पंजाब: ओवरटाइम काम के घंटे बढ़ाये गए, मज़दूर संगठनों ने सरकार के फैसले को कॉरपोरेट के हक़ में बताया
पंजाब सरकार ओवरटाइम नियमों में फेरबदल करते हुए,एक नए प्लान को लेकर सामने आई है. पंजाब सरकार के श्रम विभाग द्वारा जारी एक पत्र के तहत ये आदेश जारी किये गए हैं.
पंजाब सरकार के इस नए नोटीफिकेशन के मुताबिक एक दिन में अधिक से अधिक ओवरटाइम काम के घंटे 2 से बढ़ाकर 4 कर दिए गए हैं. इसके साथ ही तीन महीनों में ओवरटाइम काम के घंटे बढ़ाकर 115 कर दिए गए हैं.
वही कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब और टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन, पंजाब ने ओवरटाइम संबंधी भगवंत मान सरकार द्वारा जारी नए नोटीफिकेशन की सख्त निंदा करते हुए इसे तुरंत वापिस लेने की माँग की है.
यूनियन नेताओं लखविंदर सिंह और जगदीश सिंह ने संयुक्त प्रेस ब्यान जारी करते हुए बताया कि “पंजाब सरकार के नए नोटीफिकेशन के मुताबिक एक दिन में अधिक से अधिक ओवरटाइम काम के घंटे 2 से बढ़ाकर 4 कर दिए गए हैं. हालांकि एक हफ्ते में कुल काम के घंटे ( ओवरटाइम समेत ) 60 ही रखे गए हैं. ये आदेश किसी भी तरह से मानने योग्य नहीं हैं.”
इसके साथ ही तीन महीनों में पहले जहाँ ओवरटाइम काम के घंटे 75 हो सकते थे अब बढ़ाकर 115 कर दिए गए हैं. इससे पहले कैप्टन सरकार ने लॉकडाउन के दौरान एक तिमाही में अधिक से अधिक ओवरटाइम काम के घंटों की संख्या 50 से बढ़ाकर 75 कर दी थी. मज़दूर नेताओं ने आप पार्टी की राज्य सरकार के इस कदम को घोर मजदूर विरोधी, मजदूरों से एक बड़ा धोखा और पूँजीपति पक्षधर करार दिया है.
मज़दूर नेताओं ने कहा है कि आज कमर तोड़ महँगाई के दौर में मजदूरों से उद्योगों और अन्य कार्यस्थलों पर बेहद कम वेतन/दिहाड़ी पर हाड़तोड़ मेहनत करवाई जाती है. अधिकतर जगहों पर पूँजीपतियों द्वारा मज़दूरों से पहले ही तीन-तीन, चार-चार घंटे ओवरटाइम काम करवाया जाता है.
इस तरह पूँजीपति ओवरटाइम काम के घंटे संबंधी श्रम कानूनों की खुलेआम बड़े स्तर पर धज्जियाँ उड़ाते आ रहे हैं. मजदूर संगठनों द्वारा बार-बार माँग उठती रही है कि आठ घंटे काम दिहाड़ी का इतना वेतन होना चाहिए कि किसी भी मजदूर को ओवरटाइम काम ही न करना पड़े.
लेकिन पूँजीपतियों की सरकारें उल्टे रास्ते चलते हुए न तो उचित न्यूनतम वेतन ही तय करती हैं और न लागू करवाती हैं, बल्कि ओवरटाइम काम के घंटों संबंधी नियम-कानूनों में पूँजीपतियों के पक्ष में बदलाव कर रही हैं.
मोदी सरकार द्वारा कोड रूप में लाए गए नए श्रम कानूनों में भी यही कुछ किया गया है. हालांकि मोदी सरकार के नए श्रम कानून अभी लागू नहीं हुए, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार इससे भी कहीं आगे बढ़कर पूँजीपतियों की सेवा करने में लगी हुई है. आप की राज्य सरकार के इस कदम ने इसके इंकलाब और बदलाव के झूठ को पूरी तरह बेपर्दा कर दिया है.
(मेहनतकश की खबर से साभार)
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