न्यूनतम वेतन तय करने के लिए बनी मिश्रा कमेटी, ट्रेड यूनियनों से सलाह नहीं
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने न्यूनतम मजदूरी और राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। यह समूह मंत्रालय को कुछ तकनीकी जानकारी और सुझाव प्रदान करेगा।
पिछले दो सालों के भीतर सरकार द्वारा गठित की गई यह दूसरी कमेटी है।
पहले पैनल की स्थापना वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के फेलो अनूप सत्पथी की अध्यक्षता में 17 जनवरी, 2018 को मंत्रालय द्वारा किया गया था।
केन्द्र द्वारा इनकी सिफारिशों का स्वीकारा नहीं किया गया था। इसमें जुलाई 2018 की कीमतों के अनुसार राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 375 रुपये प्रति दिन (9,750 रुपये प्रति माह) निर्धारित करना भी शामिल था।
नए विशेषज्ञ समूह का गठन तीन साल की अवधि के लिए किया गया है। जिसकी अध्यक्षता इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के निदेशक प्रोफेसर अजीत मिश्रा करेंगे।
इसके अलावा विशेषज्ञ समूह के सदस्यों में प्रोफेसर तारिका चक्रवर्ती (आईआईएम कलकत्ता) अनुश्री सिन्हा (सीनियर फेलो, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च), विभा भल्ला (संयुक्त सचिव) एच श्रीनिवास (महानिदेशक, वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट) शामिल हैं।
मजदूरी दरों को तय करने के लिए समूह मजदूरी पर अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं पर गौर करेगा और मजदूरी के निर्धारण के लिए एक वैज्ञानिक मानदंड और कार्यप्रणाली विकसित करेगा।
वहीं ट्रेड यूनियनें लेबर कोड का विरोध कर रही हैं और उनकी मांग है कि इसे तुरंत वापस लिया जाए।
उनका कहना है कि मिनिमम वेज और फ्लोर वेज तय करने के लिए ट्रेड यूनियनों के सुझाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए लेकिन सरकार मनमानी करते हुए श्रम कानूनों को खत्म कर रही है और मजदूरों को मिले अधिकारों को छीनने का काम कर रही है।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)