कर्मचारियों के गुस्से से डरी योगी सरकार ने हड़ताल पर लगाया 6 महीने का प्रतिबंध, 1 साल में तीसरी बार एस्मा

कर्मचारियों के गुस्से से डरी योगी सरकार ने हड़ताल पर लगाया 6 महीने का प्रतिबंध, 1 साल में तीसरी बार एस्मा

बीते 26 मई को पूरे देश में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ओर से काला दिवस मनाए जाने के एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में हड़तालों पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगाते हुए एस्मा लगा दिया।

राज्य में कोरोना से उपजे बुरे हालात और जनता की तीखी नाराज़गी झेल रही योगी सरकार चुप कराने, दमन करने और ध्यान भटकाने की तिहरी रणनीति पर भरोसा करते हुए, आवाज़ उठाने वालों पर एफ़आईआर दर्ज कर रही है। हड़ताल पर प्रतिबंध लगा रही है और ध्यान भटकाने के लिए राज्य भर में सांप्रदायिक माहौल पैदा कर रही है।

लेकिन ताज़ा डर अब उसे कर्मचारियों की ओर है। स्वास्थ्य तथा बिजली विभाग में संभावित हड़ताल से भयभीत योगी सरकार ने प्रदेश में दमनकारी आवश्यक सेवा अधिनियम एस्मा को लागू कर दिया है। पिछले साल मई में और फिर 26 नवंबर की हड़ताल के ठीक एक दिन पहले भी योगी सरकार ने एस्मा लगाया था।

प्रदेश सरकार ने अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण, 1996 की धारा 3 की उपधारा (1) के द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए प्रदेश में पुनः एस्मा लागू कर दिया है। योगी सरकार के इस कर्मचारी-मज़दूर विरोधी फरमान को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की भी मंजूरी मिल गई है।

आवश्यक सेवा अधिनियम (असेंशियल सर्विसेस मेंटेनेन्स एक्ट) के तहत अगले छह महीने तक प्रदेश में हड़ताल पर पाबंदी बरकरार रहेगी। अब कोई भी सरकारी कर्मी, प्राधिकरण कर्मी या फिर निगम कर्मी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेगा। सरकार ने स्वास्थ्य तथा ऊर्जा विभाग में संभावित हड़ताल को देखते हुए यह कदम उठाया है।

योगी सरकार ने कोरोना के बहाने लगातार तीसरी बार एस्मा लगाया है। एक साल पहले 21 मई को जारी अधिसूचना द्वारा राज्य सरकार के समस्त लोक सेवा, समस्त सरकारी विभागों, निगमों, प्राधिकरण में हड़ताल पर 6 माह की रोक लगा दी गई थी।

उसके बाद पिछले साल 26 नवंबर की हड़ताल के ठीक एक दिन पहले योगी सरकार ने इसे आगे बढ़ते हुए हड़ताल करने पर रोक का फरमान जारी किया था। और अब तीसरी बार उसे आगे बढ़ाया है। इस प्रकार 6 महीने की विशेष स्थिति को परोक्ष रूप से स्थाई बना दिया है।

दरअसल प्रदेश में जहाँ महामारी के दौर में अस्पतालों की दुर्दशा और दवा-इलाज, ऑक्सीजन की बेहद किल्लत से लोग मार रहे हैं, वहीं जबरिया पंचायत चुनावों की ड्यूटी से 1600 से ज़्यादा शिक्षक-कर्मचारी मौत के शिकार हुए हैं। जिससे लोगों में बहुत गुस्सा है।

दूसरी ओर बिजली महकमें से लेकर स्वास्थ्य तक के निजीकरण से भी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। बीते छह महीने से किसान आंदोलन ने योगी सरकार को पहले ही सांसत में डाल रखा है।

(मेहनतकश से साभार)

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Workers Unity Team

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