देश की 41 रक्षा कंपनियों को सरकार दो साल बाद प्राईवेट कंपनियों को बेच देगी?

देश की 41 रक्षा कंपनियों को सरकार दो साल बाद प्राईवेट कंपनियों को बेच देगी?

आर्डिनेंस फैक्ट्रियों को कॉर्पोरेशन के ढांचे में ढालने का विरोध लगातार तेज हो रहा है। दरअसल ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड को खत्म कर सात अलग-अलग कार्पोरेशन बनाए जाएंगे और 41 फैक्ट्रियों को इन्हीं में सम्मिलित किया जाएगा। ट्रेड यूनियन इसे आर्डिनेंस फैक्ट्रियों को तोड़ने और बर्बाद करने की साजिश करार दे रही हैं।

इसे लेकर AIDEF के जॉइंट सेक्रेटरी रवींद्र एस रेड्डी ने मजदूरों को संबोधित करते हुए सरकार के निर्णय का पुरजोर विरोध किया है।

उन्होंने कहा, ”कोविड के वक्त फैक्ट्री चालू नहीं है, देश में उथल पुथल है, तीसरी लहर का अंदेशा है। इन सबके बीच सरकार का फैसला मज़दूर वर्ग के लिए बहुत ग़लत है।”

रेड्डी ने आगे बताया कि ‘इस निर्णय से 70,000 काम कर रहे मजदूरों पर गाज गिरी है। हमारे परिवार को 7 टुकड़ों में बांटा जा रहा है जिसका एक दूसरे के साथ संबंध नहीं रहेगा। जब हम हड़ताल भी करते थे तब एकता दिखती थी। सरकार को परामर्श देने वाले लोगों ने जानबूझकर यह कदम उठाने के लिए कहा  जिससे हमारी ताकत बंट जाए।’

‘पीआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक नए ढांचे में अब हम सरकारी कर्मचारी नहीं रहेंगे। हम कॉर्पोरेशन के कर्मचारी हो जाएंगे। 2 साल तक सरकार खर्चा वहन करेगी और उसके ठीक बाद वह इन कंपनियों को उठाकर बड़ी निजी कंपनियों को हैंडओवर कर दिया जाएगा।’

रेड्डी ने कहा, “मेरी यह भविष्यवाणी है कि कम से कम 50 प्रतिशत आर्डिनेंस फैक्ट्री इस बर्बादी की चपेट में आ जाएंगी। सभी लोगों का यही मत था। लेकिन एक उम्मीद थी कि अगर इतने सालों तक ऐसा कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा। लेकिन धीरे धीरे यह विचार मजबूत हो गया और सरकार इतनी मजबूत है कि हम कुछ नहीं कर सकते थे।”

“पहले जब हमारा फ़ेडरेशन इसके खिलाफ लड़ रहा था तब दूसरे फ़ेडरेशन कह रहे थे कि नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा। सरकार से बात होगी और तमाम दूसरी चीजें भी हैं। लेकिन जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद इस बात पर मुहर लगाई तब वे हमारे साथ आए। हमारी सोच थी कि देर आए दुरस्त आए। लेकिन सरकार के इस फैसले को देखकर लगता है कि हमने एकता जुटाने में बहुत देर कर दी।”

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने विश्वासघात किया है, “2020 के कोरोना की परिस्थियों में इन सारे मुद्दों पर बैठकर चर्चा नहीं की जा सकती थी। सरकार ने इन परिस्थियों का पूरा फायदा उठाया।”

“कल तक हम लोग केन्द्रीय कर्मचारी थे, लेकिन अब पार्लियामेंट्री कमेटी का निर्णय हो गया, जिसके कैबिनेट अप्रूवल हो गया, फिर गैजेट नोटिफिकेशन होगा जिसमें साफ लिखा होगा कि कौन से ग्रुप में कितनी फैक्ट्रियां होंगी। फैक्ट्री का ढांचा क्या होगा, बजट क्या होगा। अब यह कॉर्पोरेट ढांचा हो जाएगा, जिसमें सीएमडी (चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर) रहेगा। फिर उसके नीचे कुछ डायरेक्टर उसके नीचे ऑफिसर फिर वर्कर, सुपरवाइजर हो जाएंगे।”

सरकार ओएफ़बी के साथ वही करना चाहती है जो बीएसएनएल के साथ किया, “हमारे आंखों के सामने बीएसएनएल है। जो बीएसएल हमारे देश का नंबर 1 टेलीफ़ोन और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर था। गांव गांव में बीएसएनएल की लाइन है। उस सर्विस प्रोवाइडर का कारपोरेशन बनने के बाद क्या हाल है वह आपके सामने है। प्राइवेट कंपनियां आईं उन्होंने बहुत कुछ टेकओवर कर लिया और बीएसएनएल गायब हो गया। वही हालत हमारी है। उसकी तुलना में तो हम और भी कम लोगों के लिए काम कर रहे हैं।”

रेड्डी ने कहा, “हम यहां देश सेवा में काम कर रहे हैं। लेकिन अब सरकार का कहना है कि हमें अब धंधा करना है और कमाना है। सबके दिमाग में वही बात डाल दी गई है।”

“आज की तारीख में जहां जहां ऑर्डनेंस फैक्ट्री हैं वहां ज़मीन की क़ीमत बहुत ही अधिक है। ये बात मैं सभी 41 ऑर्डेनेंस फैक्ट्री के लिए कह रहा हूं। मेरा मानना है कि ये ज़मीन के पीछे ही हमारे ख़िलाफ़ इतना बड़ा फैसला लिया गया है।”

“कुछ भी हो जाए हमें चुप नहीं रहना है। हमें अपना हक नहीं छोड़ना है। हम बेरोजगार नहीं हो सकते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि कोई भी फैक्ट्री बंद नहीं होगी। किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी। हमे उसपर क़ायम रहना है। ज़रूरत पड़ी तो हम आगे कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे।”

“वैसे तो राजनीति का कोई भरोसा नहीं है जैसे पिछली सरकारों ने हमेशा कहा कि कुछ भी कॉर्पोरेशन में तब्दील नहीं होगा लेकिन उनके वादे को ये सरकार नहीं मानती वैसे ही हो सकता है कि आगे कोई दूसरी सरकार आए और मौजूदा व्यवस्था को बदल दे। लेकिन हम इस भरोसे में नहीं जी सकते हैं। हमें यह सोच कर अपनी लड़ाई लड़नी होगी कि हमें बाहर से कहीं भी मदद नहीं मिलने वाली है।”

उन्होंने कहा कि “हमें मिलकर 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की लड़ाई लड़नी है। उसमें अगर न्याय मिलना है तो सभी फैक्ट्री को मिलेगा। फायदा पहुंचेगा तो सभी 70 हजार मजदूरों को मिलेगा। यह लड़ाई एक या दो फैक्ट्री के लिए नहीं है क्योंकि इसमें कोई बचने वाला नहीं है।”

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Amit Singh

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