ओडिशाः वेदांता को ज़मीन देने पर सुनवाई से पहले गिरफ़्तारियां, गवर्नर को लिखी चिट्ठी
80 से अधिक वकीलों, कानूनी शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने आज ओड़िशा के राज्यपाल को पत्र लिखकर वेदांता लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित सिजीमाली बॉक्साइट खदान के लिए आगामी सार्वजनिक सुनवाई की प्रत्याशा में रायगडा जिले से लगभग 2 दर्जन लोगों की अवैध गिरफ्तारियों और हिरासत के बारे में गंभीर चिंता जताई है.
यह सार्वजनिक सुनवाई संविधान की V अनुसूची के अंतर्गत के आने वाले 1549 हेक्टेयर क्षेत्र को खाली करने के लिए आयोजित की जा रही है .
प्रोफ़ेसर कल्पना कन्नाबिरन, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, गौतम भाटिया, जैसे कानूनी विशेषज्ञों ने इस पत्र में प्रभावित समुदायों की स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए राज्यपाल से सार्वजनिक सुनवाई को तत्काल रोकने की मांग की है.
पत्र में बताया गया है कि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के तहत उचित परामर्श करने के बजाय, राज्य सरकार ने मंजूरी हासिल करने के लिए जबरदस्ती का माध्यम और दमन का दृष्टिकोण अपनाया है.
अगस्त की शुरुआत से, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने काशीपुर गांव के लोगों के खिलाफ आधी रात को छापेमारी, अवैध हिरासत और गिरफ्तारियां की हैं . नियमगिरि सुरक्षा समिति के नौ प्रमुख कार्यकर्ताओं, जिनमें लाडा सिकाका, द्रेंजू सिकाका, लिंगराज आजाद और कवि लेनिन कुमार शामिल हैं, का भी नाम गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दाखिल एफआईआर में दर्ज किया गया है .
अगस्त 2023 में गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2017 के विजेता, प्रफुल्ल सामंतरा का चेहरा ढंककर और हाथ बांधकर अपहरण करके उन्हें रायगड़ा से उनके गृहनगर ले जाया गया. इसके अलावा, पुलिस के साथ-साथ मेसर्स वेदांता लिमिटेड से संबंधित माइथ्री लिमिटेड के एक अधिकारी द्वारा भी कई एफआईआर दर्ज की गई है जिनमे कुल मिलाकर लगभग सौ व्यक्तियों के साथ-साथ सैकड़ों अन्य अज्ञात लोगों को नामित किया है.
ऐसे में, गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजन अपनी जमानत सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, साथ ही इन खुली एफआईआर के तहत आगे उत्पीड़न का खतरा भी मंडरा रहा है.
जहाँ एक तरफ प्रमुख नेता जेल में हैं या उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, वही राज्य सरकार सविंधान की पांचवीं अनुसूची, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम और पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 में दी गयी कानूनी आवश्यकताओं का अनुपालन किए बिना, सार्वजनिक सुनवाई पर जोर दे रही है.
गौरतलब है की परियोजना के लिए आशय पत्र को इस साल मार्च में ही मंजूरी दे दी गई थी, और प्रभावित समुदायों के स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति के अधिकार की परवाह किए बिना मंजूरी प्रक्रिया बेवजह तीव्र गति से आगे बढ़ रही है.
ध्यान देने योग्य बात यह है कि बॉक्साइट खदान 1500 हेक्टेयर से अधिक वर्षावनों में प्रस्तावित है जो बड़ी जैव विविधता, जल निकायों और स्थानीय आजीविका का जीवनाधार हैं.यह सभी स्वतंत्र, पर्याप्त और पारदर्शी पर्यावरणीय और सामाजिक मूल्यांकन के अभाव में गंभीर रूप से प्रभावित होंगे.
पत्र में राज्यपाल से अगस्त 2023 से जेल में बंद लोगों को रिहा करने और यूएपीए के तहत सभी आपराधिक कार्यवाही वापस लेने का आह्वान किया गया है, ताकि उनके स्वतंत्र रूप से परामर्श में भाग लेने के अधिकार को बरकरार रखा जा सके.
पत्र में राज्यपाल से यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया गया है कि प्रस्तावित बॉक्साइट खदान के बारे में सभी जानकारी कानून के अनुपालन में विधिवत उपलब्ध कराई जाए, और सार्वजनिक सुनवाई को तब तक रोक दिया जाए जब तक कि स्वतंत्र और खुली लोकतांत्रिक भागीदारी का माहौल सुनिश्चित न हो जाए.
राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में लोगों ने उन्हें प्रस्तावित सिजिमाली बॉक्साइट खनन परियोजना के कारण इलाके में व्याप्त भय और उत्पीड़न के तनावपूर्ण माहौल पर कारवाई के साथ-साथ 16 अक्टूबर को होने वाली सार्वजनिक सुनवाई कि अधिसूचना को रद्द करने कि मांग कि गई है.
चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया गया है कि मेसर्स वेदांता लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित यह सिजिमाली बॉक्साइट परियोजना, 1549 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. जिसमें अठारह गाँव शामिल हैं, जो बीस से अधिक आरक्षित वनों और नौ जल निकायों के भीतर या उनके निकट है. रायगड़ा और कालाहांडी दोनों संविधान की पांचवी अनुसूची क्षेत्र हैं जहां प्रमुख अनुसूचित जनजाति आबादी है, जिसमें कोंध आदिवासी, परजा और डोम दलित समुदाय शामिल हैं और अन्य जातियों और समुदायों का एक छोटा प्रतिशत भी शामिल है.
राज्यपाल को चिट्ठी के माध्यम से बताया गया कि किस तरह सार्वजनिक सुनवाई काशीपुर और रायगड़ा जिले के अन्य हिस्सों के लोगों के एक महीने के तीव्र दमन और उत्पीड़न के बाद अधिसूचित की गई है.अगस्त की शुरुआत से, जब पुलिस ने अपने गांव में खनन के लिए मेसर्स माइथ्री कॉरपोरेशन के प्रवेश का विरोध करते सौ से अधिक व्यक्तियों की शांतिपूर्ण सभा को बाधित किया और गैरकानूनी घोषित कर दिया, तब से आज तक, रायगड़ा, विशेष रूप से काशीपुर तहसील के लोग, डर, भय और आतंक के दमनकारी माहौल में जी रहे हैं. गांव में पुलिस की सक्रिय मौजूदगी महसूस की जा रही है और लोगों की गिरफ्तारियां जारी हैं.
तमाम वकीलों, कानूनी शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने चिट्ठी के माध्यम से बताया कि ऐसे तनावपूर्ण माहौल में प्रस्तावित बॉक्साइट खदान की सार्वजनिक सुनवाई को आगे बढ़ाने का ओडिशा सरकार का निर्णय न केवल अवैध है, बल्कि संविधान की पांचवी अनुसूची, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम के तहत लोगों के अपने पारंपरिक मातृभूमि के संवैधानिक अधिकारों पर गंभीर हमला है. ओडिशा में रायगड़ा और कालाहांडी जिले समृद्ध जैव विविधता वाले प्राचीन घने वर्षावनों का घर हैं, जिनमें से सभी खनन और निष्कर्षण परियोजनाओं द्वारा नष्ट हो जाएंगे. जमीनी स्तर पर, पिछले दो दशकों में अकेले ओडिशा में, हजारों लोगों को उनकी भूमि और जल के प्रबंधक की ऐतिहासिक भूमिका से बेदखल और विस्थापित किया गया है.
चिट्ठी में बताया गया है कि सरकार के इस फैसले कि खिलाफत करने के कारण स्थानीय नेताओं और कई अन्य व्यक्तियों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और गिरफ्तार किया गया. काशीपुर में 04 अगस्त 2023 के विरोध प्रदर्शन में व्यवधान के बाद से, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने गांवों में आधी रात को छापेमारी की है. बीस से अधिक व्यक्तियों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और प्रताड़ित किया गया. उनमें से अधिकांश को बाद में आईपीसी, शस्त्र अधिनियम और सीएलए के विभिन्न प्रावधानों के तहत औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें से सबसे चौंकाने वाली एफआईआर पीएस काशीपुर में 2023 की एफआईआर संख्या 93, 96, 97 हैं, जो एक-दूसरे की नकल हैं, 08 अगस्त 2023 को क्रमिक रूप से दर्ज की गई हैं, जिसमें ग्यारह लोगों को नामित किया गया है और सौ अन्य अज्ञात हैं. इसी तरह, मेसर्स माइथ्री लिमिटेड के एक अधिकारी द्वारा दायर एफआईआर – संख्या 101 दिनांक 12 अगस्त 2023, में 94 लोगों के नाम हैं और सौ अन्य अज्ञात हैं.
मालूम हो कि पांचवी अनुसूची, पेसा, एफआरए का उल्लंघन: जिन भूमियों और जंगलों पर बॉक्साइट खदान प्रस्तावित है, वे पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं. जो आदिवासियों के अपने पारंपरिक मातृभूमि पर स्वशासन के अधिकार के अधीन है. 1997 में समता बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक और निजी निगमों सहित गैर-आदिवासियों के पक्ष में पांचवी अनुसूची भूमि के परिवर्तन पर रोक लगा दी थी. 2013 में फिर से, उड़ीसा खनन निगम बनाम पर्यावरण और वन मंत्रालय में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (एफआरए) के तहत ग्राम सभाएं, जो की ओडिशा राज्य में ‘पल्ली सभाएं है, को ही सामुदायिक भूमि और जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित निर्णय लेने का अंतिम अधिकार है.
इस मामले में, प्रभावित ग्राम सभाओं जिन्हें अपने पारंपरिक जंगलों और मातृभूमि को प्रभावित करने वाले सभी निर्णयों में भाग लेने का अधिकार है, उनके साथ कोई पूर्व परामर्श नहीं किया गया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि 2013 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी इन्हीं जिलों में मेसर्स वेदांता लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित बॉक्साइट खदान से संबंधित था, हालांकि वर्तमान सिजिमाली बॉक्साइट खदान में प्रस्तावित की तुलना में अलग और छोटे क्षेत्रों को कवर किया गया था.
पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए)-अनिवार्य सार्वजनिक सुनवाई प्रक्रिया के अनुपालन का अभाव: ईआईए अधिसूचना 2006 [परिशिष्ट IV] के तहत, पूर्ण ईआईए रिपोर्ट और न केवल कार्यकारी सारांश को शहरी स्थानीय निकायों/पंचायतों/ सार्वजनिक पुस्तकालय आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने की आवश्यकता है.
आखिर में सभी वकील – अधिवक्ता, कानूनी शोधकर्ता और शिक्षाविद ने चिट्ठी में राज्यपाल से निवेदन करते हुए कहा कि “हम आपसे कानून के शासन को बनाए रखने और सार्वजनिक सुनवाई को तब तक स्थगित करने का आह्वान करते हैं जब तक कि प्रभावित समुदायों को स्वतंत्र रूप से, बिना किसी डर के और पूरी जानकारी के साथ भाग लेने का उचित अवसर न मिल जाए”.
साथ ही उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि :
● 04 अगस्त 2023 से रायगड़ा और कालाहांडी के लोगों के खिलाफ की गयी सभी आपराधिक कार्यवाही तुरंत वापस लेने और गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए सभी लोगों को जेल से रिहा करने का आदेश दें. उन सभी लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए जिन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और प्रताड़ित किया गया है.
● नियमगिरि सुरक्षा समिति से जुड़े स्थानीय नेताओं के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 87/2023 को तुरंत वापस लेने का आदेश दें.
● एफआरए के तहत प्रभावित पल्ली सभाओं के साथ उचित परामर्श किए जाने तक सार्वजनिक सुनवाई को स्थगित करें.
● पूर्ण ईआईए रिपोर्ट सहित प्रस्तावित परियोजना पर सभी प्रासंगिक जानकारी को स्थानीय भाषाओं में जनता के लिए सभी आवश्यक साइटों पर जारी करने की तुरंत व्यवस्था करें.
● सुनिश्चित करें कि प्रभावित समुदायों के पास किसी भी प्रस्तावित सार्वजनिक सुनवाई से पहले अपने जीवन, आजीविका और जैव विविधता पर प्रस्तावित परियोजना के प्रभाव के बारे में ठीक से जानकारी प्राप्त करने और समझने के लिए पर्याप्त समय हो.
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