केजरीवाल की पोल खोलने पंजाब पहुंचे DTC के कर्मचारी
लंबे समय से दिल्ली सरकार द्वारा निजीकरण और नौकरियों में ठेका प्रथा को बढ़ावा देने के खिलाफ, दिल्ली परिवहन निगम(डीटीसी) के कर्मचारियों ने पंजाब के पटियाला से शुरू किया ‘मज़दूर संवाद’।
पटियाला पहुंचे डीटीसी कर्मचारियों ने निजीकरण-ठेकेदारी समेत अन्य मुद्दों पर रेल व परिवहन क्षेत्र के कमर्चारियों के साथ बातचीत की और आम जनता के बीच भी दिल्ली सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के बारे में प्रचार किया।
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) से सम्बद्ध दिल्ली परिवहन निगम में सक्रिय यूनियन – ‘डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर’ ने दिल्ली सरकार के मज़दूर-कर्मचारी विरोधी रवैये को देखते हुए, मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा कर्मचारियों को किये गए झूठे वादों की सच्चाई पंजाब की जनता के सामने लाने का अभियान शुरू किया है।
गौरतलब है कर्मचारी यूनियन ने इस बात पर सख्त ऐतराज़ जताया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मज़दूरों-कर्मचारियों की बात सुनने तक को तैयार नही हैं पर दूसरे राज्यों में तमाम चुनावी वादे कर रहे हैं।
कार्यक्रम के दौरान डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर(ऐक्टू) के सदस्यों ने बताया कि दिल्ली के अंदर मज़दूर आए दिन फैक्ट्रियों में जिंदा जलकर मर रहे है, कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी आधे से भी कम वेतन और असुरक्षा के साथ काम करने को मजबूर हैं, स्कीम कर्मियों को अपनी छोटी-छोटी मांगों के लिए भी सड़कों पर उतरना पड़ रहा है और न्यूनतम वेतन का भुगतान तक नही हो रहा। फिर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री मज़दूरों के मुद्दों को सुनने के लिए तैयार नही हैं।
वादों से पलट चुके हैं मुख्यमंत्री
दिल्ली परिवहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के पहले उनसे श्री केजरीवाल ने सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया था, परन्तु अब वो दिल्ली परिवहन निगम को बंद करने पर आमादा हैं। कर्मचारियों ने बताया कि मौजूदा दिल्ली सरकार ने सरकारी बसों की संख्या नही बढ़ाई और निगम के डिपो और वर्कशॉप भी निजी हाथों में सौंप रही है।
केंद्र की ‘देश-बेचो’ नीति के तहत ही केजरीवाल सरकारी निगम को खत्म कर रहे हैं।
दिल्ली परिवहन निगम के कर्मचारियों ने कहा कि एक ओर मोदी सरकार एयर इंडिया और रेलवे समेत तमाम सरकारी संपत्ति बेच रही है और दूसरी ओर दिल्ली की केजरीवाल सरकार तेजी से दिल्ली परिवहन निगम को निजी हाथों में सौंप रही है। केंद्र सरकार द्वारा लाये गए मज़दूर विरोधी श्रम कोड पर भी दिल्ली सरकार ने अपना रुख साफ नही किया है।
डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू) के नेताओं ने बताया कि अगले कुछ दिनों तक पंजाब के अन्य इलाकों में भी वो अपनी बात रखने ज़रूर जाएंगे।
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