ट्रेड यूनियनों और किसानों ने बैंक हड़ताल को दिया समर्थन, 15 मार्च को ‘निजीकरण विरोध दिवस’ मनाया
केंद्रीय मजदूर संघों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भारतीय और विदेशी कॉर्पोरेट्स को राष्ट्रीय परिसंपत्तियों और प्राकृतिक संसाधनों को बेचने के केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ 15 मार्च को राष्ट्रव्यापी “निजीकरण विरोधी दिवस” के रूप में मनाया।
वित्त क्षेत्र की कर्मचारियों और अधिकारियों की यूनियनों द्वारा 15-16 मार्च को, फिर 17 मार्च को जनरल इंश्योरेंस कंपनियों और 18 मार्च को जीवन बीमा कंपनियों द्वारा चार दिवसीय हड़ताल शुरू चुकी है।
सभी सार्वजनिक क्षेत्रों की यूनियनों ने हड़ताल की कार्रवाई के समर्थन में कार्य स्थलों पर इस ‘निजीकरण विरोधी दिवस’ का आयोजन किया है।
यह विरोध प्रदर्शन पूरे भारत में एक लाख से अधिक स्थानों पर, कार्यालयों के सामने और रेलवे स्टेशनों के सामने किया गया है । इन विरोध प्रदर्शनों में किसानों ने भी भाग लिया।
प्रदर्शन
वक्ताओं ने प्रदर्शनों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संसाधन, स्वच्छता मनरेगा में बजट में कमी की जा रही है जबकि दुसरी तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के सरकार के फैसले से जीवन के सभी पहलुओं को छूने वाली आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है ।
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा लगाकर सरकारी संपत्ति को निजी हाथों तक पहुंचा रहे हैं। उनके इस कदम से देश की संप्रभु- आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है, रोजगार सृजन नहीं हो रहा है, आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं, आम आदमी का जीवन दयनीय होता जा रहा है ।
अमरजीत कौर ने कहा कि “सरकारी नीतियों की आलोचना करने वालों को देशद्रोही करार दिया जा रहा है और उन पर राजद्रोह अधिनियम, यूएपीए और एनआईए आदि के तहत जेल में डाल दिया जाता है। सीबीआई, ईडी और अन्य विभागों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विरोध की आवाजों दबाने के लिए किया जा रहा है।”
नेताओं ने कहा किसानों ने इस देश की जनता को एक राह दिखाई है। आम जनता को भी इस लड़ाई में साथ खड़ा होना होगा ताकि किसान और कामगार हतोत्साहित न हो और वे राष्ट्र के हित में अपना संघर्ष जारी रखें।
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