तमिलनाडु में विरोध के बीच 12 घंटे काम का बिल पास, कर्नाटक में पहले ही लागू हो चुका है क़ानून
तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने राज्य में फ़ैक्ट्रियों में 12 घंटे काम का बिल शुक्रवार को पास हो गया.
फ़ैक्ट्रीज़ अमेंडमेंट बिल 2023 का वामपंथी पार्टियों समेत सत्तारूढ़ डीएमके के सहयोगियों ने भी विरोध किया है और इसके ख़िलाफ़ विधानसभा से वॉकआउट कर गए.
सीपीएम ने कहा है कि तमिलनाडु गैर बीजेपी पहला राज्य है जिसने मज़दूर विरोधी क़ानून पास किया है. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक 12 घंटे की शिफ़्ट का क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य है, जिस पर बीजेपी का शासन है.
माना जा रहा है कि इस क़ानून से बड़ी कारपोरेट कंपनियों एपल के फॉक्सकान, पेगाट्रॉन और विस्ट्रान तथा इलेक्ट्रानिक्स, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर की कंपनियो को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया गया है.
हालांकि स्टालिन सरकार ने कहा है कि सप्ताह में 48 घंटे के काम का नियम नहीं बदला गया है और 12 घंटे काम के चार कार्यदिवस के बाद तीन की छुट्टी का प्रावधान रहेगा.
इससे पहले बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार ने 24 फ़रवरी को फ़ैक्ट्रियों में 12 घंटे की शिफ़्ट का क़ानून पास किया था और रात की पाली में महिलाओं से काम कराने के लिए अनुमति दी थी.
A massive demonstration by CITU Contract Workers Unions held today 23.3.2023 in front of BEML Ltd, KGF Main Gate against the anti-workers the Factories (Karnataka Amendment) Bill 2023 which e working hours to 12 hours, permits to engage women workers in night shifts, etc. pic.twitter.com/hDh7ozZHII
— A.R Babu (@ARBabu57569943) March 23, 2023
क्या है प्रावधान
फ़ैक्ट्री संशोधन विधेयक 2023 के मुताबिक फ़ैक्ट्रियों में कर्मचारी अगर चार दिन का कार्यदिवस चुनते हैं तो वहां शिफ़्ट 12 घंटे की होगी और उन्हें तीन दिन की सवैतनिक छुट्टी मिलेगी.
सप्ताह में 48 घंटे काम की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि सरकार कैसे फैक्ट्रियों में ये नियम लागू करवाएगी.
हालांकि नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है.
एक ट्विवर यूज़र ने कहा है कि 125 साल बाद समय की सूई आज फिर वहीं पहुंच गई है 12 घंटे कार्यदिवस पर.
Struggle
for right to work only 8 hours in 1886
led to May 1 being declared International Workers Day or May Day.
Now after more than 125years
TN govt sets back the clock
with 12 hours working day. https://t.co/W2HH6xcIov @the_hindu @mkstalin #8not12 pic.twitter.com/YgVaJX9X6k— S Krishnaswamy (@krishnamku) April 22, 2023
सरकार का तर्क
उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने कहा कि कर्मचारियों के लिए सप्ताह में काम के कुल घंटों को नहीं बदला गया है.
उनका का दावा है कि इससे महिला कर्मचारियों को फायदा होगा.
श्रम कल्याण एवं कौशल विकास मंत्री सी वी गणेशन ने कहा कि तीनों दिन की छुट्टी का भुगतान किया जाएगा.
छुट्टी, ओवरटाइम, वेतन आदि के मौजूदा नियमों को नहीं बदला गया है. उन फ़ैक्ट्रियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी जो कर्मचारियों को इच्छा के विरुद्ध काम कराने पर मज़बूर करेंगे.
The CPIM demands that the @arivalayam Government abolish the Factories (Tamilnadu Amendment) Bill, 2023. Tamilnadu is the only non-BJP state to pass an anti-labor bill. It is utterly ridiculous for a state like Tamilnadu to pass this bill. @mkstalin #labourlaw #CPIM #8மணிநேரவேலை https://t.co/wHqNtZxZGd
— CPI(M) Puducherry ☭ (@pycpim) April 21, 2023
विधेयक का विरोध
जब 12 अप्रैल को विधानसभा में ये विधेयक पेश किया तो ट्रेड यूनियनों का इसका भारी विरोध करना शुरू कर दिए.
वामपंथी दलों ने इसे कारपोरेट फायदा पहुंचाने वाला बताया. सीपीएम विधायक वीपी नगईमाली ने कहा कि अधिनियम कॉरपोरेट्स का पक्ष लेगा.
जबकि, सीपीआई विधायक टी रामचंद्रन का कहना है कि अगर वर्तमान परिस्थितियों में अधिनियम लागू किया जाता है, तो कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और नौकरी की स्थायीता पर प्रहार होगा.
वीसीके सदस्य का दावा है कि यह मजदूर विरोधी अधिनियम है, इससे श्रमिकों का शोषण होगा और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.
कांग्रेस नेता सेल्वापेरुनथगाई ने कहा कि मजदूर विरोधी विधेयक कर्मचारियों से उनके अधिकारों को छीनेगा.
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