हड़तालों का अगस्तः इस महीने देश भर में कब कब किस क्षेत्र में होंगी हड़तालें?
भले ही मोदी सरकार आज अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही हो लेकिन मज़दूर वर्ग से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
जैसे जैसे मोदी सरकार का भारत के मज़दूर वर्ग पर हमला बढ़ रहा है उसकी प्रतिक्रिया भी तेज होती जा रही है।
यही कारण है कि लॉकडाउन के बाद 22 मई से शुरू हुआ मज़दूर वर्ग का प्रतिरोध अगस्त तक आते आते एक बड़ा आकार लेता हुआ दिखाई दे रहा है।
इस महीने देश व्यापी और राज्य स्तर से लेकर अलग क्षेत्रों में कई हड़तालें आयोजित हो रही हैं और साथ ही एक व्यापक लामबंदी भी दिखाई दे रही है। आईए नज़र दौड़ाते हैं कब कब किन क्षेत्रों में होगी हड़ताल-
5 अगस्त- ट्रांसपोर्ट से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल
ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स आर्गेनाइजेशन्स ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का आह्वान किया है। और इंडियन फ़ेडरेशन ऑफ़ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने इसका समर्थन किया है।
इनकी मांग है कि लॉकडाउन के कारण आजीविका पर जो प्रभाव पड़ा है उसकी न तो सरकार ने और ना ही कंपनियों ने भरपाई की या कोई मदद पहुंचाई।
उनका कहना है कि मदद पहुंचाने की बजाय ने पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतें आसमान पर पहुंचा दी हैं जिसे तत्काल कम किया जाना चाहिए।
8 अगस्त- डॉक्टरों की हड़ताल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) विधेयक के विरोध में आठ अगस्त को 24 घंटे का राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
इस दौरान सभी मेडिसिन डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं रहेंगे।
मेडिकल स्टूडेंट्स से भी आईएमए ने अपनी क्लास छोड़ने की अपील की है। साथ ही भूख हड़ताल आयोजन करने का आह्वान किया है।
डॉक्टर्स एसोसिएशन इसका विरोध कर रही है क्योंकि इसमें मेडिकल प्रवेश की पूरे देश में एक परीक्षा कराने, चार साल के कोर्स के बाद एक साथ परीक्षा का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा इस बिल में उन स्वास्थ्य कर्मियों को भी लाइसेंस देने का प्रावधान किया गया है जो पढ़ाई तो नहीं की है लेकिन अपने इलाक़े में प्राइमरी हेल्थ का काम देखते हैं।
9 अगस्त- मज़दूरों और किसान संगठनों का प्रदर्शन
मज़दूर संघर्ष अभियान (मासा), देश की सभी प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, क़रीब 200 किसान संगठनों वाले मंच ने 9 अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
इस एक दिवसीय देश व्यापी प्रदर्शन को 41 आर्डनेंस फ़ैक्ट्रियों की यूनियनें, फ़ेडरेशनें, कोयला खनन मज़दूर यूनियनें, बैंकिंग सेक्टर समेत कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया है।
यही नहीं 9 अगस्त को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की संयुक्त समिति ने जेल भरो का आह्वान किया है।
मज़दूरों और किसानों का ये संयुक्त प्रदर्शन मोदी सरकार के लिए नई तो नहीं लेकिन पहले से ज़्यादा तगड़ी चुनौती पेश करेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
भारत छोड़ो की तर्ज पर इस एक दिवसीय प्रदर्शन को ‘भारत बचाओ’ का नाम दिया गया है।
अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ 9 अगस्त 1942 को शुरु हुआ ‘भारत छोड़ो; आंदोलन आज़ादी के लिए संघर्षों के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है।
18 अगस्त- कोयला खनिकों की हड़ताल
कोयला खदानों को निजी कंपनियों के हवाले करने का विरोध कर रही कोल इंडिया में कोयला खनिकों की यूनियनों ने चार अगस्त को ही नोटिस जारी कर 18 अगस्त को एक दिवसीयच देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 18 अगस्त की इस कोल सेक्टर हड़ताल का समर्थन किया है।
कोयला खनिकों की यूनियनों ने बीते 2 जुलाई से तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था उसके बावजूद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी कंपनियों की नीलामी का उद्घाटन किया था।
22 अगस्त- बैंक कर्मियों की हड़ताल
बैंक कर्मचारी यूनियनों ने 22 अगस्त को सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के ख़िलाफ़ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है। नौ बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाली ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाई एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा है कि इस हड़ताल में 10 लाख कर्मचारी भाग लेंगे।
हाल ही में मोदी सरकार ने छह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी कंपनियों के हवाले करने का ऐलान किया है।
बैंक कर्मियों की मांग में लाखों करोड़ रुपये के बट्टे खाते को वसूलना भी शामिल है।
बेमियादी हड़ताल का सरकार को नोटिस
चार अगस्त को ही 41 आर्डनेंस फ़ैक्ट्री के 82,000 कर्मचारियों वाली ट्रेड यूनियनों और फ़ेडरेशनों ने मोदी सरकार को नोटिस जारी कर 12 अक्टूबर से बेमियादी हड़ाताल का बिगुल बजा दिया है।
मई में मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 41 आर्डनेंस फ़ैक्ट्रियों को निगम बनाने की घोषणा की तभी से डिफ़ेंस यूनियनों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत विफल रही है।
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