सैमसंग इंडिया में मज़दूरों के हड़ताल ने लिया नया मोड़, 900 से अधिक हिरासत में
सैमसंग इंडिया के तमिलनाडु स्थित होम अप्लायंसेस संयंत्र में जारी हड़ताल ने एक नया मोड़ ले लिया है, जब भारतीय पुलिस ने 912 मज़दूरों और यूनियन सदस्यों को हिरासत में लिया।
यह हड़ताल 9 सितंबर से चल रही है, जिसमें मज़दूर वेतन बढ़ोतरी और यूनियन मान्यता की मांग कर रहे हैं।
हिरासत में लिए गए मज़दूरों में लगभग 850 सैमसंग कर्मचारी और 60 मज़दूर शामिल हैं, जो सीआईटीयू से जुड़े हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, ‘ उन्हें बिना अनुमति के सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए हिरासत में लिया गया है’।
पुलिस ने कहा कि, ‘मज़दूरों को चार शादी के हॉल में रखा गया है और उनकी रिहाई पर निर्णय बाद में लिया जाएगा’।
16 सितंबर को भी पुलिस ने 104 हड़ताली मज़दूरों को लगभग एक दिन के लिए हिरासत में लिया था, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई थी।
हड़ताल पर सैमसंग ने पहले कहा था कि, ‘उसके संयंत्र में मज़दूरों का औसत वेतन क्षेत्र के अन्य समान मज़दूरों के मुकाबले लगभग दोगुना है। लेकिन मज़दूरों का कहना है कि सैमसंग प्रबंधन झूट बोल रहा है और वो अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
सैमसंग के इस संयंत्र लगभग 1,800 मज़दूर काम करते हैं, जिसमें से 1,000 से अधिक इस समय हड़ताल पर हैं।
फैक्ट्री में रेफ्रिजरेटर, टीवी और वाशिंग मशीन जैसे उपकरण बनते हैं, जिनकी मांग भारत में लगातार बढ़ रही है।
इस संयंत्र की महत्वपूर्णता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह सैमसंग के 2022-23 के भारत के वार्षिक राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो 12 अरब डॉलर है।
मज़दूरों के अनुसार, सैमसंग ने उत्पादन को प्रभावित करने से बचने के लिए कुछ ठेका मज़दूरों और ट्रेनी मज़दूरों को काम पर रखा है।
वहीं, सीआईटीयू ने आरोप लगाया है कि सैमसंग ने उनके द्वारा की गई मांगों की अनदेखी की है और उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने से इंकार किया है।
इस हड़ताल के साथ, सैमसंग के मज़दूरों ने वेतन बढ़ोतरी और बेहतर कार्य स्थितियों की मांग को लेकर एक ठोस संदेश दिया है। उनके संघर्ष का यह मामला न केवल सैमसंग के लिए बल्कि भारत के औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थिति बन गया है।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, सैमसंग मज़दूरों की औसत मासिक आय 25,000 रुपये ($300) है, जबकि उनकी मांग 36,000 रुपये प्रति माह है।
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