केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जारी रहेगा प्रदर्शनों का दौर : SKM का ऐलान
दिल्ली के रामलीला मैदान में कल, 20 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें देश भर से हजारों किसानों ने भाग लिया।
SKM के सदस्यों ने भारत के किसानों से खेती पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया।
इसके अलावा SKM ने लंबित सभी मांगों को पूरा करने और एमएसपी गारंटी कानून को तुरंत लागू करने के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा।
SKM ने कृषि मंत्री को सूचित किया कि यदि जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जायेगा तो, इसके विरोध में प्रदर्शन और आंदोलन किये जायेंगे।
साथ ही देश भर में बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट शोषण के खिलाफ राज्य सम्मेलन का आयोजन जिया जायेगा, अखिल भारतीय यात्राएं निकाली जाएँगी और किसानों की मांगों पर लोगों को लामबंद किया जायेगा।
SKM द्वारा आयोजिय किसान महापंचायत में वक्ताओं ने कर्ज में डूबी मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र, कृषि भूमि, वन और प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट मुनाफाखोरों को बेचने की कड़ी निंदा की।
महापंचायत में 50 से अधिक वक्ताओं ने कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण और केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध जारी रखने का आह्वान किया।
SKM के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात की और उन्हें दो ज्ञापन सौंपे।
SKM और कृषि मंत्री के बीच चर्चा हुई और सरकार ने किसानों के लंबित और ज्वलंत मुद्दों को हल करने के लिए SKM के साथ निरंतर आधार पर बातचीत करने पर सहमति जताई।
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सयुक्त किसान मोर्चा की मांग
दरअसल, किसान महापंचायत केंद्र सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा को 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने और किसानों द्वारा सामना किए जा रहे लगातार बढ़ते संकट के समाधान के लिए मोदी सरकर के आगे अपनी 10 सूत्रीय मांगों को रखा ।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया और लागू किया जाए।
- एसकेएम ने कई बार स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित ऐजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वादा किया गया था।
- कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80% से अधिक किसान कर्ज में डूब चुके हैं और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी की मांग करता है।
- संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने एसकेएम को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा के साथ विमर्श के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे बिना किसी चर्चा के संसद में पेश कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराता है।
- लखिमपुर खेरी जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान और लखिमपुर खेरी में शहीद और घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के वादे को सरकार पूरा करे।
- अप्रभावी और वस्तुतः परित्यक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।
- सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।
- किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाए।
- सिंघु मोर्चा पर शहीद किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाए।
एसकेएम के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में आर. वेंकैया – अखिल भारतीय किसान सभा, डॉ. सुनीलम – किसान संघर्ष समिति, प्रेम सिंह गहलावत – अखिल भारतीय किसान महासभा, वी वेंकटरमैया – अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, सुरेश कोठ – भारतीय किसान मजदूर यूनियन, युद्धवीर सिंह – भारतीय किसान यूनियन, हन्नान मोल्लाह – अखिल भारतीय किसान सभा, बूटा सिंह बुर्जगिल – भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा), जोगिंदर सिंह उगराहां – भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां), सत्यवान – अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, अविक साहा – जय किसान आंदोलन, दर्शन पाल – क्रांतिकारी किसान यूनियन, मंजीत राय – भारतीय किसान यूनियन (दोआबा), हरिंदर लाखोवाल – भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल), सतनाम सिंह बहरू – इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन शामिल हुए।
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