महाराष्ट्रः फणनवीस के सुर बदले, ओल्ड पेंशन स्कीम पर पहला बीजेपी शासित राज्य झुकने को तैयार
ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का तीव्र विरोध करने वाली बीजेपी का रुख़ नरम पड़ गया है, अब अपने ही शासन वाले एक राज्य महाराष्ट्र में वो इसे लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
एक महीने पहले बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बोझ बताया था लेकिन बुधवार को उनका सुर बदला बदला दिखा।
इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर “नकारात्मक नहीं” है।
इसके दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहा था कि राज्य में ओबीएस बहाल करने को लेकर सरकार सकारात्मक है और इस पर अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि “मैं स्पष्ट कर दूं कि हम ओपीएस के बारे में नकारात्मक नहीं हैं। हम वित्त और अन्य विभागों से इस पर चर्चा करेंगे। लेकिन समाधान जो भी हो, यह दीर्घकालीन होना चाहिए न कि कुछ समय के लिए।”
वहीं विपक्षी दाल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर वैचारिक धावा बोलते हुए देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि कहा, “ये लोग केवल (ओपीएस के बारे में) बात करते हैं।
लेकिन अगर वर्तमान पेंशन योजना को पुराने में बदलने की बात हो रही है तो ऐसा हममें ही ऐसा करने का साहस है, ये लोग नहीं कर सकते।”
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बढ़ते दबाव में बीजेपी
औरंगाबाद मंडल शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से 30 जनवरी को होने वाले विधान परिषद चुनाव लड़ रही भाजपा उम्मीदवार किरण पाटिल के लिए आयोजित एक रैली में फडणवीस ने संबोधन में पेंशन योजना के बारे में बात की। पाटिल को एनसीपी के मौजूदा एमएलसी विक्रम काले के खिलाफ खड़ा किया गया है और उन्होंने ओपीएस में वापस जाने की मांग की है।
दरअसल, देवेंद्र फडणवीस की टिप्पणी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा राज्य के कर्मचारियों को आश्वासन दिए जाने के कुछ दिनों बाद आई है।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि टीचरों और सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने को लेकर राज्य सरकार का रुख़ सकारात्मक है।
विधान परिषद चुनावों के लिए एक रैली में शिंदे ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र का एजुकेशन डिपार्टमेंट ओपीएस पर विचार कर रहा है।
ओपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को एक निश्चित राशि पेंशन के तौर पर दी जाती है। इसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी को उसके अंतिम वेतन की आधी रकम पेंशन के रूप तय की जाती है।
जबकि न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में बहुत मामूली पेंशन दिया जाता है और वो भी कर्मचारियों की जमा राशि को शेयर बाज़ार में सट्टा पर लगाकर।
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पहला राज्य जहां बीजेपी भी सत्ता में है
गौरतलब है कि अगर महाराष्ट्र पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटता है, तो ऐसा करने वाला देश का पहला भाजपा शासित (शिंदे की सेना के साथ गठबंधन में) राज्य होगा।
जबकि बीजेपी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के वित्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को लेकर ओपीएस पर वापस लौटने के खिलाफ अगाह कर चुकी हैं।
हालाँकि, तीन कांग्रेस शासित राज्यों, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है। जबकि गैर कांग्रेस शासित राज्य झारखंड और पंजाब की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू करने का फैसला ले लिया है।
हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया है।
वहीं छत्तीसगढ़ ओपीएस को लागू करने वाला पहला राज्य है। और हाल ही में पंजाब में ‘आप’ सरकार ने OPS लागू करने का नोटफिकेशन जारी किया है।
हैरानी की बात यह है कि अब तक, फडणवीस को छोड़कर किसी भी भाजपा नेता ने OPS के पक्ष में बात नहीं की है। महाराष्ट्र पहला भाजपा शासित राज्य है जिसने सार्वजनिक रूप से ओपीएस को वापस लाने के प्रति सकारात्मक रवैया दिखाया किया है।
जहां एक महीने पहले ही फडणवीस ने पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने से इनकार किया था। वहीं अब फडणवीस का बयान उनकी पार्टी के स्टैंड के विपरीत है।
बीते 22 दिसंबर को राज्य विधानसभा में भाजपा विधायक राम सतपुते के सवाल का जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा था, ‘सरकार पुरानी पेंशन योजना को पुनर्जीवित नहीं करेगी।’
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पहले कहा था बोझ
फणनवीस ने पहले दावा किया था कि OPS कि बहाली से सरकारी खजाने पर 1.10 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इस दौरान उन्होंने विधानसभा को बताया कि सरकार को राज्य के व्यापक हित में राजकोषीय हालात को ध्यान में रखना होगा।
फडणवीस के इस बयान के बाद विपक्षी कांग्रेस ने फडणवीस पर आलोचना करते हुए उनसे पूछा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहने के पांच साल के दौरान उन्होंने ओपीएस में वापसी क्यों नहीं की?
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंधे का कहना है, “सरकारी कर्मचारियों के बढ़ते दबाव और कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजनाओं को लागू करने के कारण देवेंद्र फडणवीस की सोच बदली हुई लगती है। लेकिन चाहे कुछ भी हो, पुरानी पेंशन योजना लागू होनी चाहिए।”
पूरे देश में NSP का विरोध हो रहा है और OPS कि बहाली की मांग हो रही है, जिसको लेकर कई ट्रेड यूनियनें लगातार प्रदर्शन कर रही हैं।
दरअसल, नई पेंशन योजना पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित है। NPS के तहत कर्मचारी द्वारा पूरे कार्यकाल में इकट्ठा किए गए पैसे को शेयर बाज़ार में सट्टे पर लगा दिया जाता है। जिसके बाद पेंशन भोगियों को इस बात का पता ही नहीं होता को उनको कितनी पेंशन मिलेगी।
कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि NPS में पेंशन भोगियों को कई बार भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
कर्मचारियों का दावा है कि NPS के तहत पेंशन पाने वाले पूर्व कर्मचारियों को महज दो तीन हजार मिलते हैं जिसमें उनकी दवाएं भी पूरी नहीं पड़ती हैं। यही कारण है जिसको लेकर लगातार OPS को बहाल करने की मांग की जा रही है।
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