चन्नी सरकार में मज़दूरों को गुंडों द्वारा मिल रही धमकियां, 67 दिन से दे रहे हैं धरना
पंजाब के मोहाली में स्थित फ्रेडनबर्ग नोक कंपनी में पिछले छह महीने से संघर्ष कर रहे मज़दूरों ने आरोप लगाया है कि मैनेजमेंट उन्हें कंपनी के बाउंसर भेजकर धमकाने की कोशिश कर रहा है।
करीब एक हज़ार ठेका मज़दूर अपनी यूनियन के रजिस्ट्रेशन और मांगपत्र को लेकर संघर्षरत हैं और ठेका प्रथा खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
गैर पंजीकृत यूनियन के महासचिव प्रिंस व अन्य पदाधिकारियों ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि ‘जब वे कंपनी गए तो गेट पर बाउंसर खड़े हुए थे और उन्होंने नेताओं को धमकाया। मैनेजमेंट ने कहा कि ये उनकी सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं। जबकि इन बाउंसरों ने नेताओं का पीछा भी किया यहां तक कि मोहाली श्रम विभाग के सामने धरने पर बैठे मजदूरों को भी धमकी देने ये गुंडे पहुंच गए।’
उल्लेखनीय है कि पंजाब श्रम विभाग ने मजदूरों की यूनियन फाइल को गैरकानूनी तरीके से खारिज कर दिया। मज़दूरों ने दूसरी यूनियन की फाइल लगाई है उसमें भी श्रम विभाग द्वारा कही गई सभी शर्तों को दर्ज किया गया। इस नई फाइल को लगाए हुए भी 50 दिन से अधिक हो गये हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
मजदूर 13 नवंबर से यूनियन रजिस्ट्रेशन और ठेका प्रथा के खात्मे के लिए मोहाली स्थित लेबर कमिश्नर के दफ़्तर के बाहर धरना दे रहे हैं। मज़दूरों में भारी तादात महिला मज़दूरों की भी है।
पूरी सर्दी के मौसम में मजदूरों ने ड्यूटी करते हुए शिफ़्ट वाइज अपने धरने को अभी तक जारी रखा हुआ है। अभी हाल ही में कंपनी प्रबंधन ने ठेकेदारों से मज़दूरों को आरोप पत्र दिलवाने और धमकी देने की कार्रवाई शुरू करवा दी है।
यूनियन नेताओं का आरोप है कि प्रंबधन के लोगों द्वारा महिला मजदूरों के साथ ही अभद्रता की जा रही है। उन्हें जबरदस्ती फिक्स टर्म एम्प्लायमेंट पर रखने के लिए धमकाया जा रहा है। प्रबंधन ने गैरकानूनी तरीके से मज़दूरों को फिक्स टर्म एमप्लायमेंट में जाने पर 10 हज़ार रुपये प्रोत्साहन राशि देने का गैरकानूनी प्रोपेगैंडा भी अपना रहा है।
महासिचव प्रिंस ने दावा किया कि मैनेजमेंट ये झूठा वादा कर रहा है कि फिक्स टर्म के बाद ही वो सबको परमानेंट करेगा, लेकिन अभी तक किसी को भी परमानेंट का लेटर नहीं दिया है।
इंकलाबी मज़दूर केंद्र के कार्यकर्ता श्यामबीर का कहना है कि यह सब श्रम विभाग और पंजाब की चन्नी सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। मजदूर पंजाब के श्रम मंत्री से भी मिल कर अपनी बात कर चुके हैं। उन्हें कानूनी अधिकार दिलाने की जगह जो हासिल हो रहा है, वह है गुंडों की धमकियां।
बीते शुक्रवार को फैक्ट्री में मजदूरों ने, प्रबंधन की मनमानी के विरोध में कंपनी में टूल डाउन किया। श्रम विभाग ने वार्ता के लिए बुलाया लेकिन प्रंबधन की जगह पर ठेकेदार वार्ता में आए जबकि मजदूर लंबे समय से प्रबंधन के सीधे अंडर में काम कर रहे हैं।
मजदूरों ने सभी जनपक्षधर संगठनों यूनियनों ने सहयोग और समर्थन की अपील की है।
बीते साल 13 नवंबर को जब इन वर्करों ने कंपनी ने निकाल दिया था तो उस समय किसान आंदोलन के नेता यहां जाकर अपना समर्थन दिया था और मैनेजमेंट को मजबूरन सभी मजदूरों को वापस लेना पड़ा।
उस समय किसान नेता राकेश टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चे के नेता दर्शन पाल पहुंच कर मज़दूरों का समर्थन किया था।
यूनियन नेताओं का कहना है कि ये धरना 67 दिनों तक चल रहा है और देखना है कि किसान नेता आने वाले समय में जब पंजाब का चुनाव समाप्त हो जाएगा, तब क्या रुख़ अख़्तियार करेंगे।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)