यूपी में छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर एनआईए की छापेमारी को लेकर पीयूसीएल का बयान
यूपी में प्रयागराज (इलाहाबाद), बनारस समेत कई जगहों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आज़मगढ़ के खीरियाबाग किसान आंदोलन में शामिल रहे लोगों के घरों पर छापेमारी की है. मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश इकाई ने एक बयान जारी कर इस छापेमारी की निंदा की है.
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में आठ से अधिक जिलों में एनआईए जांच टीम एजेंसी द्वारा यह कार्रवाई की गई. पता चला है कि इन छापेमारी में लोगों के फ़ोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और कुछ कागज किताबें एनआईए अपने साथ ले गया है.
मंगलवार की इस छापेमारी कार्रवाई को लेकर पीयूसीएल ने एक बयान जारी किया-
प्रयागराज में इस छापेमारी के दौरान एनआईए ने पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव एवं पीयूसीएल उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष एडवोकेट सीमा आजाद के आवास एवं पीयूसीएल यूपी की संयुक्त सचिव एडवोकेट सोनी आजाद के निवास पर भी कार्रवाई की है. सीमा आजाद “दस्तक” नाम से एक पत्रिका का प्रकाशन भी करती हैं.
सीमा आजाद के आवास पर उनको व उनके पति एडवोकेट विश्वविजय को नजरबंदी हिरासत में रखा गया है. मालूम हुआ है कि आवास पर उनके दस्तावेजों, किताबों, विभिन्न फाइलों के साथ लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरणों को भी एन आई ए ने खंगाला है और मोबाइल फोन सहित ले लिए हैं.
सूत्रों के अनुसार इनको स्कैन किया जा रहा है और अभी भी इस कार्रवाई का सिलसिला जारी है.
पीयूसीएल उत्तर प्रदेश के पूर्व महासचिव इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रयागराज हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री के के रॉय ने इसकी पुष्टि की है, साथ ही इस कार्रवाई को जनाकांक्षाओं और जनप्रतिरोध तथा नागरिक और मानवाधिकारों को कुचलने वाला बताया है.
पीयूसीएल का मानना है कि ऐसे वक्त में जब देश व प्रदेश में किसान, मजदूर, छात्र सहित आम नागरिक बेहद तंग हालात से गुजर रहे हैं और अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं.तब ऐसे में जन प्रतिरोध, असहमतियों, सवालों और नागरिकों की आवाज दबाने के लिए सरकार अर्बन नक्सल का मिथ गढ़ कर एन आई ए जैसी संस्था का दुरुपयोग करके नागरिक सवालों और अधिकारों का दमन कर रही है. यह स्पष्ट तौर पर लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों और सवालिया संस्कृति पर हमला है.
पीयूसीएल, यूपी इस संदर्भ पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराता है. देश व प्रदेश के अनेकों संगठन एन आई ए की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और नागरिक अधिकारों के हनन के तौर पर देख रहे हैं और अपनी आपत्तियां दर्ज कर रहे हैं.
पीयूसीएल की मांग
1. पीयूसीएल यूपी की अध्यक्ष सीमा आजाद एड०, संयुक्त सचिव सोनी आजाद एड० सीमा आजाद के जीवनसाथी एडवोकेट विश्वविजय एवं भाई मनीष आजाद को तत्काल नजरबंदी हिरासत से रिहा किया जाए. साथ ही सरकार और एजेंसी प्रयागराज (इलाहाबाद) सहित विभिन्न जिलों में की जा रही कार्रवाई का कारण तथ्यों व साक्ष्यों सहित स्पष्ट करें.
2. एन आई ए द्वारा नागरिक अधिकार व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ मनमानी कार्रवाई पर पीयूसीएल गम्भीर चिंता व्यक्त करता है. सरकार अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए और अपने विरुद्ध पनप रहे जनाक्रोश को दबाने के लिए अर्बन नक्सल का मुहावरा गढ़ रही है. और आम जन की आवाज और नागरिक एवं मानवाधिकारों को कुचलना चाहती है. इसके लिए एन आई ए ऐसी सरकारी एजेंसी का दुरुपयोग किया जा रहा है. ऐसी दमनात्मक कार्रवाइयों को रोका जाए.
3. एन आई ए द्वारा सन्देह के आधार पर विभिन्न जिलों में की जा उक्त कार्रवाई के दौरान सभी के संवैधानिक विधिक अधिकारों को संरक्षित रखा जाना एवं उनके अधिवक्ताओं को साथ रखा जाना, किसी भी कार्रवाई के पूर्व सुनिश्चित करना चाहिए
(खबर पीयूसीएल, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर है)
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