रिपोर्ट : विनिर्माण क्षेत्र में मज़दूरों की हालत चिंताजनक, अनुबंध पर काम करने वालों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर
औद्योगिक संस्थानों में अनुबंधित कर्मचारी एक निर्धारित अवधि या कार्य के लिए ठेके पर रखे जाते हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा हाल ही में जारी वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट के अनुसार, FY23 में औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र में हर पाँच में से दो मज़दूर अनुबंध पर कार्यरत थे।
यह देश के श्रमबल में अनुबंध आधारित रोजगार का चलन बढ़ने का संकेत देता है।
अनुबंधित मज़दूर वे होते हैं, जिन्हें औद्योगिक संस्थान ठेके के आधार पर एक निश्चित अवधि या विशेष कार्य के लिए रखते हैं।
ये स्थायी कर्मचारियों से अलग होते हैं, जिनके पास दीर्घकालिक नौकरी होती है और सामाजिक सुरक्षा के लाभ भी मिलते हैं।
अनुबंधित मज़दूरों का अनुपात और वृद्धि
इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 में देशभर में कुल 2,53,000 फैक्ट्रियों में 1.46 करोड़ से अधिक मज़दूर कार्यरत थे।
इनमें से 59.5 लाख मज़दूर (यानी लगभग 41 प्रतिशत) अनुबंध के आधार पर काम कर रहे थे, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। तुलना करें तो, पिछले वित्तीय वर्ष में यह अनुपात 40.2 प्रतिशत था।
COVID-19 महामारी से पहले, वित्तीय वर्ष 2020 में, अनुबंध पर कार्यरत मज़दूरों का अनुपात केवल 38.4 प्रतिशत था।
महामारी के बाद के वर्षों में इस संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनियाँ अब अधिक लचीलापन और लागत कम करने के लिए अनुबंध प्रणाली को प्राथमिकता दे रही हैं।
बिहार में सबसे ज्यादा तो केरल में सबसे कम
राज्यवार डेटा से यह साफ़ होता है कि कुछ राज्यों में अनुबंधित मज़दूरों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है।
बिहार में अनुबंध पर काम करने वाले श्रमिकों का हिस्सा सबसे अधिक 68.6 प्रतिशत है, इसके बाद तेलंगाना (64.5 प्रतिशत), उत्तराखंड (57.7 प्रतिशत), और ओडिशा (57.3 प्रतिशत) हैं।
इसके विपरीत, केरल (23.8 प्रतिशत) में अनुबंधित मज़दूरों का हिस्सा सबसे कम है, उसके बाद तमिलनाडु (24.5 प्रतिशत), पंजाब (29.8 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (32.5 प्रतिशत), और कर्नाटक (33.9 प्रतिशत) हैं। दिल्ली में यह आंकड़ा 12.2 प्रतिशत है।
इस विश्लेषण में गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों (असम को छोड़कर) को शामिल नहीं किया गया है।
COVID-19 महामारी से पहले, FY20 में, अनुबंध पर कार्यरत मज़दूरों का अनुपात 38.4 प्रतिशत था। उस समय 1.3 करोड़ कुल मज़दूरों में से केवल 50.2 लाख मज़दूर ठेके पर कार्यरत थे।
महिलाओं की हिस्सेदारी में स्थिरता
रिपोर्ट के अनुसार, सीधे नियोजित मज़दूरों में महिलाओं का हिस्सा FY23 में 18.42 प्रतिशत पर स्थिर रहा, जो पिछले वर्ष के समान है।
यह दर्शाता है कि महिलाओं की हिस्सेदारी में वृद्धि की दर अभी स्थिर है, और इस दिशा में सुधार के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है।
कुल रोजगार में वृद्धि
विनिर्माण क्षेत्र में “कुल लगे हुए व्यक्ति” (जिसमें सीधे नियोजित, अनुबंध पर काम करने वाले, प्रबंधकीय और बिना वेतन वाले परिवारजन शामिल हैं) की संख्या FY23 में 1.85 करोड़ रही, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 7.4 प्रतिशत अधिक है।
यह आंकड़ा औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र द्वारा उत्पन्न कुल रोजगार को दर्शाता है।
विनिर्माण क्षेत्र में अनुबंध प्रणाली का प्रभाव
देश के औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र में अनुबंध पर मज़दूरों की संख्या बढ़ने का असर न केवल मज़दूरों के अधिकारों और सुरक्षा पर पड़ा है, बल्कि रोजगार में अस्थिरता भी बढ़ी है।
अनुबंधित कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ नहीं मिलते, जिससे उनके जीवन में अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।
भारत का औद्योगिक क्षेत्र अनुबंध आधारित रोजगार की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, जो कंपनियों को अल्पकालिक लाभ दे सकता है, लेकिन दीर्घकाल में मज़दूरों की स्थिति पर इसका असर गंभीर हो सकता है।
MoSPI द्वारा किया गया ASI सर्वेक्षण भारत के औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र की उत्पादन, रोजगार और पूंजी संरचना में हो रहे बदलावों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
यह सर्वेक्षण मुख्यतः 1948 के फैक्ट्री अधिनियम के तहत पंजीकृत फैक्ट्रियों के साथ-साथ बीड़ी और सिगार निर्माण इकाइयों और उन बिजली उपक्रमों को कवर करता है, जो केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण में पंजीकृत नहीं हैं।
साथ ही, यह राज्य सरकारों द्वारा तैयार और बनाए गए बिजनेस रजिस्टर ऑफ एस्टैबलिशमेंट्स (BRE) में पंजीकृत 100 से अधिक कर्मचारियों वाली इकाइयों को भी शामिल करता है।
( बिजनेस स्टैण्डर्ड की खबर से साभार )
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