दिल्ली : डेढ़ महीने में 200 से ज्यादा बाल मजदूरों करवाया गया मुक्त
दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को एक बाल संगठन द्वारा सूचित किया गया कि पिछले डेढ़ महीने में उन्होंने 200 बाल मजदूरों को मुक्त करवाया है और छापेमारी का अभियान अभी जारी है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की खंडपीठ के समक्ष एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पेश की गयी। इसमें कारखानों में काम करने वाले बच्चों की दुर्दशा के बारे में बताया गया था। NGO का कहना है कि बाल मज़दूरों के तौर पर काम करने वाले ऐसे 200 बच्चों को मुक्त करवाया गया है, जो ज्वलनशील सामग्री से भरी हुई बहुत छोटी इकाइयों में अवैध रूप काम कर रहे थे।
याचिका 8 दिसंबर, 2019 की एक घटना के बाद दायर की गई थी। दरअसल, 2019 में दिल्ली के सदर बाजार में स्थित अनाज मंडी की एक इमारत में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 12 से 18 साल के 12 बच्चों सहित 43 मज़दूरों की मौत हो गई थी।
बीबीए का प्रतिनिधित्व करते हुए, एडवोकेट प्रभासहाय कौर ने अदालत को सूचित किया कि उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि दिल्ली के श्रम विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग और नगर निगम के समन्वय से दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रत्येक जिले के पुलिस उपायुक्त की देखरेख में समितियों का गठन किया जाए।
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इसके अलावा कोर्ट ने आदेश दिया था कि इन इकाइयों में काम करते पाए जाने वाले बच्चों को बचाया जाना चाहिए और इस न्यायालय द्वारा 20.09.2019 के आदेश दिनांक 20.09.2019 को CRL.M.A.35002/2018 में W.P.(CRL) 2069/2005 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाना चाहिए।
दरअसल, उच्च न्यायालय ने 2019 में बाल श्रम के मुद्दे से निपटने के लिए दिल्ली सरकार को कई निर्देश जारी किए थे।
उच्च न्यायालय ने पहले भी दिल्ली सरकार को उन 183 स्थानों की तलाशी लेने और जांच करने का निर्देश दिया था जहां बच्चे कथित रूप से काम कर रहे थे, साथ ही की गई कार्रवाई पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा था।
वहीं दिल्ली पुलिस द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट यह भी बताती है कि 1 दिसंबर, 2019 से 31 जनवरी, 2023 के बीच लगभग 1,755 बाल मजदूरों को बचाया गया है। याचिकाकर्ता बचपन बचाओ आंदोलन के अनुसार, जनवरी से 25 मार्च के बीच की गई छापेमारी में लगभग 205 बच्चों को बचाया गया है और ऐसे 101 परिसरों को सील कर दिया गया है।
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