पंजाब: मज़दूरी बढ़ाने की मांग पर मज़दूरों ने किया काम ठप, मंडियों में लगा अनाज का अंबार
पंजाब सरकार के मज़दूरी बढ़ाने संबंधी वादे और उसको लेकर सरकार की तरफ से किसी भी तरह की कोई सुगबुगाहट को न देखते हुए मंडी मज़दूरों ने वेतन में 25% वृद्धि की मांग कर दी है.
मालूम हो की अप्रैल महीने में गेहूं खरीद सीजन के दौरान मज़दूरी में केवल कुछ पैसे की वृद्धि की गई थी.
राज्य में धान की खरीद में तेजी आने के बावजूद पंजाब की अनाज मंडियों में मज़दूर शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. जिसके कारण राज्य की मंडियों में अनाज की भरमार जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
पहले से खरीदे गए धान को उठाने की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है और ऐसे में लगभग 75 प्रतिशत खरीदी गई फसल अभी भी मंडियों में पड़ी हुई है.
आने वाले दिनों में जैसे-जैसे धान की आवक और बढ़ने की उम्मीद है, वैसे-वैसे किसान चिंतित हैं की आंदोलन के कारण बाजारों में कोई अनलोडिंग नहीं होगी.
खरीद सीजन के दौरान राज्य की 1,846 अनाज मंडियों में लगभग 9 लाख मजदूर काम करते हैं. वे पंजाब सरकार के आश्वासन के बावजूद मज़दूरी में 25 प्रतिशत वृद्धि की मांग कर रहे हैं.
अप्रैल में गेहूं खरीद सीजन के दौरान, मजदूरी में केवल कुछ पैसे की वृद्धि की गई थी
बाज़ारों में मज़दूर मुख्य रूप से किसानों की फ़सलों को उतारने, सफ़ाई, तौलने, बैग भरने और सिलाई, ड्रेसिंग और उन्हें सरकारी ट्रकों में लोड करने में शामिल रहते हैं.
पंजाब लेबर यूनियन (खन्ना मंडी) के चेयरमैन दर्शन लाल ने कहा कि गेहूं खरीद सीजन में अनलोडिंग मजदूरी 2.42 पैसे प्रति बोरी से बढ़ाकर 2.45 पैसे कर दी गई, जो केवल 3 पैसे की वृद्धि है.
दर्शन लाल ने आगे बताया कि “फसल की सफाई के लिए, हमारी मजदूरी 4.30 पैसे से बढ़ाकर 4.34 पैसे (4 पैसे की वृद्धि) कर दी गई, तौल के लिए इसे 2.0 रुपये से बढ़ाकर 2.2 रुपये (2 पैसे की वृद्धि) कर दिया गया, ड्रेसिंग के लिए इसे 4.03 रुपये से बढ़ाकर 4.07 रुपये (4 पैसे की वृद्धि) कर दिया गया, और सिलाई के लिए, यह 1.12 रुपये से बढ़कर 1.13 रुपये (1 पैसे की वृद्धि) कि गई थी. ”
मिडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि “पिछले डेढ़ साल से मज़दूर श्रम शुल्क में 25 प्रतिशत वृद्धि की मांग कर रहे हैं. जिसके बाद राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि भारतीय खाद्य निगम 20 प्रतिशत वृद्धि के लिए सहमत हो गया है, और शेष 5 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा कवर किया जाएगा. जिसमें कुल व्यय 7-8 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा.लेकिन इसके बावजूद हमें लगातार टरकाया जा रहा है.”
लाल ने आरोप लगाया की मज़दूरों को अभी तक न एफसीआई का वादा किया गया वेतन नहीं मिला है और न ही पंजाब सरकार ने अपने पांच प्रतिशत हिस्से का योगदान दिया है.
पिछले साल की तुलना में इस साल फसल की आवक की गति अधिक है. जिसमें अब तक 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. अगस्त में दो बार बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति का सामना करने और सितंबर के दौरान बारिश में कमी के बावजूद फसल किसानों के उम्मीद से बेहतर रही.
शुक्रवार को मंडियों में 1.43 लाख टन धान की आवक हुई, जिससे एक अक्टूबर को खरीद शुरू होने के बाद से पिछले छह दिनों में कुल आवक 4.58 लाख टन हो गई.
सबसे अधिक फसल की आवक पटियाला में हुई है, जहां लगभग 83,000 टन धान की आवक हुई है. इसके बाद लुधियाना,जहां 52,000 टन से अधिक चीनी का उत्पादन हुआ है. मोहाली और फतेहगढ़ साहिब में भी क्रमश: 44,000 टन और 40,000 टन से अधिक की आवक देखी गई है. गुरदासपुर और जालंधर में 29,000 और 28,000 टन धान की आवक देखने को मिली.
उधर मज़दूरों का कहना है की सरकार को उनके जैसे गरीब लोगों के हितों पर विचार करना चाहिए जो खरीद के मौसम के दौरान अथक परिश्रम करते हैं.
पंजाब अनाज मंडी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राकेश तुली ने भी सरकार से शिकायती लहजे में कहा कि “उन्हें पिछले सीजन (अप्रैल में गेहूं खरीद) की तुलना में विभिन्न कार्यों के लिए काम की दरों में केवल 16 पैसे की वृद्धि मिली.”
उन्होंने आगे कहा ‘हम इस मामले को राज्य सरकार के समक्ष उठा रहे हैं. इस मामले को लेकर हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. हम पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से उनके वायदे के अनुसार 25 प्रतिशत मज़दूरी वृद्धि को पूरा करने का आग्रह करते हैं.”
तुली ने बताया कि “2011 में एक आंदोलन के बाद मज़दूरी प्रति बैग दर 5.33 रुपये से बढ़ाकर 6.66 रुपये कर दी गई थी. 2016 में इसे बढ़ाकर 12.29 रुपये कर दिया गया. वर्तमान में प्रति बैग श्रम शुल्क 15.48 रुपये है, जिसमें गेहूं और धान की खरीद के मौसम के दौरान केवल मामूली वृद्धि हुई है.”
खन्ना अनाज मंडी काम करने वाले बिहार के एक मजदूर दिनेश साहू ने कहा की ” आप वाले हर मंच पर गरीबों के लिए किये काम को गिनाते फिरते हैं. लेकिन ये सब सिर्फ झूठे दावें हैं. आज जब हमारी मज़दूरी बढ़ाने का मुद्दा उठा तो कुछ नहीं कर रहे.”
वही पंजाब मंडी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “अगर कर्मचारी कुछ दिनों के लिए भी हड़ताल पर जाते हैं तो मंडियों में अराजकता फैल जाएगी क्योंकि काटी गई फसल भारी मात्रा में आने लगी है.मजदूरों की मांगें बहुत वास्तविक हैं क्योंकि इससे राज्य सरकार पर शायद ही कोई बोझ पड़ेगा.”
(इंडियन एक्सप्रेस की खबर से साभार)
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