कोच्चि में स्विगी फ़ूड डिलीवरी वर्कर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, रांची में जोमैटो वर्कर्स को अगली बैठक के नतीजे का इंतज़ार
देश में कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद गिग वर्कर्स की एक बड़ी फौज फ़ूड डिलीवरी का काम रही है। लेकिन बढ़ती महंगाई ने इन वर्कर्स के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। वर्कर्स अपनी लंबित पड़ी मांगों को लेकर कहीं हड़ताल पर हैं, तो कहीं हड़ताल की योजना बना रहे हैं।
कोच्चि में ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी के लगभग 5000 डिलीवरी वर्कर्स बीते 14 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। स्विगी डिलीवरी वर्कर्स बीते लम्बे समय से वेतन बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) से संबद्ध फूड ऑनलाइन डिलीवरी वर्कर्स यूनियन (FODWU) के नेतृत्व में मजदूरों ने अपनी मांगें पूरी होने तक अपनी हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है।
ये भी पढ़ें-
- कोलकाता से लेकर चेन्नई तक डिलीवरी ब्वॉय क्यों कर रहे हैं हड़ताल?
- नफरत फैलाने वाले ग्राहकों पर कार्रवाई करे स्विगीः ट्रेड यूनियन
FODWU की मांग है कि उन्हें 2.5 कि.मी. के दायरे में फूड डिलीवरी करने पर डिलीवरी बॉय को 35 रुपए दिए जाने चाहिए, जबकि अभी 4 कि.मी. के लिए मात्र 20 रुपए का ही भुगतान किया जाता है।
स्विगी डिलीवरी वर्कर्स ने लंबे समय से लंबित पड़ी अपनी मांगों को पूरा करने के लिए बीते 31 अक्टूबर को एक सांकेतिक हड़ताल की थी।
दरअसल, 14 नवंबर को कोच्चि श्रम विभाग ने स्विगी प्रबंधन से वर्कर्स की मांगों पर बैठक की थी, लेकिन प्रबंधन के अधिकारियों ने वर्कर्स की सभी मांगों को खारिज कर दिया। जिसके बाद नाराज डिलीवरी वर्कर्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लिया है। इसके बाद फूड ऑनलाइन डिलीवरी वर्कर्स यूनियन ने कोच्चि में मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी।
समझौत नहीं तो काम नहीं
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यूनियन के प्रतिनिधियों का कहना है कि “जब तक डिलीवरी वर्कर्स की मांगों को लेकर कोई समझौता नहीं हो जाता, तब तक हड़ताल को जारी रहेगी और इस दौरान कोच्ची में काम करने वाले हज़ारों डिलीवरी बॉय काम नहीं करेंगे।”
वहीं दूसरी तरफ झारखण्ड की राजधानी रांची में फ़ूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के वर्कर्स इस बात से नाराज़ हैं कि प्रबंधन उनकी लंबित पड़ी 10 सूत्री मांगपत्र पर चर्चा करने को राजी नहीं है। इस संबंध में आल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन ने बीते 15 नवंबर से हड़ताल करने का ऐलान भी किया था। लेकिन जोमैटो प्रबंधन ने आगामी 3 दिसंबर को वर्कर्स के साथ गेट मीटिंग पर सहमित दी है। इसके बाद यूनियन ने हड़ताल को अगली बैठक तक टालने का निर्णय भी लिया।
ऑल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ के अनुसार 26 अक्टूबर को ऑल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन, झारखंड के हस्तक्षेप पर भोजन की होम डिलीवरी करने वाली ऐप्प आधारित कंपनी जोमैटो के राष्ट्रीय और राज्य प्रबंधन को रांची जिला संबंधित 10 सूत्री मांगपत्र और 15 नवंबर से हड़ताल का नोटिस सौंपा गया था।
इसके आलोक में डीएलसी, रांची की ओर से कंपनी और यूनियन को वार्ता के लिए 14 नवंबर को आमंत्रित किया गया था। यूनियन की तरफ से वार्ता के लिए सीटू के राज्य कोषाध्यक्ष अनिर्बान बोस, सुब्रतो बिस्वास और गिग वर्कर यूनियन के राज्य महासचिव प्रतीक मिश्रा और अध्यक्ष रोहित कुमार यादव उपस्थित हुए। वार्ता के दौरान जोमैटो के कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रम भवन के बाहर मौजूद थे।
जोमैटो ने मालिक-श्रमिक संबंध नकारा
वार्ता के दौरान प्रबंधन की ओर से मांगपत्र पर कोई ठोस जवाब ना देकर कहा गया कि जोमैटो का उसके कर्मचारी के साथ मालिक-श्रमिक संबंध नहीं है। ये बस एक ऐप्प आधारित कॉन्ट्रैक्ट है। यूनियन की ओर से इसका कड़ा विरोध हुआ।
डीएलसी ने यूनियन के पक्ष में हस्तक्षेप करते हुए जोमैटो प्रबंधन को निर्देश दिया कि 3 दिसंबर की अगली वार्ता में मांगपत्र पर लिखित जवाब जमा करें।
ये भी पढ़ें-
- नीति आयोग रिपोर्ट: 2030 तक गिग वर्करों की संख्या हो सकती है दोगुनी से भी ज्यादा
- भारत में गिग अर्थव्यवस्था, अदृश्य मज़दूर और काम के हालात- एक रिपोर्ट
ज्ञात हो कि गिग वर्कर और ऐप्प आधारित कंपनियों को विनियमित करने के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया राज्य और केंद्र स्तर पर अब तक नहीं बनी है। ऐसे में यह वार्ता गिग वर्कर को श्रमिक अधिकार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
वार्ता के बाद गेट मीटिंग करते हुए अनिर्बान, सुब्रतो और प्रतीक ने आज की कार्रवाई के राजनीतिक और कानूनी महत्व के बारे में उपस्थित जोमैटो कर्मियों को संबोधित किया। मीटिंग में हड़ताल को अगली बैठक तक टालने का निर्णय भी लिया गया।
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें
(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)