखाने को बेचने के लिए जारी किया टेंडर
भारत सरकार ने इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स लिमि.(आईएमपीसीएल) को बेचने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं. वैद्यनाथ और मैनकाइंड आदि कंपनियों मिनी नवरत्न का दर्जा प्राप्त इस कारखाने को खरीदने की दौड़ में शामिल हैं.
35 एकड़ से भी अधिक भूमि पर स्थित इस कारखाने ने पिछले वित्तीय वर्ष में 45 करोड़ रुपये से भी अधिक का मुनाफा अर्जित किया है. वर्ष 2019 में भी मोदी सरकार ने इस कारखाने को बेचने का प्रयास किया था. तब मज़दूर- कर्मचारियों के विरोध व कोरोना लॉक डाउन के कारण कंपनी को बेचने की प्रक्रिया रोक दी गई थी.
इस कारखाने से सैकड़ों मज़दूर-कर्मचारियों की ही जीविका नहीं चलती है बल्कि क्षेत्र के किसान व अन्य लोग भी जड़ी-बूटियों ,उपले,गौ-मूत्र आदि की कारखाने में आपूर्ति कर अपनी जीविका चलाते हैं. कारखाने के बेचने की कार्यवाही ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पहाडों से पलायन रोकने के लिए बनाया गया पलायन आयोग एक ढकोसले मात्र है.
पिछले 4 वर्षों में मोदी सरकार 1.92 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की सार्वजनिक सम्पतियों पूंजीपतियों को बेच चुकी है. आईएमपीसीएल को भी ऐसी कड़ी में मोदी सरकार ने बाजार में बोली लगाने के लिए प्रस्तुत कर दिया है. जन प्रतिनिधियों ने इसके विनिवेश के सवाल पर चुप्पी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है .
मज़दूर-कर्मचारियों ने इस कारखाने को आने खून-पसीने से सींचकर खड़ा किया है.सरकार की जिम्मेदारी इस कारखाने को और अधिक आगे बढ़ाए व इसमें काम कर रहे मज़दूरों को नियमित रोजगार दे लेकिन सरकार इसे बेचने पर अमादा है.
ठेका मज़दूर कल्याण समिति,मोहान के अध्यक्ष किशन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि ” इस कारखाने को बेचने के लिए व अन्य मांगों को लेकर आगामी 8 दिसंबर,शुक्रवार को दिन में 11 बजे से एक आम पंचायत का आयोजन आईएमपीसीएल कारखाना गेट,मोहान जिला अल्मोड़ा में किया जा रहा है, और हम सभी लोगों से ये गुजारिश करते हैं कि वो भरी संख्या में पहुँच कर हमारे इस लड़ाई में सहभागिता दें.”
(ठेका मज़दूर कल्याण समिति द्वारा जारी प्रेस रिलीज के आधार पर)
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