केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया 23-24 फ़रवरी को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र अखिल भारतीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच ने बजट सत्र के दौरान अगली 23-24 फ़रवरी 2022 को दो दिवसीय आम हड़ताल का ऐलान किया है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने एक बयान जारी कर कहा है कि भाजपा सरकार की जनविरोधी, मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी विनाशकारी नीतियों के खिलाफ 11 नवंबर, 2021 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में आम हड़ताल का फैसला लिया गया था और अब इसकी तारीख़ पक्की कर दी गई है।
बैठक में तय किया गया है कि आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के साथ तालमेल के जरिए उन प्रदेशों में जनसभाएं आयोजित की जाएंगी जहां 2022 की शुरुआत में चुनाव होने जा रहे हैं।
इस तरह संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड के आह्वान को मजबूत किया जाएगा।
कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद, एसकेएम द्वारा तय किए गए कार्यक्रमों और संघर्षों में अपने सक्रिय समर्थन के वादे को ट्रेड यूनियनों ने दोहराया है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने तय किया है कि तैयारी के लिए राज्य इकाइयाँ गहन अभियान चलाएँगी। सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी, कॉरपोरेट-समर्थक और राष्ट्र-विरोधी विनाशकारी नीतियों के परिणामों को बेनकाब करने के लिए राज्य सम्मेलन, मानव श्रृंखला, मशाल जुलूस, हस्ताक्षर अभियान, क्षेत्रीय और क्षेत्र-आधारित संयुक्त अभियान और आंदोलन आदि आयोजित किए जाएंगे।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने 16-17 दिसंबर 2021 को बैंकों कर्मचारियों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के निर्णय का समर्थन किया है, जिसे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने ऐलान किया है। इसके अलावा बिजली कर्मचारियों के संयुक्त मंच द्वारा एक फरवरी 2022 को हड़ताल के निर्णय का भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बयान में कहा है कि हमारा संयुक्त संघर्ष न केवल लोगों के अधिकारों और जीवन/आजीविका को बचाने के लिए है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था और समाज को बचाने के लिए है, जिसे सत्ता में मौजूद तानाशाही ताकतें विनाश की ओर ले जा रही हैं। इन तानाशाही ताकतों को कॉर्पोरेट जगत जिनमें, घरेलू और विदेशी दोनों शामिल हैं, उनका समर्थन हासिल है।
बयान में कहा गया है कि अहंकारी मोदी सरकार को मजबूर कर किसान आंदोलन ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करा कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। अब मेहनतकश लोगों के वर्गों को जीवन और आजीविका, रोजगार, दरिद्रता और भूख की भयावह तीव्रता, लोकतंत्र पर हमले और लोगों की एकता पर हमले की इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अपने संयुक्त हस्तक्षेप को और बढ़ाना चाहिए।
हमें देश के सभी राजनीतिक दलों से “काम के अधिकार की सुरक्षा, जीवनयापन मजदूरी, सभी नागरिकों के लिए मुफ्त गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा-सुविधा और सभी वैध संवैधानिक अधिकारों” को अपने राजनीतिक घोषणापत्र में एक दृढ़ प्रतिबद्धता के रूप में शामिल करने की मांग करनी होगी।
हमें मांग करनी चाहिए कि 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 में आम चुनाव के लिए अपने वादों को पूरा करने और सत्ता में आने पर श्रमिकों, किसानों और देश के सभी लोगों की मांगों का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक रूप से शपथ लिए जाएं।
हाल ही में 3 कृषि कानूनों को निरस्त करना असल में किसानों द्वारा लंबे समय तक चलाए जा रहे एकजुट संघर्ष के साथ-साथ मेहनतकश लोगों द्वारा देशव्यापी एकजुटता दिखाने और पिछले उप चुनानों में सत्ताधारी दल को मिली हार के फलस्वरूप पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्रीय टैक्स में कटौती की गई। ये भाजपा की करारी शिकश्त का नमूना भर है।
हड़ताल की मांगें-
- चार लेबर कोड (श्रम संहिता) को समाप्त करना; ईडीएसए का स्क्रैपिंग
- कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद, संयुक्त किसान मोर्चा की 6 सूत्री मांग को स्वीकार करें,
- किसी भी रूप में निजीकरण के लिए नहीं और एनएमपी को स्क्रैप करना;
- गैर-आयकर भुगतान करने वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की राशन और नकद सहायता;
- मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार;
- सभी अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा;
- आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य योजना कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा;
- महामारी के बीच लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं;
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए धन कर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि
- पेट्रोलियम उत्पाद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपचारात्मक उपाय।
- संविदा कर्मियों, योजना कर्मियों का नियमितीकरण और सभी के लिए समान काम के लिए समान वेतन
- एनपीएस को रद्द करना और पुरानी पेंशन की बहाली; कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि
इस बैठक में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC आदि मौजूद रहे।
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