पांच साल के संघर्ष के बाद डाईकिन में बनी यूनियन, तीसरी बार में मिली कामयाबी
राजस्थान के नीमराणा में स्थित एयरकंडिशन बनाने वाली कंपनी डाईकिन में पांच साल से चल रहे संघर्ष में मज़दूरों को कामयाबी हासिल हुई है।
पिछले महीने की 29 तारीख़ को डाईकिन एयरकंडिशनिंग वर्कर्स यूनियन पंजीकृत हो गई।
ऐसे दौर में ये ख़बर उत्साहजनक है, जब देश भर के समूचे इंडस्ट्रियल बेल्ट में परमानेंट वर्करों की छंटनी के लिए तालाबंदी जैसे हथकंडे तक अपनाए जा रहे हैं।
यहां तक कि बनी बनाई यूनियन को भी तोड़ने के लिए मैनेजमेंट और सरकार पूरी तरह जोर लगा रही है।
कंपनी प्रबंधन ने भी यूनियन न बनने देने के लिए तमाम तरह की दमनात्मक कार्रवाईयां कीं।
अब जब यूनियन बन गई है तो प्रबंधन उत्पीड़न के और हथियार आजमा रहा है और वर्करों के ट्रांसफ़र किए जा रहे हैं।
2013 से चल रहा था संघर्ष
गौरतलब है कि डाईकिन के मजदूर लगातार 2013 से यूनियन बनाने की अपनी मांग को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं।
यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि, मजदूरों द्वारा यूनियन बनाने को लेकर प्रबंधन, श्रम विभाग, सरकार के गठजोड़ से मजदूरों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
2013 में पहली यूनियन पंजीकरण पर स्थगनादेश दिया गया था, जो केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
दूसरी यूनियन फाइल को अन्यायपूर्ण तरीके से खारिज किया गया।
तीसरी बार में मिली सफलता
यह तीसरी फाइल थी, जिसपर 16 जुलाई को जयपुर हाई कोर्ट ने श्रम विभाग को 45 दिन के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
इस दौरान कंपनी ने यूनियन के प्रधान रुकुमुद्दीन व महासचिव दौलत राम सहित ज्यादातर पुराने यूनियन पदाधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है।
मजदूरों की मांग है कि सभी निलंबित, बर्खास्त श्रमिकों को वापिस लिया जाए, त्रिपक्षीय समझौते को लागू किया जाए, यूनियन को मान्यता दी जाए।
यूनियन नेताओं का कहना है कि ‘डाईकिन सहित नीमराना क्षेत्र के पूंजीपति वर्ग और सरकार को यह पता है कि डाइकिन में संघर्षशील यूनियन बनने पर पूरे औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूर आंदोलन में नई स्थिति पैदा होगी। यूनियन गठन, स्थायी काम और सम्मानजनक वेतन और सुविधाओं के लिए संघर्ष तेज होगा। इसलिए पूरा तंत्र आज डाइकिन में यूनियन गठन के प्रक्रिया को रोक रही है।’