सिर्फ अडानी पर टैक्स लगा 1.79 लाख करोड़ जुटा सकते हैं, भारत में 1% के पास 40% दौलतः Oxfam Report
भारत में अमीर-गरीब के बीच संपत्ति का फासला लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बात का खुलासा ऑक्सफैम इंटरनेशनल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सबसे अमीर एक फीसदी आबादी का देश की कुल संपत्ति में 40 फीसदी से अधिक हिस्सा पर कब्जा है। वहीं केवल 3 फीसदी धन ही आबादी के 50 फीसदी के हिस्से के पास गया है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कोरोना काल में देश के अमीर बहुत तेजी से अमीर बने हैं। बीते साल नवंबर 2022 तक इन अरबपतियों की दौलत में रोजाना 121 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
भारत के संदर्भ में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक (World Economic Forum Annual Meeting) के पहले दिन दावोस में अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट की है।
रिपोर्ट में इस बात को भी साफ किया गया है कि अगर भारत के 10 सबसे अमीर लोगों पर टैक्स का 10 फीसदी हिस्सा लगा दिया जाये, तो बच्चों की पढ़ाई का पूरा पैसा मिल सकता है।
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जहां एक तरफ मोदी सरकार मुफ्त राशन वितरण की योजना को बढ़ाकर जनता में वाहवाही लूट रही है। वही ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया हैं कि अगर भारत के सभी अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर 2 फीसदी टैक्स लगाया जाये, तो देश में 3 साल तक कुपोषण से पीड़ित बच्चों के पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं।
ज्ञात हो कि मोदी सरकार ने गरीबों को 5 किलो मुफ्त राशन देने की योजना को दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दिसंबर, 2023 तक अनाज दिया जाएगा। इस सब्सिडी पर दो लाख करोड़ रुपये का खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत अगले साल मार्च तक गरीबों को मुफ्त राशन देने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनयम के तहत गरीबों को राशन देने में लगभग दो करोड़ की लागत का खर्च आएगा, जिसका भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जायेगा।
ऑक्सफैम में अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है कि देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर 5 फीसदी का एक बार का टैक्स (1.37 लाख करोड़ रुपये) हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री (86,200 करोड़ रुपये) और आयुष मंत्रालय (3,050 करोड़ रुपये) के साल 2022-23 के अनुमानित फंड से 1.5 गुना ज्यादा है।
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देशभर के मज़दूर संगठन लगातार सरकार से समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर कर प्रदर्शन करते रहे हैं। इस बात को और ज्यादा साफ करते हुए ऑक्सफैम ने रिपोर्ट में कहा है कि देश में वेतन वितरण में भारी असमानता देखी गयी है।
जिसमें पाया गया है कि यदि पुरुषों को किसी काम के लिए 1 रुपए का भुगतान किया जाता है, तो उसी काम के महिलाओं को मात्र 63 पैसे ही दिए जाते हैं। इसके अलावा यह असमानता अनुसूचित जातियों के मज़दूरों और ग्रामीण मज़दूरों के लिए और ज्यादा बढ़ जाती है। जिससे साफ जाहिर होता है कि देश में लैंगिक असमानता आज भी कायम है।
मोदी सरकार लगातार निजीकरण के नाम पर देश के पूंजीपतियों की जेब भर्ती जा रही है। वही रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक अरबपति गौतम अडानी पर साल 2017 से 2021 के बीच के लाभ पर टैक्स लगाकर 1.79 लाख करोड़ रुपए जुटाया जा सकता है। जो एक वर्ष के लिए 50 लाख से अधिक भारतीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को रोजगार देने के लिए पर्याप्त है।
वहीं ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई।
गौरतलब है कि एक तरफ मोदी सरकार और उसके समर्थक यह कहते नहीं थकते कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है और लोगों की कमाई भी बढ़ गयी है। वहीं ऑक्सफैम द्वारा जारी इस रिपोर्ट के यह साफ हो गया है। वास्तव में मोदी सरकार केवल पूजीपतियों की जेब भर रही है और गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं।
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