मोदी सरकार की बेचू नीतियों के ख़िलाफ बजट सत्र के दौरान दो दिनों की आम हड़ताल
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बढ़ती महंगाई, सार्वजनिक उपक्रमों की ताबड़तोड़ बिक्री और श्रम क़ानूनों को रद्दी बनाने देने वाली मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ ट्रेड यूनियनों ने आगामी बजट सत्र के दौरान आम हड़ताल का ऐलान किया है।
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की एक नवबंर को बैठक में मज़दूर किसान एकता को और मज़बूत करने का आह्वान किया गया।
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि सरकार के निजीकरण पर जोर देने से पैदा हो रही स्थिति और राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) नीति के कारण स्थितियां विकट हो रही हैं।
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के कदम से “हमारे बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था पर दूसरे विनाशकारी नकारात्मक गिरावट के अलावा लोगों के लिए यूजर्स चार्ज में बढ़ोतरी होगी।”
बजट सत्र के अगले फ़रवरी माह में होने की संभावना है इसलिए उससे पहले पूरे देश में रैलियां, छोटी संसद, पर्चा वितरण, हस्ताक्षर अभियान चलाकर इस दो दिवसीय महा हड़ताल के लिए जनमत तैयार करने की कोशिश की जाएगी।
इसकी शुरुआत 11 नवंबर को दिल्ली में ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ की जाएगी और व्यापक हस्ताक्षर अभियान समेत राज्यस्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शन भी किया जाएगा।
बैठक में 26 नवंबर को ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रीय आम हड़ताल की वर्षगांठ और किसान विरोध मार्च दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भी लिया गया।
ट्रेड यूनियनों के मंच ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं के साथ भी बैठक की जिसमें आने वाले आंदोलनों पर चर्चा के साथ के साथ मजदूर-किसान एकता पर जोर दिया गया। मंच की बैठक में विभिन्न मजदूर संगठनों के नेताओं ने शिरकत की।
इन 10 केन्द्रीय श्रम संगठनों में इंटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूसीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।
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