ओल्ड पेंशन स्कीम के खिलाफ़ अब आरबीआई आया सामने, वो बात जो नहीं बताई
जबसे ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है, कारपोरेट परस्त मोदी सरकार के हाथ पांव फूल गए हैं।
इस मामले को लेकर बैकफुट पर आती मोदी सरकार ने अब आरबीआई को आगे किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल किये जाने को लेकर ‘गंभीर चिंता’ जताई है।
बैंक ने कहा है कि इससे राज्यों के लिए यह बड़ा आर्थिक जोखिम पैदा हो गया है है क्योंकि इससे आने वाले साल में उनके देनदारी में इजाफा हो जाएगा और इसे चुकाने के लिए पैसों की व्यवस्था नहीं है।
हालांकि मनमाना नोटबंदी करने लिए जवाब न दे पाने वाले आरबीआई ने ये नहीं बताया है कि जबसे जीएसटी कानून लागू हुआ है, केंद्र राज्य सरकारोंं उनका हिस्सा भी नहीं दे रही है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए OPS को बहाल कर दिया है।
उससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब ने OPS की बहाली कर दी है।
बीते सोमवार, 16 जनवरी को RBI ने ‘राज्य वित्तः 2022-23 के बजट का अध्ययन’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में OPS बहाल करने वाले राज्यों को आगाह किया है।
RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक जनवरी, 2004 से लागू नई पेंशन स्कीम (NPS) अंशदान आधारित पेंशन योजना है। इसमें कर्मचारी के साथ-साथ सरकार भी अंशदान देती है। वहीं पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों की पेंशन सेवानिवृत्ति से पहले लिये गये अंतिम वेतन का 50 फीसदी होती है और यह पूरी राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी।
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ओल्ड पेंशन स्कीम पर RBI की राय
ज्ञात हो कि कुछ कांग्रेस शासित राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है। जिसमें गैर कांग्रेस शासित राज्य झारखंड और राजस्थान की सरकारों ने अपने राज्यों में ओपीएस को लागू कर दिया है।
वहीं छत्तीसगढ़ ओपीएस को लागू करने वाला पहला राज्य है। और हाल ही में पंजाब में ‘आप’ सरकार ने OPS लागू करने का नोटफिकेशन जारी किया है। हिमाचल में कोंग्रस सरकार प्पाहली कैबिनेट बैठक में ही ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का फैसला लिया है।
इन राज्यों में OPS बहाली के मसले पर भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि वर्तमान खर्चों को भविष्य के लिये स्थगित करके राज्य आने वाले सालों में पेंशन मद में ऐसी देनदारी पैदा करेंगे, जिसके लिये सरकारी खजाने की व्यवस्था नहीं है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब OPS को बहाल करने पर तरह तरह की चेतावनी दी गई। इससे पहले नीति आयोग और कई अर्थशास्त्रियों की ओर से भी पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने को लेकर कई विवादित टिप्पणियां दिलवाई गईं हैं।
कांग्रेस के चहेते और योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन और अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने तो ओल्ड पेंशन स्कीम को, ‘सबसे बड़ी रेवड़ी’ ‘बेतुका’ और ‘भविष्य में कंगाली लाने’ वाला क़रार दिया है।
वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को भविष्य के करदाताओं पर बोझ कहा था। इसके अलावा बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख लिख कर इसे ‘बोझ’ बता चुके हैं।
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किस बात की है चिंता?
RBI द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में पेंशन व्यय में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। जो 4,63,436 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 3,99,813 करोड़ रुपये था।
वहीं OPS को बहाल करने वाले राज्यों ने पुराने पेंशनरों को सेवारत कर्मचारियों से एकत्रित धन के साथ भुगतान करना सुविधाजनक पाया है।
हालांकि RBI ने इस फार्मूले को आर्थिक रूप से अस्थिर माना है। नई पेंशन स्कीम में सर्विस के दौरान मृत्यु होने पर योजना में जमा रकम जब्त कर ली जाती है तथा रिटायरमेंट के समय 60% राशि मिलती है एवं 40% राशि से शेयर मार्केट के हवाले कर दी जाती है।
साथ ही रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पैसे पर कर्मचारियों को टैक्स भी देना पड़ता है। वहीं ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन उपभोगता की मृत्यु होने के बाद उनके परिवारवालों को पेंशन का पैसा दिया जाता है।
नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को हर 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता वृद्धि नहीं दी जाती है। जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में महंगाई भत्ता को हर बार बढ़ाया जाता है और पेंशन की राशि महंगाई के अनुसार बढ़ती है, जिससे बुढ़ापे में कर्मचारी को अपनी बढ़ी ज़रूरतें पूरी करने में सहूलियत होती है।
इन सभी कारणों के चलते देशभर में नई पेंशन स्कीम का विरोध किया जा रहा है।
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नई पेंशन स्कीम जुआ है?
नई पेंशन योजना पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित है। NPS के तहत कर्मचारी द्वारा अपने पूरे कार्यकाल में इकट्ठा किया गया पैसा सीधे तौर पर न देकर बाजार में लगा दिया जाता है। जिसके बाद पेंशन भोगियों को इस बात का पता ही नहीं होता को उनको कितनी राशि का भुगतान किया जायेगा।
कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि NPS में पेंशन भोगियों को कई बार भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ता है।
NPS के तहत पेंशन पाने वाले पूर्व कर्मचारियों को महज दो तीन हजार मिलते हैं जिसमें उनकी दवाएं भी पूरी नहीं पड़ती हैं।
यही कारण है जिसको लेकर लगातार OPS को बहाल करने की मांग की जा रही है।
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