मज़दूर नेता कलादास डहेरिया के घर एनआईए का छापा, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने की कड़ी निंदा
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित ट्रेड यूनियन नेता कलादास डहेरिया के घर गुरुवार सुबह पहुंची केंद्रीय जांच एंजेसी (एनआईए) द्वारा कार्रवाई की गई है, जिसकी मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने कड़ी निंदा की है।
कलादास डहेरिया सफाई मजदूरों के संगठनों के लिए सक्रिय रहें हैं। केंद्रीय एजेंसी एनआईए भारी सुरक्षाबलों के साथ उनके पहुंची थी।
सुबह ही उनके घर पर भारी भीड़ जमा होने के वीडियो और तस्वीरें वायरल हो गईं।
वो छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित ट्रेड यूनियन नेता, एक लोकप्रिय सांस्कृतिक कर्मी हैं। इसके अलावा वो पीयूसीएल छत्तीसगढ़ के वाइस प्रेसिडेंट हैं।
और प्रमुख ट्रेड यूनियन नेता और ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज से जुड़े ट्रेड यूनियन में काम करते हैं।
एक वीडियो में वो ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि ‘किसानों और मजदूरों के लिए काम करना सरकार को बर्दाश्त नहीं है, इनके हक़ के लिए आवाज़ उठाना सरकार को नागवार गुजर रहा।’
छापेमारी की सूचना पर पहुंचे पत्रकारों से चर्चा करते हुए कलादास डेहरिया ने छापेमारी को आवाज को बंद करने की साजिश बताया।
कलादास ने कहा, “मैं कलेक्ट्रेट समेत हर जगह किसानों और मजदूरों के लिए आवाज उठाने पहुंचता रहता हूं। हमारा विरोध सरकार को बर्दाश्त नहीं है। इसीलिए उनकी आवाज को बंद कराने के लिए छापेमारी कराई गई है।”
पीयूसीएल ने बयान जारी कर की निंदा
कई ट्रेड यूनियन संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है और उन पर कड़े आतंकनिरोधी क़ानून यूएपीए लगाने की कोशिशों को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
देश के जाने माने मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) के राष्ट्रीय और छत्तीसगढ़ कार्यालय ने एक विस्तृत बयान जारी कर इस छापेमारी की कड़ी निंदा की है।
पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव और पीयूसीएल के छत्तीसगढ़ अध्यक्ष डिग्री प्रसाद चौहान ने लिखित बयान में कहा है कि “यूएपीए के अलावा कलादास डहेरिया को अन्य किसी मामले में घसीटना नहीं चाहिए और उनके पास से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को तुरंत वापस करना चाहिए।”
बयान में मांग की गई है कि “सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वालों की आवाज़ को दबाने और उन्हें अपराधी बनाने की कोशिशों को तुरंत बंद किया जाना चाहिए।”
बहरहाल, अभी तक एनआईए की छापेमारी के पीछे का कारण सामने नहीं आया है और न ही एनआईए का आधिकारिक बयान आया है।
कलादास ने बताया कि उनके घर से एनआईए ने कई दस्तावेज लिए हैं साथ ही उनके परिवार वालों से भी पूछताछ की गई।
कलादास के सांस्कृतिक मंच ‘रेला’ को लेकर उन्होंने कहा कि, “हमारा बाहर से कोई फंडिंग नहीं है। रेला एक सांस्कृतिक मंच है, जिसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोकगीतों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाता है। इसमें जन गीत भी शामिल हैं। इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि हमारा किसी के साथ कनेक्शन है।’
चार घंटे तक तलाशी, फ़ोन, पेनड्राइव और लैपटॉप ले गए
चार वैन में भर कर आई एनआईए की टीम ने एक निम्न मध्यवर्गीय इलाक़े में स्थित कलादार डहेरिया के छोटे से घर में चार घंटे तक तलाशी की।
पीयूसीएल के बयान के अनुसार, उनका फ़ोन, एक बंद पड़ चुका पुराना लैपटॉप और पांच पेनड्राईव को एनआईए के लोग ले गए। लैपटॉप कलादास डहेरिया की बेटी का था जो वर्धा में मीडिया स्टडीज़ की पढ़ाई कर रही थी तब एसाइनमेंट के लिए लिया था। चार पेनड्राईव सांस्कृतिक प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग से भरी थी।
पुलिस ने कलादार डहेरिया के भाई का फ़ोन भी ज़ब्त कर लिया और सिम निकाल कर दे दिया।
कलादास ने बताया कि यह टीम रांची से पहूुंची थी, ऐसा उन्होंने बताया और कहा कि तड़के दरवाज़ा पीटने की आवाज़ सुनकर उनकी आंख खुली। एनआईए की टीम ने चार घंटे तक तलाशी ली और इस दौरान न पड़ोसियों से और ना ही उनके वकील से मिलने की इजाज़त दी। यहां तक कि आस पड़ोस के घरों को बाहर से भी बंद कर दिया गया था।
उन्होंने बताया कि एनआईए टीम ने कोई वारंट नहीं दिखाया, उन पर लगे आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और सिर्फ कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों के सिलसिले में ये कार्रवाई की जा रही है।
पीयूसीएल ने अपने बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एनआईए के एक मामले में आदेश दिया था कि गिरफ़्तारी के समय वारंट दिखाना, वकील से मिलने देना और मामले की जानकारी देना ज़रूरी है। और इस आधार पर गिरफ़्तारी को अवैध ठहराया जा सकता है।
पीयूसीएल ने कहा कि एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना की और गैरक़ानूनी तरीक़े से छापेमारी को अंजाम दिया।
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