ओल्ड पेंशन स्कीम रेवड़ी है- कांग्रेस के चहेते अहलूवालिया का एक और विवादित बयान
कांग्रेस के चहेते और यूपीए शासन के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पुरानी पेंशन योजना को सबसे बड़ी रेवड़ी करार देते हुए कहा है किराजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की बात हो रही है, लेकिन कुछ खर्चों से छुटकारा पाने का कोई सुझाव नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अहलूवालिया ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी (मुफ्त उपहार) को लेकर सही कहा है।”
अहलूवालिया ने कहा, ‘‘पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना अब तक की सबसे बड़ी रेवड़ियों में से एक है।’’
हालही में द हिंदू में रिसर्च स्कालर और प्रेफ़ेसर ने एक लेख लिख कर समझाया कि क्यों नई पेंशन स्कीम की तुलना में ओल्ड पेंशन स्कीम पेंशन धारकों के लिए ज्यादा बेहतर है।
इस लेख के अनुसार, सरकारों का यह तर्क बेबुनियाद है कि न्यू पेंशन स्कीम (NPS) पेंशन धारकों के लिए अधिक फायदेमंद है और इससे सरकारी खजाने पर भार भी कम होगा।
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पीएम का बयान और विपक्ष का जवाबी हमला
ओपीएस के तहत केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारियों को अंतिम आहरित मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन तय की गई थी। जिसको 1 जनवरी, 2004 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजेपीय सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था।
जिसके बाद नई पेंशन योजना की एक नई प्रणाली लागू हुई, जिसमें परिभाषित अंशदान में टीयर 1 के तहत कर्मचारी द्वारा मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत और सरकार द्वारा समान योगदान शामिल था जिसे बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया।
ज्ञात हो कि जुलाई 2022 में देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वोट जीतने के लिए राजनीतिक दलों को “रेवड़ी” बांटने को बढ़ावा देने पर आपत्ति जताई थी.
जिसके बाद विपक्ष के दलों में एक बहस शुरू हो गयी थी। आम आदमी पार्टी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नेताओं ने पीएम पर गैर-भाजपा दलों द्वारा वादा किए गए कल्याणकारी योजनाओं और राज्य सब्सिडी को टारगेट करने का आरोप लगाया।
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अहलूवालिया के विवादित बयान
जुलाई 2021 में अहलूवालिया ने पंजाब की तत्कालीन अमरेंद्र सिंह सरकार को पुलिस भर्ती पर रोक लगाने, किसानों को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी को बंद करने, अनाज खरीद प्रक्रिया से बाहर आने और पंजाब रोडवेज को कॉरपोरेशन बनाने की सलाह दी थी।
अमरेंद्र सरकार ने उन्हें आर्थिक सलाहकार बनाया था और अहलूवालिया ने पंजाब के वित्तीय संकट से उबरने के लिए ये सुझाव दिए थे।
यही अहलूवालिया हैं जिन्होंने मोदी सरकार के राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन योजना का खुलकर समर्थन किया। इस योजना के तहत सरकारी कंपनियों और संपत्तियों को निजी कंपनियों को बेचने का कार्यक्रम है।
विपक्ष ने इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और ट्रेड यूनियनों ने निजीकरण की इस परियोजना को लेकर तीखा विरोध जताया।
लेकिन लगता है कि कांग्रेस के सबसे अहम चेहरा अहलूवालिया मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के नक्शेकदम को ही सही मानने लगे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के आर्थिक सलाहकार और मोदी सरकार नीतियों में क्या अंतर है?
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बहाली के लिए धरने-प्रदर्शन जारी
देशभर में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली के लिए धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसका ट्रेड यूनियनें साथ दे रही हैं।
कुछ कांग्रेस शासित राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल भी किया है। जिसमें सबसे पहले कांग्रेस शासित राज्य झारखंड और राजस्था की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू कर दिया है वहीं छत्तीसगढ़ ओपीएस को लागू करने वाला पहला राज्य है। और हालही में पंजाब में ‘आप’ सरकार ने OPS लागू करने का नोटफिकेशन जारी किया है।
वतर्मान में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाली एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। हिमाचल में चुनाव हो चुके हैं और कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश में विधान सभा चुनाव होने वाला हैं। इन सभी राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है।
कांग्रेस ने हिमाचल और गुजरात में तो चुनावी वादा भी कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनना तय है। वहां कांग्रेस की सरकार बनने पर सरकारी कर्मचारियों को OPS के तहत पेंशन मिलेगी।
गौरतलब है कि 2004 में तत्कालीन बीजेपी नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को खत्म कर दिया था। अब भी कई राज्य सरकारों का मानना है कि नई पेंशन स्कीम ज्यादा फायदेमंद हैं।
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