TUCI सदस्यों को जंतर-मंतर जाने से पुलिस ने रोका
देशभर में नए लेबर कोड के विरोध में धरने प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इसी क्रम में राजधानी दिल्ली में TUCI की ओर से 3 दिवसीय धरने का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहे TUCI के सदस्यों और करीब 100 मजदूरों को आज पुलिस बल द्वारा रोक लिया गया। इसके बाद मजदूरों और पुलिस बल के बीच झड़प हो गई।
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई के दौरान मज़दूरों के साथ TUCI के सहायक सचिव प्रियम बासु ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि सभी मज़दूरों ने आंबेडकर भवन से पैदल आने की योजना बनाई थी। लेकिन दिल्ली पुलिस ने मज़दूरों को धरना स्थल तक आने से रोक दिया। पुलिस का कहना है कि सभी लोग एक समूह में नहीं जा सकते हैं।
ये भी पढ़ें-
- Demanding Repeal of 4 labour codes and monthly minimum wage Rs 27,000, TUCI protested 2nd day at Jantar Mantar
- दिल्ली: नए लेबर कोड के विरोध में TUCI ने जंतर-मंतर पर 5-7 नवंबर को विशाल धरने का किया ऐलान
इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वे सभी मजदूर समूह में नहीं एक-एक कर के चले जाएंगे। इस पर भी पुलिस राजी नहीं हुई । उसके बाद पुलिस ने सभी को बस की सुविधा देने का वादा किया। 15 मिनट के इंतजार के बाद भी जब बस उपलब्ध नहीं करवाई गई, तो मज़दूरों ने पैदल ही जाना शुरू कर दिया।
प्रियम ने बताया कि जब मज़दूरों ने पैदल जाना शुरू किया तो पुलिस ने धक्का-मुक्की की। फिर से आंबेडकर भवन में भेज दिया। TUCI के सदस्यों ने कहा कि पुलिस ने बस सुविधा देने का वादा किया था। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो सभी मज़दूर पैदल ही चले जाते है।
पुलिस ने दोबारा इस बात का भरोसा दिया कि सभी को बस की सुविधा दी जाएगी। 15 मिनट के इंतजार के बाद सभी मज़दूर बसों में बैठा कर धरना स्थल पर पहुंचे।
प्रदर्शनकारियों के बैग भी हुए चेक
प्रियम ने बताया कि उनको जंतर मंतर धरना स्थल के अंदर जाने से भी रोका गया। उनके बैग की जांच की गई।
TUCI बंगाल के सदस्य अलीख चक्रवर्ती का कहना है कि यह मज़दूरों की जीत है, उन्होंने अपने प्रदर्शन करने के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया गया।
उन्होंने बताया कि जब मज़दूर नेताओं ने पुलिस से पूछा कि आखिर क्या कारण हैं जिसके चलते मज़दूरों को पैदल जाने से रोका जा रहा है? तो जवाब मिला कि धारा 144 लागू होने की वजह से मज़दूरों को पैदल नहीं जाने दिया जा रहा है।
अलीख ने कहा कि साफ यह साफ नज़र आता है मज़दूरों के प्रदर्शन के अधिकार का हनन किया जा रहा है।
पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए TUCI के सदस्य हर्ष मेहता कहा कि दिल्ली में यह पहली बार नहीं है जब मज़दूरों को प्रदर्शन करने से रोका गया, इससे पहले मार्च के महीने भी इसी तरह मज़दूरों को रोका गया था।
ये भी पढ़ें-
- मोदी सरकार के सहयोगी संगठन RSS विंग ने नए लेबर कोड का किया विरोध
- तिरुपति में श्रम सम्मेलन के दूसरे दिन भी ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन रहा जारी
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा लाये गये चार नए लेबर कोड के विरोध में TUCI द्वारा तीन दिवसीय धरना जंतर मंतर पर आयोजित किया गया है जिसमें सैकड़ों की संख्या में मज़दूरों और अन्य ट्रेड यूनियन ने हिस्सा ले रहे हैं। TUCI सदस्यों की मुख्य मांग है कि मोदी सरकार तत्काल मज़दूर विरोधी कानून वापस लें ।
उनका कहना है कि जिस तरह किसानों ने तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस कराया है, उसी तरह मज़दूरों और सभी मज़दूर संगठनों को एक होकर इसका विरोध करना होगा।
देशभर में नए लेबर कोड के विरोध में लगातार प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इस कड़ी में नवंबर मोदी सरकार के लिए विरोध का महीना होने जा रहा है। दिल्ली में TUCI के अलावा आने ट्रेड यूनियन में भी रैली और प्रदर्शन का आह्वान किया है।
आगामी 13 नवंबर को MASA ने दिल्ली में महारैली का प्रस्ताव किया है, जिसमें हज़ारों की संख्या में मज़दूरों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
(स्टोरीः शशिकला सिंह।)
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)