वर्कर यूनिटी के आगे झुकी तमिलनाडु सरकार, 12 घंटे शिफ़्ट का क़ानून वापस लिया
कर्नाटक की तर्ज पर राज्य में 12 घंटे की शिफ्ट के क़ानून को एक हफ़्ते के अंदर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार को वापस लेना पड़ा।
मज़दूर एकता के सामने आख़िरकार तमिलनाडु सरकार को झुकना पड़ा और उसने मई दिवस के दिन इस काले क़ानून को वापस लेने का ऐलान किया है।
नए बिल में फ़ैक्ट्रियों को मज़दूरों से आठ घंटे से अधिक काम कराने की आज़ादी दी गई थी। इस क़ानून को 14 अप्रैल को पेश किया गया और अप्रैल के अंतिम सप्ताह में इसे विधानसभा में पास कर दिया गया था।
एटक, सीटू समेत तमाम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इसका तीख़ा विरोध किया और चौतरफ़ा आलोचना के बाद डीएमके मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने फ़ैक्ट्रीज़ तमिलनाडु संशोधन विधेयक 2023 पर रोक लगा दी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फ़ैक्ट्री एक्ट पर विवाद पैदा हो गया है। तमिलनाडु में निवेश को आकर्षित करने और राज्य के उत्तरी और दक्षिणी ज़िलों के नौजवानों को रोज़गार देने के लिए इस क़ानून में बदलाव किया गया था।
बिल जब पेश किया गया था तो उस समय स्टालिन ने कहा था कि ये सभी फ़ैक्ट्रियों पर लागू नहीं होगा।
क्या है संशोधन और क्यों हो रहा है विरोध?
फ़ैक्ट्री संशोधन विधेयक 2023 के मुताबिक फ़ैक्ट्रियों में कर्मचारी अगर चार दिन का कार्यदिवस चुनते हैं तो वहां शिफ़्ट 12 घंटे की होगी और उन्हें तीन दिन की सवैतनिक छुट्टी मिलेगी।
सप्ताह में 48 घंटे काम की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि सरकार कैसे फैक्ट्रियों में ये नियम लागू करवाएगी।
फ़ैक्ट्रीज़ अमेंडमेंट बिल 2023 के तहत का वामपंथी पार्टियों समेत सत्तारूढ़ डीएमके के सहयोगियों ने भी विरोध किया है और इसके ख़िलाफ़ विधानसभा से वॉकआउट कर गए।
सीपीएम ने कहा है कि तमिलनाडु गैर बीजेपी पहला राज्य है जिसने मज़दूर विरोधी क़ानून पास किया है. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक 12 घंटे की शिफ़्ट का क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य है, जिस पर बीजेपी का शासन है।
माना जा रहा है कि इस क़ानून से बड़ी कारपोरेट कंपनियों एपल के फॉक्सकान, पेगाट्रॉन और विस्ट्रान तथा इलेक्ट्रानिक्स, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर की कंपनियो को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।
हालांकि स्टालिन सरकार ने कहा है कि सप्ताह में 48 घंटे के काम का नियम नहीं बदला गया है और 12 घंटे काम के चार कार्यदिवस के बाद तीन की छुट्टी का प्रावधान रहेगा।
इससे पहले बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार ने 24 फ़रवरी को फ़ैक्ट्रियों में 12 घंटे की शिफ़्ट का क़ानून पास किया था और रात की पाली में महिलाओं से काम कराने के लिए अनुमति दी थी।
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