पुरानी पेंशन योजना से भविष्य के करदाताओं पर पड़ेगा बोझ: नीति आयोग

पुरानी पेंशन योजना से भविष्य के करदाताओं पर पड़ेगा बोझ: नीति आयोग

एक तरफ जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी  और  राहुल गांधी  अपनी सभा-संबोधनों में  लगातार  पुरानी  पेंशन योजना की वकालत कर रहे हैं और  इसे लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते  हुए  जनता  से वोट मांग  रहे हैं,  वहीं  दूसरी ओर कांग्रेस के चहेते और  योजना आयोग के पूर्व  उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बाद अब नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को भविष्य के करदाताओं पर बोझ  बताया है।

बेरी ने कहा –

पुरानी पेंशन योजना के फिर शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे विचार में यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार मौजूदा करदाताओं पर नहीं, बल्कि भावी करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।

गौरतलब है कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर कर्मचारियों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है और वे लगातार OPS को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

सुमन बेरी ने 27 नवंबर को  कहा कि इस देश की राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। बेरी ने पूंजीगत व्यय को बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती के माध्यम से निजी क्षेत्र के लिए गुंजाइश बनाने की जरूरत को रेखांकित किया।

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में बेरी ने कहा-

राजनीतिक दलों को अनुशासन का पालन करना चाहिए। हम सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा।

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OPS एक बड़ा चुनावी मुद्दा

ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन की पूरी राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता था। इस योजना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था।

नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं। जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान देती है। इस तरह से कर्मचारियों को ऊपर बोझ बढ़ गया है।

जहां एक तरफ देशभर में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली के लिए धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं और जिसका ट्रेड यूनियनें साथ दे रही हैं। वहीं कई राजनितिक पार्टियों ने इसको चुनावी मुद्दा भी बना लिया है।

हिमाचल में चुनाव हो चुके हैं और  गुजरात के बाद कर्नाटक और  मध्यप्रदेश में विधान सभा चुनाव होने वाला हैं। इन सभी राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है।

कांग्रेस ने हिमाचल और गुजरात में तो  पुरानी पेंशन योजना लागू करने का  चुनावी वादा भी कर दिया है। गुजरात में आम आदमी पार्टी  ने ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली का ऐलान किया है।

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कई राज्यों ने किया लागू

कुछ राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल भी किया है। जिसमें  जेएमएम  शासित राज्य झारखंड और कांग्रेस शासित  राजस्थान और छत्तीसगढ़  की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू कर दिया है। वहीं छत्तीसगढ़ ओपीएस को लागू करने वाला पहला राज्य है। और हाल ही में पंजाब में  आम आदमी पार्टी  की  सरकार ने OPS लागू करने का नोटफिकेशन जारी किया है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष का कहना है कि  राजनीतिक दलों को अनुशासन का प्रयोग करना होगा, क्योंकि  सभी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के एक सामान्य कारण के लिए काम कर रहे हैं और भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए  दीर्घकालिक उद्देश्यों को संतुलित करने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि कांग्रेस के चहेते और यूपीए शासन के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पुरानी पेंशन योजना को सबसे बड़ी रेवड़ी करार देते हुए कहा है कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की बात तो  हो रही है, लेकिन कुछ खर्चों से छुटकारा पाने का कोई सुझाव नहीं है।

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अहलूवालिया का बयान

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अहलूवालिया ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी (मुफ्त उपहार) को लेकर सही कहा है।”
अहलूवालिया ने कहा, ‘‘पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना अब तक की सबसे बड़ी रेवड़ियों में से एक है।’’

हाल ही में ‘द हिंदू ‘ में प्रकाशित  एक लेख  एक अर्थशास्त्री  ने समझाया कि क्यों नई पेंशन स्कीम की तुलना में ओल्ड पेंशन स्कीम पेंशन धारकों के लिए ज्यादा बेहतर है।

इस लेख के अनुसार, सरकारों का यह तर्क बेबुनियाद है कि न्यू पेंशन स्कीम (NPS) पेंशन धारकों के लिए अधिक फायदेमंद है और इससे सरकारी खजाने पर भार भी कम होगा।

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WU Team

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