होंडा में वीआरएस स्कीम में बदलाव, अधिकतम 72 लाख और न्यूतम 32 लाख रु. की सीमा

होंडा में वीआरएस स्कीम में बदलाव, अधिकतम 72 लाख और न्यूतम 32 लाख रु. की सीमा

हरियाणा के मानेसर में होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया प्लांट में जारी वीआरएस स्कीम में मैनेजमेंट ने एक और नोटिस जारी कर मुआवज़े की राशि की न्यूनतम सीमा भी तय कर दी है।

बीते 16 जनवरी को जारी एक नोटिस में मैनेजमेंट ने कहा है कि एस4 और उससे ऊपर के ग्रेड वाले कर्मचारियों को कुल मिलाकर न्यूनतम 67 लाख रुपये मिलेंगे। जबकि एस3 ग्रेड को 47 लाख और एस2 ग्रेड को 32 लाख रुपये मिलेगें।

शुरू में जो टार्गेट अचीवमेंट राशि चार लाख तय की गई थी, उसे भी अब चुनिंदा लोगों को देने की बात कही गई है।

बीते पांच जनवरी को जारी नोटिस में पहले निर्धारित 72 लाख रुपये मुआवज़े को अधिकतम सीमा करार दिया गया है।

दिलचस्प बात है कि कर्मचारियों को मिलने वाले इस कंपनसेशन से ही इनकम टैक्स भी काटा जाएगा।

इससे पहले पांच जनवरी 2021 को जो नोटिस दी गई थी उसमें कंपनी ने गणना करके देय राशि भी बताई थी, जिसके तहत परमानेंट वर्करों को 72 लाख रुपये मिलेगा, जिसमें टैक्स लाभान्वित को देना होगा।

कंपनी ने ये भी कहा था कि शुरू के 1 से 400 आवेदन करने वालों को पांच लाख रुपया अतिरिक्त दिया जाएगा और अगर इससे अधिक आवेदन आते हैं तो सभी को 4 लाख रुपये दिए जाएंगे।

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ताज़ा नोटिस में ये भी कहा गया है कि न्यूनतम सीमा निर्धारित करने का फ़ैसला यूनियन के आग्रह पर किया गया है।

दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को घरेलू सामान शिफ़्टिंग कराने का खर्च कंपनी वहन करेगी और इस खर्च से भी इनकम टैक्स कटेगा।

कंपनी ने स्पष्ट किया है कि 72 लाख की अधिकतम सीमा में अब कोई और बदलाव नहीं किया जाएगा।

नोटिस में कहा गया है कि कुछ एसोसिएट इस शर्त पर आवेदन करना चाहते हैं कि उन्हें टार्गेट अचीवमेंट के तहत अतिरिक्त चार लाख रुपये भी दिए जाएं।

कंपनी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे कर्मचारी आवेदन कर दें और इस पर मैनेजमेंट विचार करेगा।

कंपनी ने ये भी कहा है कि आवेदन के साथ वो ये लिख कर दें कि अगर टार्गेट अचीवमेंट राशि मिलती है तो वो वीआरएस के लिए तैयार हैं।

इसपर मैनेजमेंट से स्पेशल अप्रूवल लिया जाएगा और अगर ये खारिज कर दिया जाता है तो वो अपना आवेदन वापस ले सकते हैं।

परमानेंट कर्मचारियों से छुट्टी पाने की नीति

आख़िरकार ठीक एक साल बाद मानेसर की होंडा कंपनी ने परमानेंट वर्करों से पीछा छुड़ा लेने का अपना दांव चल ही दिया। अभी कुछ दिन पहले ही ग्रेटर नोएडा के होंडा प्लांट में क़रीब 1000 परमानेंट वर्करों को ज़बरदस्ती वीआरएस देकर प्लांट को खाली करा लिया गया था।

मानेसर के होंडा प्लांट में पिछले महीने हुए शट डाउन के बाद अब बड़े पैमाने पर परमानेंट वर्करों को जबरदस्ती वीआरएस दिए जाने की ख़बरें सामने आ रही हैं।

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नाम ने छापने की शर्त पर कंपनी से जुड़े एक वर्कर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि ‘कंपनी ने मेंटेनेंस के नाम पर दिसम्बर में ही शट डाउन घोषित कर दिया और जब वर्कर छुट्टियों पर थे, उन्हें इस संबंध में जानकारी मिली।’

बीते पांच जनवरी को कंपनी ने वीआरएस से संबंधित एक नोटिस जारी कर अपनी मंशा को स्पष्ट कर दिया है। इसमें कहा गया है कि पांच जनवरी से 23 जनवरी 2021 तक ये योजना चलेगी और 31 जनवरी 2021 तक जो लोग 10 साल पूरा कर चुके होंगे या 40 साल की उम्र पार कर चुके होंगे, वे पात्र होंगे।

होंडा यूनियन पूरी तरह चुप

जुझारू संघर्षों के लिए जानी जाने वाली एचएमएसआई यूनियन पिछले साल तक कांट्रैक्ट वर्करों की ऐतिहासिक हड़ताल में साथ खड़ी थी, अब ताज़ा सामूहिक वीआरएस प्लान पर चुप्ली लगा ली है।

गुड़गांव से लेकर बावल क्षेत्र में होने वाले सभी आंदोलनों में शिरकत करने वाली यूनियन के प्रतिनिधि अब इन आंदोलनों से नदारद हैं।

किसान आंदोलन में जहां मारुति समेत कई यूनियनें संयुक्त मोर्चा बनाकर अपना समर्थन ज़ाहिर कर रही हैं, होंडा यूनियन के प्रतिनिधि दिखाई नहीं दे रहे हैं।

जिन 2500 कांट्रैक्ट और कैजुअल वर्करों को पिछले साल कंपनी से निकाला गया और चार महीने के आंदोलन के बाद उनका धरना समाप्त हुआ, अब वे भी यूनियन के इस रवैये की आलोचना कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने यूनियन की निष्कृयता के पीछे वीआरएस को कारण बताया है।

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Workers Unity Team

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