पहली बार एक पखवाड़े में दूसरी बार भारत बंद की अपील, व्यापक समर्थन से सकते में मोदी सरकार
ऐसा लग रहा है कि ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की ओर से बुलाए गए 8 दिसम्बर को बुलाया गया भारत बंद ऐतिहासिक होने वाला है।
देश में 8 दिसम्बर को भारत बंद की तैयारी जोरशोर से जारी है और किसानों को समाज के हर तबके से व्यापक समर्थन मिल रहा है।
ट्रेड यूनियनें खुल कर किसानों के समर्थन में उतर गई हैं और जगह जगह उनके समर्थन में सभाएं, ज्ञापन, प्रदर्शन आयोजित कर रही हैं।
गुड़गांव में किसान संगठनों ने बाज़ार बंद करने की अपील की है तो मारुति सुज़ुकी मज़दूर संघ की ओर से दिन में तीन बजे हीरो होंडा चौक से लघु सचिवालय तक रैली निकालने की घोषणा की गई है।
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी पूरे देश में सक्रिय रूप से भारत बंद में शामिल होने का ऐलान किया है। इसके अलावा अलग अलग स्वतंत्र ट्रेड यूनियनें, फ़ेडरेशनें और व्यापारिक व परिवहन एसोसिएशनों ने भी अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
दिल्ली ट्रांसपोर्ट और टैक्सी यूनियनों ने भारत बंद के दिन गाड़ी न चलाने का फैसला किया है।
ध्यान देने वाली बात है कि शायद भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक पखवाड़े के अंदर दूसरी बार भारत बंद का आह्वान आया है।
मौजूदा किसान आंदोलन की शुरुआत भी 12 दिन पहले 26 नवंबर को अखिल भारतीय आम हड़ताल से हुई थी और जबकि पांच दौर की बातचीत के बाद भी मोदी सरकार झुकने को तैयार नहीं है, इसके ठीक 13वें दिन एक और भारत बंद बुला लिया गया है।
उधर तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों ने किसानों को अपना बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है। कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी, सपा, माकपा, भाकपा, सीपीआई एमएल, डीएमके, टीएमसी, टीआरएस, एआईएमआईएम ने अपने कार्यकर्ताओं से भारत में सक्रिय भागीदारी करने के निर्देश दिए हैं।
उधर सोमवार को यूपी के कन्नौज में किसान प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता प्रदर्शन करने के लिए जा रहे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हिरासत में ले लिया गया।
बीजेपी नेता और सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर ने विपक्षी पार्टियों पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया है लेकिन किसानों की मांगों पर एक शब्द नहीं बोला।
भारत ही नहीं विदेशों में भारतीय नागरिकों ने भी मोदी सरकार के लाए गए तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की किसानों की मांगों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया है।
कनाडा, यूरोप, अमेरिका, इंग्लैंड में प्रदर्शन हो रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भी किसानों के समर्थन में बयान दिया है, जिसे मोदी सरकार ने आंतरिक मामलों में हस्तक्षे करार देकर खारिज कर दिया है। उधर संयुक्त राष्ट्र संघ में भी भारतीय किसानों को लेकर आवाज़ उठी है।
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