संगरूर: 21 दिनों से धरने पर बैठे किसानों को मिली जीत, सरकार ने मांगों पर दी लिखित सहमति
पंजाब के संगरूर में धरने पर बैठे किसानों की मांगों को सरकार ने मान लिया है। मांगें मानने के बाद भारतीय किसान यूनियन उगराहां ने 21 दिन बाद धरना खत्म कर दिया गया है।
किसान बीते 9 अक्टूबर से अपनी मांगों को लेकर सीएम आवास के बाहर धरने पर बैठे थे।
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कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने यूनियन के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां समेत 5 प्रमुख नेताओं के साथ शुक्रवार को पटियाला के सर्किट हाउस में मीटिंग की। मीटिंग में सीनियर किसान नेता जगतार सिंह कालाझाड़, झंडा सिंह झेठुके, शंगारा सिंह और रूप सिंह छन्ना के अलावा DC व IG समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
‘काउंटर करंट’ से मिली जानकारी के मुताबिक जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार ने पहले ही उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया था, जिसका कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया था। लेकिन अब पंजाब सरकार ने किसानों की सभी मांगों को लिखित रूप में मान लिया है। साथ ही सरकार ने किसान संगठन को भरोसा दिलाया है कि किसानों की शराब फैक्ट्री बंद करने की मांग को भी 3 महीने के भीतर हल कर लिया जाएगा।
Farmers will tomorrow call off their approx 2 weeks long protest at Punjab CM @BhagwantMann Ji's Sangrur residence, after mutual understanding. @AAPPunjab @AamAadmiParty pic.twitter.com/rEP3naKxSF
— Kuldeep Dhaliwal (@KuldeepSinghAAP) October 28, 2022
कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि किसान नेताओं के साथ विस्तार में चर्चा की गई और किसानों की सभी मांगों पर सहमति बनी है। इसलिए किसान संगठनों द्वारा 29 अक्टूबर को सगरूर में CM आवास के सामने लगाया गया धरना उठा लिया गया।
भाकियू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि बीते दिनों उनकी CM भगवंत मान के साथ मीटिंग हुई थी। इसमें CM ने किसानों की मांगे मानी थी। आज कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल व अन्य अधिकारियों ने आज बैठक में किसानों की मांगे लिखित में मान ली हैं और अब धरना उठा लिया जाएगा।
गौरतलब है कि बीते सात अक्टूबर को किसान संगठनों की सरकार के साथ बैठक हुए थी। जिसमें मान सरकार ने किसानों को सभी मांगों को मान लिया था। लेकिन लिखित में कुछ भी नहीं दिया गया था। जिसके दो बाद से ही किसानों ने भगवन मन के आवास के सामने धरना शुरू कर दिया था।
किसानों ने संगरूर में दिल्ली किसान आंदोलन जैसा पक्का मोर्चा जारी कर दिया था। सड़क के दोनों तरफ ट्रैक्टर-ट्रालियों लगाकर लंगर व किसानों के आराम करने के लिए प्रबंध कर लिया गया है। महिलाओं व पुरुष किसानों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। लंगर की जिम्मेदारी भी महिलाओं व पुरुषों ने अपने स्तर पर अलग-अलग तौर पर रखी गयी थी। धरने के पहले दिन जहां पक्के मोर्चे में चार हजार किसान शामिल हुए थे, वहीं आगे ये संख्या लगातार बढ़ती रही।
यह थी किसानों की मांगें
- किसानों को खराब फसलों का मुआवजा जल्द दिया जाए।
- भूजल व दरिया के पानी कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने की जल नीति रद्द की जाए।
- भारत माला प्रोजेक्ट के तहत किसानों को मार्केट रेट अनुसार मुआवजा व तीस फीसदी उजाड़ा भत्ता दिया जाए।
- बड़ी कंपनियों का दूषित पानी धरती में जाने से रोकने व पानी डालने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- जमीन को समतल करने का हक छीनने वाला कानून रद्द किया जाए।
- पराली की संभाल के लिए 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दें और पराली को आग लगाने वाले किसानों पर सख्ती बंद की जाए।
- धान की बिजाई पूरी तरह से बंद करने के लिए अन्य फसलों पर MSP दें।
- किसान मजदूरों पर दर्ज किए गए केस रद्द किए जाएं।
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