सऊदी अरब में फंसे झारखंड के मजदूरों की दर्दभरी कहानी: 14 की घर वापसी, 31 अभी भी फंसे
हाल ही में सऊदी अरब से झारखंड के 14 मजदूरों की घर वापसी हुई है, जो वहां कई महीनों से कठिन परिस्थितियों में फंसे हुए थे।
ये मजदूर सऊदी अरब में काम करने के लिए गए थे, लेकिन वहां के हालात ने उनका जीवन और भी बदतर बना दिया।
हालांकि, अभी भी 31 मजदूर सऊदी अरब में फंसे हुए हैं और उनकी वापसी के लिए सरकार प्रयासरत है।
किसने भेजा था मजदूरों को?
इन सभी मजदूरों को केरल के एजेंटों द्वारा अलग-अलग कंपनियों में काम करने के लिए भेजा गया था।
मजदूर हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिलों के रहने वाले हैं। एजेंटों ने मजदूरों से वादा किया था कि उन्हें सऊदी अरब में बेहतर वेतन और सुविधाएं मिलेंगी, जिसके एवज में हर मजदूर से 55 हजार रुपये लिए गए।
यह राशि केरल निवासी एजेंट आरएस पांडियन और उनके बेटे एस. मनिबाला के खाते में जमा कराई गई थी।
सऊदी अरब में मजदूरों की कठिनाइयाँ
11 मई, 2023 को सऊदी अरब पहुंचे इन मजदूरों की स्थिति वहां पहुंचते ही खराब हो गई।
न केवल उन्हें कठिन परिस्थितियों में काम कराया गया, बल्कि उन्हें वादा किया गया वेतन भी नहीं मिला।
कंपनी ने उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए और उन्हें वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं मिला। मजदूरों की कई महीने की मजदूरी भी बकाया है, और उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया।
फंसे हुए मजदूरों ने अपनी स्थिति को बयां करते हुए बताया कि उन्हें दिन-रात काम कराया गया, बिना किसी विश्राम या उचित भोजन के।
कई मजदूरों ने कहा कि उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे ताकि वे वापस न लौट सकें।
इसके अलावा, वेतन के नाम पर केवल थोड़ी सी रकम दी जाती थी, और वह भी बहुत कम थी।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास कोई सुरक्षा या चिकित्सा सुविधाएं नहीं थीं, जिससे उनकी स्थिति और भी दयनीय हो गई थी।
सरकार का हस्तक्षेप और घर वापसी
झारखंड सरकार के श्रम विभाग ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, जिसके बाद मजदूरों की वापसी के प्रयास शुरू हुए।
अब तक 14 मजदूरों की घर वापसी हो चुकी है, लेकिन बाकी 31 मजदूर अभी भी सऊदी अरब में फंसे हुए हैं।
इन मजदूरों ने कई बार वीडियो मेसेज के जरिए सरकार से मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद सरकार हरकत में आई।
घर लौटे मजदूरों की आपबीती
घर वापस लौटे मजदूरों ने बताया कि कैसे उन्हें एजेंटों ने धोखा दिया और सऊदी अरब में झूठे वादे करके फंसाया गया।
उन्हें अच्छी नौकरी और सैलरी का लालच देकर भेजा गया था, लेकिन हकीकत में उन्हें मजबूरन बुरे हालात में काम करना पड़ा।
उनमें से कई ने बताया कि उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और वेतन देने का भी कोई तय समय नहीं था।
सरकार की पहल और उम्मीदें
झारखंड सरकार का कहना है कि भारत सरकार की मदद से अब बाकी मजदूरों की वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही बाकी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी की उम्मीद है।
सरकारी अधिकारीयों ने बताया, ‘यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक है जो विदेश में बेहतर भविष्य की तलाश में जाते हैं, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सही और भरोसेमंद माध्यम से ही विदेश जाएं’।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत से विदेश जाने वाले मजदूरों के हितों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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