रक्षा कंपनियों के निगमीकरण के ख़िलाफ़ 80,000 कर्मचारियों ने मनाया विरोध दिवस
देश भर में फैले 41 रक्षा कंपनियों के निगमीकरण के खिलाफ 80 हजार कर्मचारियों ने विरोध दिवस के रूप में मनाया।
8 जुलाई को सभी कर्मचारियों ने 3 संघों के प्रतिनिधित्व में ‘आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021’ के खिलाफ काला दिवस मनाया।
कर्मचारियों ने काले झंडों के साथ फैक्ट्री के बाहर खड़े होकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया।
ऑर्डिनस फैक्ट्री के कर्मचारियों के ब्लैक डे को देशभर के ट्रेड यूनियनों ने समर्थन दिया है। रेलवे से लेकर केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन ने भी इसको अपना समर्थन दिया है।
सुबह फैक्ट्री के कर्मचारी काले बैज के साथ फैक्ट्री में उत्पादन किया। गौरतलब है कि सरकार ने अध्यादेश जारी कर कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।
हड़ताल करने व उसमें शामिल रहने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए यह अध्यादेश जारी किया है कि ऐसे कर्मचारियों को एक वर्ष की कैद और 10 हजार जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
फेडरेशन्स का कहना है कि ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के तहत रक्षा कर्मचारियों के कानूनी अधिकार को छीनकर भारत सरकार जिस तरह से अपने प्रतिबद्ध और समर्पित कार्यबल के साथ व्यवहार कर रही है वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार का ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को सात कॉरपोरशन में बदलने का फैसला ना तो देश हित में है और ना ही कर्मचारियों के हित में है। निगमीकरण के बहाने सरकार इन कारखानों का निजीकरण कर रही है।
सरकार के मुताबिक सेना को समय पर बेहतर हथियार मिलें इसके लिए जरूरी है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का निगमीकरण किया जाए। दो सौ बीस साल पुराने ऑर्डिनस फैक्ट्री बोर्ड में सेना के लिए गोला बारूद से लेकर मिसाइल और तोप व टैंक तक बनते हैं।
एआईटीयूसी ने सभी वर्गों के मेहनतकश लोगों से सरकार के इस क्रूर फैसले के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
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