पंजाब की सबसे बड़ी किसान यूनियन उगरहां से एक हिस्सा अलग हुआ, बनाया बीकेयू आज़ाद
पंजाब की सबसे बड़ी भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) एकता (उगराहां) से सदस्यों का एक हिस्सा शनिवार को अलग हो गया और बीकेयू एकता (आजाद) नामक एक नई यूनियन का गठन किया।
इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक, बीकेयू एकता (उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बताया कि जसविंदर सिंह लोंगोवाल को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से निकाल दिया गया है। लोंगोवाल पहले प्रदेश उपाध्यक्ष थे।
लोंगोवाल को यूनियन से निकाले जाने के बाद संगरूर, पटियाला और मलेरकोटला के असंतुष्ट सदस्य बीते शनिवार,11 फ़रवरी की दोपहर संगरूर जिले की अनाज मंडी में एकत्र हुए और बीकेयू एकता (आजाद) नामक एक नई यूनियन के गठन की घोषणा की।
कोकरीकलां ने बताया कि यह फैसला पिछले महीने लिया गया था। उन्होंने नई यूनियन के गठन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लोंगोवाल द्वारा लगातार यूनियन विरोधी गतिविधियां कीं जा रहीं थीं। इसलिए उनको यूनियन की प्राथमिक सदस्यता से बाहर निकाला गया है।
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एक साला से जारी था मतभेद
फ़िलहाल बीकेयू एकता (आजाद) में नौ सदस्यों को शामिल किया गया है।
बीकेयू एकता (आजाद) के एक सदस्य मंजीत सिंह नियाल ने कहा, ‘शुरुआत में हमने नौ सदस्यीय समिति बनाई है और आने वाले हफ्तों में हम नई यूनियन के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के बारे में फैसला करेंगे।’
मंजीत सिंह नियाल पहले बीकेयू एकता (उगराहां) के पटियाला जिला अध्यक्ष थे, जिसका गठन 2002 में हुआ था।
नियाल ने कहा कि कुछ सदस्यों के बीच एक साल से अधिक समय से मतभेद थे, लेकिन हालात तब बिगड़ गए जब बीकेयू एकता (उगराहां) ने जसविंदर सिंह लोंगोवाल को यूनियन से बाहर निकाल दिया।
उनका कहना है कि यूनियन में तानाशाही के कारण, हम इससे अलग हो गए हैं और आज़ाद यूनियन का गठन किया है। जिसमें सभी अपने विचारों को खुलकर व्यक्त कर पाएंगे।”
फिलहाल, बीकेयू एकता (आजाद) के कमेटी के सदस्यों में जसविंदर सिंह लौंगोवाल, मंजीत सिंह नियाल, गुरमेल सिंह महौली, गुरदेव गंजूमाजरा, करनैल सिंह लंग, दिलबाग सिंह हरिगढ़, गुरप्रीत कौर ब्रास, देविंदर कौर हरदासपुर आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) पंजाब में किसानों का एक बहुत बड़ा संगठन है। इसका अंदाजा इस बात के लगाया जा सकता है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान बीकेयू ने अकेले दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर एक किलोमीटर लम्बा धरना स्थापित किया था।
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