ओल्ड पेंशन स्कीम : मोदी सरकर ने प्रदर्शनों में कमचारियों के भाग लेने पर लगाई रोक, एटक ने किया विरोध
जहां एक तरफ देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली को लेकर सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है। वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार ने बीते 20 मार्च 2023 को एक आदेश जारी कर कर्मचारियों को किसी भी पेंशन स्कीम के विरोध में भाग लेने से मना कर दिया है।
केंद्र सरकार के इस बयाना का आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने विरोध किया है। यूनियन की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, एटक की अध्यक्ष अमरजीत कौर का कहना है कि केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी, अर्धसैनिक बल, राज्य सरकार के कर्मचारी और शिक्षक के लिए भाजपा सरकार द्वारा 2003 में शुरू की गई कोई गारंटी नहीं पेंशन योजना (एनपीएस) के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन में हैं।
उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2004 को एनडीए ने ओपीएस स्कीम को बंद कर दिया था और इसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लागू की थी, जिसके तहत सरकारी कर्मचारी को मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा देना होता है और राज्य सरकार इसमें केवल 14 फीसदी का योगदान देती है।
एटक का आरोप है कि इसके लागू होने के 19 साल बाद एनपीएस की पोल पूरी तरह से खुल गई है और कर्मचारियों को हर महीने अपने वेतन का 10 फीसदी अंशदान करने के बाद महज 2000 से 3000 रुपये पेंशन मिल रही है।
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सरकार ने दिखाया क्रूर रूप
अमरजीत का कहना है कि कर्मचारियों को इस अन्याय और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का पूरा अधिकार है। लेकिन मोदी सरकार ने 20 मार्च 2023 को एक आदेश जारी कर एक बार फिर अपने कर्मचारियों के प्रति अपना क्रूर चेहरा दिखाया है, जिसमें कर्मचारियों को किसी भी एनपीएस के विरोध में भाग लेने की अनुमति नहीं है। विपक्षी आंदोलन में शामिल होने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और राज्य सरकार के बैनर तले कर्मचारियों के संयुक्त आंदोलन ने मोदी सरकार को हिला कर रख दिया है।
यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार का यह आदेश विशेष रूप से भेदभावपूर्ण है क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट करों को कम कर रही है। हाल ही में, जब महाराष्ट्र में राज्य सरकार के कर्मचारी हड़ताल पर गए, तो भाजपा सरकार ने उन्हें ओपीएस देने के सवाल पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया?
एटक द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों की भावनाओं का सम्मान करने के बजाय, जो कर्मचारी सरकार की रीढ़ हैं और जिन्होंने कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के दौरान केवल देश और लोगों की सेवा की है, सरकार उनके प्रति कठोरता का सहारा ले रही है।
एटक ने मोदी सरकार के इस कर्मचारी विरोधी रवैये की कड़ी निंदा करते हुए मांग कि है कि 20 मार्च 2023 को जारी बयान को केंद्र सरकार तत्काल वापस ले और सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को बहाल करे।
इसके अलावा एटक ने केंद्र और राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के साथ अपने पूर्ण समर्थन देने की बात कही है जो पुरानी पेंशन योजना पर अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूनियन का कहना है कि पेंशन भीख नहीं है और नियोक्ता की मर्जी से भुगतान नहीं किया जाता है। यह हर कर्मचारी का अधिकार है।
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कई राज्यों में बहाल हो चुकी है OPS
गौरतलब है कि वर्तमान में ओल्ड पेंशन स्कीम एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। हाल ही में हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया।
इसके कड़ी निंदा करते हुए राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की घोषणा की है।
इसके अलावा, कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली कर अपना चुनावी वादा पूरा किया है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू कर चुकी हैं। पंजाब में भी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किया गया है।
इसके अलावा आंध्र प्रदेश में वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर एक नया मॉडल पेश किया है। अब इसको लेकर केंद्र सरकार भी विचार कर रही है।
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